Kargil War: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सूरत में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कारगिल संघर्ष के दौरान भारत के संयम की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा कि भारत के पास 1999 में कारगिल में अपने दुस्साहस के लिए पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने का विकल्प था, लेकिन उस समय सरकार ने सेना को हमले के लिए सीमा पार नहीं करने का निर्देश दिया था. 


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असल में उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों द्वारा निर्धारित सिद्धांतों को बनाए रखने की हमारी प्रतिबद्धता के कारण, भारत उन देशों को अपना समर्थन देता है जिन्होंने पहले हमारे खिलाफ युद्ध छेड़ा था लेकिन वर्तमान में संकट का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत न तो दूसरे देशों के खिलाफ आक्रामकता की पहल करता है और न ही उसे बर्दाश्त करता है.


 जवाबी कार्रवाई करने का विकल्प था


उन्होंने कहा कि जब कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने हम पर हमला किया, तो भारत के पास हमारे पड़ोसी के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने का विकल्प था, अगर हमने ऐसा करने का विकल्प चुना होता. हालांकि हमारी सेना को सीमा पार न करने के स्पष्ट निर्देश मिले थे. सेना को केवल उनको निशाना बनाने का निर्देश दिया गया था जो हमारी सीमाओं के भीतर थे.


केवल उपद्रवी तत्वों को ही निशाना


भारत द्वारा पाकिस्तान के अंदर सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई हमले का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने यह सुनिश्चित किया था कि केवल उपद्रवी तत्वों को ही निशाना बनाया जाये. संघ प्रमुख ने कहा जब हमने उनके घर में हमला किया तो हमने पूरे पाकिस्तान को निशाना नहीं बनाया. हमने केवल उन लोगों पर हमला किया जो हमारे लिए परेशानी पैदा कर रहे थे.