नई दिल्ली: महाराष्ट्र (Maharashtra) में मराठा रिजर्वेशन (Maratha Reservation) पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अब इस मुद्दे पर समग्रता से सुनवाई करने का फैसला किया है. कोर्ट ने इस मुद्दे पर सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी उनकी 50 परसेंट के ऊपर रिजर्वेशन (Reservation) पर राय पूछी है. सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर 15 मार्च से रोजाना सुनवाई करेगा.  


महाराष्ट्र में मराठाओं को 16 प्रतिशत आरक्षण


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बता दें कि महाराष्ट्र में मराठा समुदाय की आबादी करीब 30 परसेंट है. मराठाओं का महाराष्ट्र की राजनीति, ब्यूरोक्रेसी और अर्थव्यवस्था में दबदबा माना जाता है. मराठा समुदाय की मांग पर महाराष्ट्र सरकार ने 1 दिसंबर 2018 को उन्हें राज्य की नौकरियों में 16 प्रतिशत आरक्षण दे दिया था. इस आदेश के बाद महाराष्ट्र में आरक्षण की कुल सीमा 50 प्रतिशत के पार हो गई थी, जिसके खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई. 


सुप्रीम कोर्ट समग्रता में करेगा मामले की सुनवाई


हाई कोर्ट ने कई शर्तों के साथ इस आरक्षण (Reservation) को मंजूरी प्रदान कर दी, जिसके बाद इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर हुई. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार को हुई सुनवाई में कई अन्य राज्यों में भी आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत के पार पहुंच जाने का मुद्दा उठाया गया. जिस पर कोर्ट ने आरक्षण मामले को केवल  मराठा रिजर्वेशन (Maratha Reservation) तक सीमित न रखते हुए इसकी समग्रता में सुनवाई का फैसला किया.


ऐतिहासिक हो सकता है कोर्ट का फैसला


कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र प्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर पूछा है कि आरक्षण की सीमा पर उनकी क्या राय है. क्या वे आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत को पार किए जाने को सही मानते हैं. राज्यों के जवाब मिलने के बाद कोर्ट इस मामले में 15 मार्च से नियमित सुनवाई शुरू करेगा. माना जा रहा है कि मराठा आरक्षण पर आने वाला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला ऐतिहासिक होगा. जिसका देश और राज्यों की राजनीति पर बड़ा असर पड़ेगा.


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सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी 50 प्रतिशत की सीमा


बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने ही आरक्षण (Reservation) पर दिए अपने एक फैसले में इसकी अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत तय की थी. कोर्ट ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारें इस लिमिट के अंदर अपने जरूरतमंद तबकों को आरक्षण प्रदान कर सकती हैं. लेकिन तमिलनाडु जैसे राज्यों ने इस लिमिट को नजरअंदाज कर 69 प्रतिशत आबादी को आरक्षण दे दिया. तमिलनाडु की राह पर चलते हुए महाराष्ट्र, राजस्थान समेत कई अन्य राज्यों में भी आरक्षण 50 प्रतिशत के पार पहुंच गया.


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