क्या है #MeToo कैंपेन, कैसे सालों बाद अचानक खुलने लगी यौन उत्पीड़न करने वालों की पोल?
यौन उत्पीड़न का शिकार होने वालों की चुप्पी टूटने, और शिकारियों के चेहरे से नकाब हटाने की मुहीम का नाम है मी टू कैंपेन
नई दिल्ली: आपने पिछले कुछ दिनों में 'मी टू कैंपेन' और फिल्म-मीडिया इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न के किस्सों के बारे में जरूर पढ़ा सुना होगा. क्या आपने सोचा है कि अचानक से कैसे यह चर्चा, यह मामला दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है? कैसे एक के बाद एक शरीफ दिखने समझे जाने वाले नामी लोगों का नाम यौन उत्पीड़न जैसे अपराधों से जुड़ता जा रहा है? अचनाक से ऐसा क्या हुआ कि अपने पैरों पर खड़ी मजबूत समझी जाने वाली महिलाओं के खुलासों ने सभी को चौंका दिया है? इन सारे सवालों का जवाब आपको यहां मिलेगा...
हमारे समाज का एक बहुत बड़ा कड़वा सच है यौन उत्पीड़न. इसका शिकार स्त्री-पुरुष, अमीर-गरीब, आम आदमी-जाने माने तथाकथित बड़े चेहरे, बच्चे-युवा-बुजुर्ग सभी रहे हैं. न सिर्फ हमारा देश बल्कि पूरे विश्व में हर जगह, हर तबके में शिकारी और शिकार दोनों मौजूद हैं. शिकार होने वालों की चुप्पी से शिकारियों को लगातार बल मिलता रहा है और यही सबसे बड़ी वजह है यौन उत्पीड़न जैसे अपराधों के होने और बढ़ने की.
समझिए क्या है मी टू कैंपेन?
यौन उत्पीड़न का शिकार होने वालों की चुप्पी टूटने, और शिकारियों के चेहरे से नकाब हटाने की मुहीम का नाम है मी टू कैंपेन. सोशल मीडिया पर #MeToo के नाम से शुरू हुआ यह अभियान एक आंदोलन की शक्ल ले चुका है. इस हैश टैग के साथ लोग अपने साथ हुए बुरे अनुभवों को साझा करते हैं और एक हिम्मत और बहादुरी का परिचय देते हुए उन लोगों का नाम उजागर करते हैं जिन्होंने यौन उत्पीड़न किया होता है. यह पूरी प्रकिया है मी टू कैंपेन.
समझिए कैसे और कहाँ से शुरू हुआ मी टू कैंपेन?
'मी टू' यह शब्द 2006 में सबसे पहले सामने आया. और 2017 में इसने (#MeToo) सोशल मीडिया पर एक आंदोलन की शक्ल ली. अमेरिका की सामाजिक कार्यकर्ता टराना बुर्के ने महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न के खिलाफ 2006 में आवाज उठाई. उस वक्त बुर्के ने दुनिया भर की महिलाओं से अपील की कि अगर वो भी इसकी शिकार हैं, तो मी-टू शब्द के साथ इस पर खुल कर बात करें. इसके बाद 2017 में एक बार फिर ये शब्द चर्चा में तब आया जब हॉलीवुड अभिनेत्री एलीसा मिलानो ने खुलासा किया कि दिग्गज प्रोड्यूसर हार्वे वीन्सटीन ने उनका और तमाम अन्य अभिनेत्रियों का यौन उत्पीड़न किया. एलिसा मिलानो ने 16 अक्टूबर 2017 को ट्विटर पर सभी से अपील की अगर आप भी यौन उत्पीड़न का शिकार हुयी हैं तो #MeToo के साथ खुलकर बोलें. और उसके बाद यह अभियान एक आंदोलन की शक्ल में सामने आया और कई जानी मानी महिलाओं ने खुलासा किया की उनके साथ भी यह अपराध हुआ है. और यहीं से मी-टू कैम्पैन जिंदा हो गया.
मी टू कैंपेन को मिल चुका है टाइम पर्सन ऑफ द ईयर अवार्ड
महिला हिंसा के खिलाफ शुरू हुए 'मी-टू कैम्पेन' को 2017 का टाइम पर्सन ऑफ द ईयर चुना गया है. अब तक 91 पर्सन ऑफ द ईयर पुरस्कार दिए जा चुके हैं. मी-टू कैम्पेन के साथ 15वीं बार किसी ग्रुप या कैम्पेन को टाइम पर्सन ऑफ द ईयर चुना गया है. इसके अलावा हर बार किसी व्यक्ति विशेष को टाइम पर्सन चुना गया.
समझिए भारत में मी टू कैंपेन ने सबको कैसे चौंकाया और किसकी खुली पोल
भारत में मी टू कैंपेन पिछले साल काफी चर्चा में रहा था लेकिन एक बार फिर से यह कैंपेन ज़िंदा हो गया है. इसकी वजह रही तनुश्री दत्ता- नाना पाटेकर विवाद. तनुश्री दत्ता के नाना पाटेकर पर यौन उत्पीड़न के आरोपों ने फिर से इस बहस को जन्म दिया और शुरू हो गया मी टू कैंपेन. अब जानिये हाल ही में किस किस पर लगा है यौन उत्पीड़न का आरोप...
आरोपी- कैलाश खेर: एक फोटो जर्नलिस्ट ने हिम्मत दिखाते हुए एक के बाद एक 15 ट्वीट किये और बताया की किसी स्टोरी के सिलसिले में वो अपनी एक साथी के साथ कैलाश खेर के घर गईं थी. उन्हें उस स्टोरी के लिए कैलाश की तस्वीरें खींचने के लिए कहा गया था. उन्होंने बताया, 'जब हम कैलाश के घर गए तो कैलाश हम दोनों के बीच में आकर बैठ गए. वो मेरे पैर पर हाथ रख रहे थे उन्होंने मेरी थाई पर हाथ रखा.'
आरोपी- चेतन भगत: एक महिला ने उनके साथ हुई व्हाट्सएप पर बातचीत के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर शेयर कर दिए हैं. जो काफी तेजी से वायरल हो गए. इसके बाद चेतन भगत ने तुरन्त फेसबुक पर स्क्रीशॉट को सही बताते हुए माफी मांगी है.
आरोपी- विकास बहल: 'क्वीन' फेम डायरेक्टर पर एक महिला ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं जिनपर कंगना रनौत ने खुलकर महिला का साथ देते हुए बताया है कि विकास उन्हें भी अजीब तरीके से गले लगाते थे और बालों को सूंघते थे. कंगना ने इस मसले पर बोलते हुए कहा, "मुझे महिला पर पूरा यकीन है. साल 2014 में जब हम 'क्वीन' की शूटिंग कर रहे थे तब विकास ने शादी कर ली थी. लेकिन तब भी वो रोजाना नए पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध बनाने का जिक्र करते थे.
पीड़ित: सुष्मिता सेन: सुष्मिता ने जुलाई में एक जर्नलिस्ट के सवाल का जवाब देते हुए बताया कि इसी साल एक अवार्ड फंक्शन में एक 15 साल के बच्चे ने उनको छेड़ने की कोशिश की. उन्होंने कहा मैंने उसका हाथ पकड़ा और जब मैंने उसे बहार खींचा तो मैं शॉक्ड रह गई. मैं चाहती तो बहुत कुछ कर सकती थी लेकिन ये 15 साल का लड़का था. इसलिए मैंने उसे गर्दन से पकड़ा और उसे भीड़ के सामने वॉक पर ले गई और समझाया किअगर मैं हल्ला कर दूँ तो तुम्हारी ज़िन्दगी तबाह हो जायेगी. फिर मैंने बच्चे को समझा कर जाने दिया और चेतावनी दी कि आगे से ऐसा वह कभी न करे.
पीड़ित- चिन्मयी श्रीपदा: प्लेबैक सिंगर चिन्मयी श्रीपदा ने अपने साथ हुई इसी घटना के बारे में खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि जब वो सिर्फ 8-9 साल की थीं उस वक्त एक अंकल ने उनके साथ अश्लील हरकत की थी. उन्होंने लिखा, ''मैं सो रही थी तभी मुझे महसूस हुआ कि एक शख्स मेरे बिस्तर में है और मेरे प्राइवेट पार्ट को छू रहा है. उस वक्त मैं स्टूडियो में थी जहां मेरी मां एक रिकॉर्डिंग के लिए गई थीं.
पीड़ित- पूजा भट्ट: बॉलीवुड एक्ट्रेस पूजा भट्ट भी सामने आई हैं. उन्होंने अपने साथ हुई इस बदसलूकी को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. पूजा ने बताया कि एक बार उनके एक दोस्त ने एयपोर्ट पर उनके साथ बदसलूकी की थी. उनके दोस्त ने एयरपोर्ट पर उनकी ब्रेस्ट को पकड़ लिया था. इस घटना ने उन्हें अंदर तक झकझोर कर रख दिया था. उन्होंने कहा कि कई बार हम सोचते हैं कि दुश्मन बाहर हैं लेकिन दुश्मन तो असल में हमारे पास ही होता है. इतना ही नहीं पूजा भट्ट ने ये भी बताया कि उन्हें घरेलू हिंसा का भी शिकार होना पड़ा था.
पीड़ित- सपना पब्बी: सपना की आपबीती की बात करें तो उन्होंने अपने पोस्ट में बताया है, "मुझे एक घटना याद है जब मुझे एक गाने के लिए बिकिनी पहननी थी. गाने की शूटिंग के ट्रायल के दौरान मैंने अपनी स्टाइलिस्ट से कहा था कि इस अंडरवायर्ड ब्रा से वायर हटा दे क्योंकि इसे पहनकर सात घंटे तक शूटिंग करना उनके लिए बेहद दर्दभरा हो सकता है. लेकिन मुझे बिना ऑल्ट्रेशन किए उसी बिकिनी में शूटिंग करने के लिए मजबूर कर दिया गया." सपना ने आगे बताया, जब मैनें इसके बारे में प्रोड्यूसर्स को बताया तो उन्होंने उल्टे मेरे ऊपर ही सवाल उठा दिये. और हंसने लगा.
इस अभियान पर केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि वह बहुत खुश हैं कि ‘#मी टू’ कैंपेन भारत में भी शुरू हो गया है और इससे महिलाओं को सामने आकर शिकायत करने का हौसला मिला है. हालांकि इस कैंपेन को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि कहीं इसका दुरुपयोग न शुरू हो जाए. बहरहाल इस कैंपेन ने यह तो साबित कर दिया है कि किसी भी अपराध की असली वजह और जड़ होती है चुप्पी. अपराध को सहन करना ही अपराध के होने को जन्म देता है. इसलिये खुलकर बोलिये और ऐसे अपराधियों को बेनकाब करिये.