लखनऊ: असदुद्दीन ओवैसी के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि भागवत का बयान किसी के गले नहीं उतर रहा क्योंकि संघ और बीजेपी की कथनी और करनी में अंतर जगजाहिर है.


'किसी के गले नहीं उतर रहा बयान'


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मायावती ने एक बयान में कहा, 'संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा भारत में सभी धर्मों के लोगों का डीएनए एक होने और हिंसा के हिंदुत्व के खिलाफ होने की जो बात कही गई है वह किसी के भी गले से नहीं उतर रही है, क्योंकि संघ, भाजपा एंड कंपनी के लोगों और सरकार की कथनी और करनी में अंतर सभी देख रहे हैं.'


बसपा प्रमुख ने कहा कि संघ प्रमुख का बयान 'मुंह में राम, बगल में छुरी' की तरह है. उन्होंने कहा कि भागवत देश की राजनीति को विभाजनकारी बताकर कोस रहे हैं, वह ठीक नहीं है. उन्होंने दावा किया कि सच्चाई तो यह है कि जिस भाजपा और उसकी सरकारों को वह आंख बंद करके समर्थन देते चले आ रहे हैं, उसी का नतीजा है कि जातिवाद और सांप्रदायिक हिंसा का जहर समाज में घुल रहा है.


'भाजपा से अपनी बातें लागू कराए संघ'


मायावती ने कहा कि संघ प्रमुख ने अपने बयान में बड़ी-बड़ी बातें तो कहीं, संघ के सहयोग और समर्थन के बिना भाजपा का अस्तित्व कुछ भी नहीं है फिर भी संघ अपनी कही गई बातों को भाजपा और उसकी सरकारों से लागू क्यों नहीं करवा पा रहा है.


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इससे पहले ओवैसी ने भी भागवत के बयान के बहाने बीजेपी पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा कि ये नफरत हिंदुत्व की देन है जिसे सरकार का समर्थन हासिल है. ओवैसी ने आरोप लगाया कि लिंचिंग में शामिल मुजरिमों को सरकार सह देती आ रही है. 


'सभी भारतीयों का डीएनए एक'


बता दें संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मॉब लिंचिंग की घटनाओं में शामिल लोग हिन्दुत्व के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि बगैर एकता के देश का विकास मुमकिन नहीं है, साथ ही उन्होंने राष्ट्रवाद को इस एकता का आधार बताया है.


इसके अलावा भागवत ने मुस्लिमों से अपने भीतर से डर की भावना को दूर करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि सभी भारतीयों का डीएनए एक है और मुसलमानों को डर के इस चक्र में नहीं फंसना चाहिए कि भारत में इस्लाम खतरे में है.