One Nation One Election: 'एक देश एक चुनाव' पर बीजेपी इतनी बेझिझक कैसे बढ़ रही, जानिए क्या है सहयोगी दलों का रुख?
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One Nation One Election: 'एक देश एक चुनाव' पर बीजेपी इतनी बेझिझक कैसे बढ़ रही, जानिए क्या है सहयोगी दलों का रुख?

PM Modi third term: 'एक देश एक चुनाव' पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं. तीसरे कार्यकाल में अपेक्षाकृत कम वोट पाने के बाद भी इतना बड़ा निर्णय लेने की ताकत बीजेपी के पास है. इसकी वजह सहयोगी दलों का साथ होना ही है. पीएम मोदी विपक्षी दलों से इस मुद्दे पर एक साथ आने का भी कई बार आह्वान कर चुके हैं.

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JDU on one nation one election: 'एक देश एक चुनाव' पर बीजेपी जिस तरह बेझिझक होकर तेजी से आगे बढ़ रही है, उससे अंदाजा लगाया जा रहा कि केंद्र को सहयोगी दलों का पूरा समर्थन मिल रहा. दो बड़े दलों में से एक जेडीयू ने मोदी के 'एक देश एक चुनाव' वाले इरादे पर सहमति जता दी है. लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया था कि बहुत जल्द इसे लागू कर दिया जाएगा. इसके लिए उन्होंने पक्ष-विपक्ष के सभी नेताओं से एक साथ आने का अनुरोध किया था. 

पीएम के ऐलान के बाद अब जनता दल (यूनाइटेड) ने भी सोमवार को 'एक देश, एक चुनाव' का समर्थन करते हुए कहा कि इससे नीतियों में निरंतरता बनी रहेगी और बार-बार चुनावों से पैदा होने वाली परेशानियों से बचा जा सकेगा. जेडीयू के इस बयान का महत्व तब और बढ़ जाता है जब हाल ही में सरकार के उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा था कि भाजपा-नीत केंद्र सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में ही 'एक देश, एक चुनाव' को लागू करने का इरादा रखती है. 

जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने एक वीडियो संदेश में कहा कि उनकी पार्टी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की राय इस मुद्दे पर एक जैसी है. उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि इससे देश में नीतियों की निरंतरता सुनिश्चित होगी. बार-बार चुनाव होने से विकास योजनाओं की गति प्रभावित होती है, और इससे अन्य परेशानियां भी उत्पन्न होती हैं. 'एक देश, एक चुनाव' से इन समस्याओं का समाधान होगा. 

प्रसाद ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से मतदाता भी बड़ी संख्या में मतदान के लिए प्रेरित होंगे और विकास कार्य भी बिना बाधा के चलते रहेंगे. इसके साथ ही, इससे चुनावी खर्चों में भी कमी आएगी और देश को इसका सीधा लाभ होगा. PM नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के 100 दिन पूरे होने पर सूत्रों ने कहा कि गठबंधन में एकजुटता बनी रहेगी. भाजपा और TDP के बाद JDU राजग का तीसरा सबसे बड़ा घटक दल है.

गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने इस साल मार्च में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की थी. समिति ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों के 100 दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने की भी सलाह दी है.

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NDA में बीजेपी के दो प्रमुख सहयोगियों में से जेडीयू ने तो अपना रुख साफ कर दिया है, लेकिन टीडीपी ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता में बनाई गई समिति ने जब TDP से संपर्क किया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. इस समिति ने 62 पार्टियों से संपर्क किया था. 47 दलों में से 32 ने इसका समर्थन किया, जबकि 15 दलों ने विरोध किया. 15 पार्टियों ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. 
 
इधर बीजेपी को भरोसा है कि इस सुधार को सभी दलों का समर्थन मिलेगा. इस व्यवस्था को मोदी सरकार के इसी कार्यकाल यानी 2029 से लागू किया जा सकता है. 2029 में देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव साथ कराए जा सकते हैं. 

प्रधानमंत्री मोदी ने कई अवसरों पर 'एक देश, एक चुनाव' की वकालत की है. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में भी उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति में बाधा आती है. भाजपा के हालिया चुनाव घोषणापत्र में भी 'एक देश, एक चुनाव' को प्रमुख वादों में शामिल किया गया था.

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