Weather Update rain update monsoon update Kanpur Jagannath Temple: भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जो अद्भुत शक्तियों को समेटे हुए हैं. वहीं कुछ मंदिर ऐसे रहस्यमयी हैं, जिनका चमत्कार विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया है. यहां जिस मंदिर की बात आपको बता रहे हैं. वो मंदिर सदियों से मानसून की बारिश (Monsoon rain) की एकदम सटीक भविष्यवाणी करता आया है. यही वजह है कि इसे मौसम मंदिर भी कहा जाता है. कानपुर के घाटमपुर स्थित 4000 साल पुराने जगन्नाथ मंदिर की जहां मौसम की भविष्यवाणी होती है. यहां पर मौसम वैज्ञानिक नहीं बल्कि मंदिर से जुड़े लोग भविष्यवाणी करते हैं कि इस साल कैसी और कितनी बारिश होगी?  श्रद्धालुओं के मुताबिक इस मंदिर के गुंबद से निकली पानी की बूंदे तय करती है कि कानपुर और आसपास मौसम और मानसून (Monsoon) का मिजाज कैसा रहने वाला है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मुगलों से गया था छिपाया


इतिहास की किताबों में बाबर से लेकर औरंगजेब तक अयोध्या, मथुरा और वाराणसी के मंदिरों के विध्वंस की जो सच्चाई लिखी गई हैं वो बताती हैं कि मुगल बादशाह (Mughal Emperor) किस तरह क्रूर होने के साथ हिंदुओं से नफरत करते थे. मुगलों ने अपनी फौज के जरिए कैसे मंदिरों को लूटा, तोड़ा और तहस-नहस किया ये बात तो सब जानते हैं. लेकिन मौसम की भविष्यवाणी करने वाले इस मंदिर को मुगलों से छिपा लिया गया था, ताकि उसे बचाया जा सके. कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर एक जगह है बेहटा बुजुर्ग. जहां पर बना ये अति प्राचीन जगन्नाथजी का मंदिर सदियों से मौसम की भविष्यवाणी करता आया है.


कैसे होती है मंदिर से मौसम की भविष्यवाणी?


मानसून के 10 से 15 दिन पहले मंदिर के गुंबद से पानी की बूंदे ज्यादा होने का मतलब होता है की बारिश शानदार होगी. यदि मंदिर का गुंबद सूखा रहता है, तो इसका मतलब बारिश नहीं होगी. बूंदों की संख्या कम होने का मतलब होता है, कि बारिश बहुत कम होगी. सिर्फ कानपुर ही नहीं बल्कि आसपास के कई गांव के लोग जगन्नाथ मंदिर में बारिश से पहले निकलने वाली बूंदों का इंतजार करते हैं. भगवान से कामना करते हैं की अच्छी बारिश के संकेत मिले. 


'मंदिर का रहस्य विज्ञान की समझ से परे'


मंदिर से मिलने वाले संकेत ऐसे रहते हैं जो आज तक कभी भी गलत साबित नही हुए हैं. भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) के संरक्षित स्मारकों में शामिल ये मंदिर देश भर के वैज्ञानिकों के लिए रहस्य का विषय बना हुआ है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि अगर भगवान की छतरी यानी मंदिर का गुम्बद सूखा है तो बारिश का टोटा होगा. लेकिन अगर बूंदों की संख्या ज्यादा दिख रही है तो ये साफ हो जाएगा कि इस साल बारिश अच्छी होने वाली है. कई बार यहां पर वैज्ञानिक रिसर्च के लिए आ चुके हैं.


कानपुर के जगन्नाथ मंदिर का इतिहास


इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह कई बार टूटा और बना है. ASI के मुताबिक मंदिर के पत्थरों की कार्बन डेटिंग से बता चला है कि ये चार हजार साल से भी ज्यादा पुराना है. जगन्नाथ भगवान का ये मंदिर 3 भागों में बना है. गर्भगृह का एक छोटा भाग है, उसी से लगा हुआ बड़ा भाग है. ये तीनों भाग अलग-अलग समय अवधि में बने हैं. 


यहां भगवान विष्णु के पदचिन्ह


यहां पर भगवान विष्णु की प्रतिमा भी स्थापित है. यहां पद्मनाभ के पदचिन्ह विराजमान हैं. मंदिर की देखरेख करने वाले पुजारी केपी शुक्ला ने बताया कि मंदिर के इतिहास को लेकर कई मतभेद हैं. प्राचीन काल में अलग.अलग राजाओं ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया है. इस मंदिर के गुम्बद पर लगे सूर्य चक्र का भी विशेष महत्व बताया जाता है. ऐसी मान्यता है मंदिर के शिखर पर लगे इस सूर्य चक्र की वजह से इलाके में कभी आकाशीय बिजली नही गिरी है. इस मंदिर की बनावट रथ के आकार की है.