Mira Bhayandar Lagaan vasooli: ब्रिटिश काल में अंग्रेजों द्वारा भारतीय किसानों से वसूले जाने वाले मनचाहे लगान के बारे में तो आपने सुना होगा. जब ईस्ट इंडिया कंपनी भारतीयों को लूटने का काम करती थी. आजादी के बाद देशभर में अंग्रों का यह कानून खत्म हो गया था, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि मुंबई से सटे ठाणे जिले में मीरा-भयंदर की भूमाफिया कंपनी अब भी लगान वसूल रही है. कंपनी ने जमीन पर अवैध कब्जा किया है और पूरे इलाके में खरीदी और बेची जाने वाली जमीनों पर लगान वसूलती है. इतना ही नहीं, अगर कोई मीरा-भयंदर के पूरे इलाके में इमारत बनाता है तो इस प्राइवेट कंपनी से NoC यानी No Objection Certificate लेना पड़ता है. इस NoC के बदले लोगों को इस प्राइवेट कंपनी को लाखों रुपये देने पड़ते हैं.


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NOC के लिए कितना लगान?


ठाणे के मीरा रोड-भयंदर इलाके का अपना पुलिस कमिश्नरेट है और अपना नगर निगम भी है, लेकिन यहां कानून आज भी अंग्रेंजों वाला चलता है. इस इलाके में रहने वाले लोगों को अगर कोई जमीन खरीदनी होती है या घर बनाना होता है तो इसके लिए The एस्टेट Investment Company नाम की कंपनी को लगान चुकाना होता है और लगान भी कोई छोटा मोटा नहीं. डेढ़ सौ रुपये Square Feet से लेकर पांच सौ रुपये Square Feet के हिसाब से ये जबरन वसूली की जाती है.


शुरुआत में तो हमें भी यकीन नहीं हुआ, लेकिन फिर Zee News की टीम मीरा रोड की एक सोसाइटी में पहुंची, जो करीब 68 साल पुरानी है. इस सोसाइटी को साल 1956 में रावल बिल्डर ने डेवलप किया और लोगों को फ्लैट बेचे. अब इस पुरानी हो चुकी बिल्डिंग को तोड़कर दोबारा बनाया जाना है. इसके लिए आमतौर पर सरकारी विभागों से No Objection Certificate यानी NOC लेने की जरूरत पड़ती है. लेकिन, यहां Estate Investment Company से NoC लेनी होगी जो कि एक प्राइवेट कंपनी है और इस NoC के लिए कंपनी करोड़ों रुपये वसूल करेगी.


वैध लगान वसूली का ये धंधा कब और कैसे शुरू हुआ?


आजाद भारत में चल रही ईस्ट इंडिया कंपनी कैसे मीरा-भयंदर के लोगों से जमीनी सौदों में लगान वसूल रही है और कैसे महाराष्ट्र सरकार का Revenue Department इसमें शामिल है. इस बात का खुलासा तो हो चुका है. अब बताते हैं कि अवैध लगान वसूली का ये धंधा कब और कैसे शुरू हुआ? 


तो इसे समझने के लिए आपको आज से करीब डेढ़ सौ साल पीछे जाना पड़ेगा. जब मीरा रोड और भयंदर के आसपास समंदर था और उसका खारा पानी घरों में घुस जाता था और फसलें तक खराब हो जाती थीं. इसके बाद साल 1870 में अंग्रेजों ने रामचंद्र लक्ष्मणजी नाम के जमींदार से एक सौदा किया और इस Agreement में तय हुआ था कि इस इलाके के आसपास एक बांध जैसा Structure बनाया जाएगा जो भयंदर से होते हुए मीरा रोड और फिर घोडबंदर रोड तक जाएगा जिससे इन इलाकों में समुद्र का खारा पानी नहीं घुस सके. इसके बदले रामचंद्र लक्ष्मणजी इस इलाके के किसानों से अगले 999 साल तक यहां उगने वाली फसल का एक तिहाई हिस्सा लगान के तौर पर वसूलेंगे.


यानी तब से भारत के आजाद होने तक और फिर आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद अबतक मीरा-भयंदर के लोगों से ये लगान वसूला जा रहा है. लेकिन, सवाल ये है कि The Estate Investment Company को ये लगान वसूलने का लाइसेंस कब और कैसे मिला? दरअसल, अंग्रेजों ने जिस जमींदार रामचंद्र लक्ष्मणजी को लगान वसूलने का हक दिया था, उन्होंने बाद में ये काम जयाबेन भद्रसेन नाम की महिला को दे दिया. जयाबेन भद्रसेन ने साल 1943 में लगान वसूलने का काम तीन लोगों को सौंप दिया..जो थे- गोविंदराम, रामनारायण श्रीलाल और चिंरंजीलाल श्रीलाल.. इनकी कंपनी का नाम था- गोविंदराम ब्रदर्स . साल 1945 में गोविंदराम ब्रदर्स ने लगान वसूलने का काम एक कंपनी को दिया जिसका नाम है - The Estate Investment Company.


और तब से लेकर अबतक यही प्राइवेट कंपनी मीरा-भयंदर के लोगों से इस लगान की वसूली कर रही है और ये सब इसलिए संभव है क्योंकि महाराष्ट्र के सरकारी विभाग खुद इस कंपनी को लगान वसूलने का लाइसेंस देकर बैठे हैं.


रेवेन्यू डिपार्टमेंट में भी जमीन का मालिक The Estate Investment Company


साल 2008 में the Estate Investment Company ने मीरा-भयंदर में 2905 एकड़ जमीन पर दावा किया था और साल 2015 में ठाणे कलेक्टर ने लगभग 8995 एकड़ जमीन इस प्राइवेट कंपनी को अवैध तरीके से Transfer भी कर दी. यहां तक कि महाराष्ट्र के रेवेन्यू डिपार्टमेंट में भी ज़मीन का मालिक The Estate Investment Company को बताया गया है.


इसी वजह से मीरा-भयंदर इलाके में जब भी कोई शख्स किसी भी जमीन सौदे की रजिस्ट्री करवाता है तो पहले the Estate Investment Company को लगान के तौर पर लाखों रुपये देने पड़ते हैं और उसके बाद सरकार को जमीन सौदे पर स्टाम्प ड्यूटी चुकानी पड़ती है. बड़ा सवाल ये है कि मीरा भयंदर के किसानों से ब्रिटिश काल में एक तिहाई फसल लगान के तौर पर वसूलने का करार हुआ था. तो फिर ये भू राजस्व में कैसे बदल गया? मतलब ये कि The Estate Investment Company को तो सिर्फ लगान वसूलने का अधिकार मिला था. वो मीरा भयंदर में जमीन की मालिक कैसे बन गई?