नई दिल्ली: प्रशासनिक अफसरों के बचाव को लेकर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) एक बार फिर सुर्खियों में हैं. ताजा मामले में केंद्र से जारी टकराव के बीच उन्होंने अलपन बंदोपाध्याय (Alapan Bandyopadhyay) को अपना मुख्य सलाहकार (Chief Advisor) बना दिया है.


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बंगाल के सबसे सीनियर आईएएस अफसर रहे अलपन ममता सरकार के करीबी रहे हैं. वो आज मंगलवार से सीएम ममता के मुख्य सलाहकार के तौर पर काम शुरू करेंगे. 


कोरबो-लोरबो-जीतबो: ममता


सीएम ने ममता बनर्जी ने कहा, 'वो किसी से नहीं डरतीं. हम मरने के लिए तैयार हैं. जो डरते हैं वो मरते हैं, करेंगे, लड़ेंगे, जीतेंगे. क्योंकि अलपन के मामले में उन्होंने कोई वजह नहीं दी थी. मैं हैरान हूं. मैंने फैसला किया है कि कोरोना के समय में हमें उनकी सेवाओं की जरूरत होगी.' ममता बनर्जी ने ये भी कहा कि अलपन का मामला दिखाता है कि किस तरह प्रशासनिक अधिकारियों को प्रताड़ित किया जाता है. 


इस बीच केंद्र सरकार के सूत्रों से पता चला है कि उनके खिलाफ चार्जशीट जारी करते हुए एक्शन लेने की तैयारी थी इससे पहले बंगाल की चीफ सेकेट्री रहे आईएएस अलपन बंदोपाध्याय को दिल्ली में नहीं रिपोर्ट करने को लेकर कारण बताओं नोटिस जारी किया गया था.


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इससे पहले 2019 में हुआ ऐसा टकराव 


ममता बनर्जी अपने स्टेट कैडर के अफसरों के बचाव को लेकर केंद्र से पहले भी सीधे लोहा ले चुकी हैं. IAS अलपन बंदोपाध्याय से पहले साल 2019 में उन्होंने आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार (IPS Rajeev Kuamr) को लेकर केंद्र सरकार से सीधी लड़ाई लड़ी थी. 


सारदा चिटफंड घोटाले में सीबीआई (CBI) की जांच के दौरान उन्होंनेआरोप लगाया था कि केंद्र सरकार, प्रशासनिक एजेंसियों के जरिए राज्य सरकार को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है. उस दौरान तो वो सीधे केंद्र के उस फैसले के खिलाफ धरने पर बैठ गईं थी. 


जैसे ही उन्हें खबर मिली कि सीबीआई की टीम कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर पहुंची है तो वो भी आनन-फानन में वहां पहुंच गई थीं. तब उन्होंने गृह मंत्रालय के खिलाफ ऐसा मोर्चा खोला कि आखिरकार सीबीआई को बंगाल से लौटना पड़ा था.


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क्या है मामला?


केंद्र ने अलपन बंदोपाध्याय को 28 मई को दिल्ली अटैच करने का आदेश दिया. उसी दिन पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के साथ बैठक को लेकर एक विवाद सामने आया था. 31 मई को उन्हें दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक स्थित डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग में रिपोर्ट करना था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.


सरकारी मियाद के तहत जहां उन्हें सुबह 10 बजे दिल्ली रिपोर्ट करना था इसके बजाये वो एक घंटे बाद 11 बजे वो कोलकाता स्थित राज्य सचिवालय गए जहां उन्हें सीएम के साथ पहले से तय कार्यक्रम के तहत कुछ बैठकों में शामिल होना था.


'डेप्यूटेशन पर अफसरों को भेजने का विरोध'


गौरतलब है कि ममता बनर्जी इन उदाहरणों के अलावा भी कई बार राज्य में अधिकारियों की कमी का हवाला देते हुए अपने अफसरों को डेप्युटेशन पर भेजने का विरोध करती आई हैं. हालिया मामलों की बात करें तो पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय गृहमंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के तीन IPS अधिकारियों भोला नाथ पांडे (Bholanath Pandey), प्रवीण त्रिपाठी (Pravin Tripathi) और राजीव मिश्रा (Rajiv Mishra) को 5 साल के डेप्युटेशन पर बुलाया था. तब भी ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर ताकत का दुरुपयोग करने के आरोप लगाए थे.


 


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