जगन्नाथ. कटक: जी हां, ये कहानी नहीं हकीकत है. आपको कटक में रहने वाले 22 साल के कान्हू से मिलवाते हैं. मोर से प्यार उसे विरासत में मिला है. उसी की आवाज का जादू ही खींच लाता हैं जंगल से इतने मोर को. दिन में दो बार कान्हू उनको खिलाने के लिए बुलाता है और जब भी वह जंगल में ये आवाज देता है. दो मिनिट के अंदर सभी उसके पास चले आते हैं. कान्हू ने इन मोर की देखरेख के लिए अपने जीवन का अमूल्य समय दे रहे हैं.


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1999 के साइक्लोन के बाद 3 मोर कहीं से उड़कर यहां आ गए. तब कान्हू नहीं, उनके दादाजी यहां के नजदीक फायरिंग रेंज में गार्ड की नौकरी करते थे. 3 मोर को देखकर उनको खाना देने की शुरुआत वहीं से हुई. जानवर से प्यार करने वाले दादाजी धीरे धीरे उनको प्यार करने लगे और मोर हर रोज आने लगे.


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दादाजी जब दुनिया से विदा लेने लगे तो यह जिम्मेदारी कान्हू को दे गए. कान्हू अपने दादा का वचन आज भी निभा रहे हैं. आज उनके पास लगभग 133 मोर हैं जो आजाद पंक्षी हैं पर कान्हू की आवाज और प्यार ने उन्हें बंदी कर रखा है.