HSC Exam: माओवादी सदस्य रहीं राजुला हिदामी ने एचएससी परीक्षा में 46 फीसदी अंक हासिल किए हैं. परीक्षा के नतीजे गुरुवार को घोषित किए गए हैं. वह अब एक पुलिस अधिकारी बनना चाहती हैं. राजुला की कहानी यह बताती है कि अगर इंसान ठान ले तो जीवन में कभी भी सही रास्ते पर चलना शुरू कर सकता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

2015 में राजुला हिदामी को माओवादियों ने अगवा कर लिया था. और उसे विद्रोही आंदोलन में शामिल होने के लिए मजबूर किया. 2018 में राजुला ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. जिस समय राजुला का किडनैप किया गया था उसकी उम्र तब 15 साल की थी. आज वह 21 वर्ष की हो चुकी है और अब पूरी तरह से अपनी पढ़ाई पर फोकस करना चाहती है.


दो साल नक्सल ग्रुप में रही राजुला
राजुला का दो साल तक कोरची-कुरखेड़ा-खोब्रामेंडा दलम (केकेके) के साथ जुड़ी रहीं. उसने हथियारों की ट्रेनिंग भी ली. वह सुरक्षा बलों के साथ हुई एक मुठभेड़ में भी शामिल थी. उसके खिलाफ लगभग नौ केस दर्ज थे.


एचएससी परीक्षा में लगभग 46% अंक प्राप्त करने वाली राजुला ने इतिहास में सबसे अधिक अंक (64) हासिल किए हैं. उसे 600 में से 275 अंक हासिल किए हैं. राजुला अब MSCIT कर रही है और पुलिस भर्ती के लिए ट्रेनिंग ले रही है। वह सब-इंस्पेक्टर बनने का सपना देखती है।'


मीडिया रिपोर्ट के मुतबिक  गोंदिया में देवरी नक्सल सेल में राजुला के सलाहकार एचएससी परीक्षा में उसकी उपलब्धि से बहुत खुश हैं. तत्कालीन एडिशनल एसपी संदीप अटोले,  ने कहा, 'वह मेरे परिवार के लिए एक गोद ली हुई बच्ची की तरह थी. हमने पहली बार उसे आठवीं कक्षा में देवरी के एक स्कूल में दाखिला दिलाया था.’  अटोले,  अब औरंगाबाद में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के एसपी हैं.


नक्सल सेल के एक सिपाही जुटाए दस्तावेज
देवरी नक्सल सेल के एक सिपाही का राजुला की सफलता में बड़ा हाथ है. तीन साल के अंतराल के बाद राजुला की पढ़ाई फिर से शुरू करने के लिए सभी जरूरी दस्तावेज हासिल करने में उसने बड़ा काम किया है.


मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक देवरी नक्सल सेल के पुलिसकर्मियों ने हॉस्टल में राजुला और अन्य लोगों की पढ़ाई में मदद की.