Cooum River: गंगा और यमुना के प्रदूषण का मामला लगातार उठता रहा है और पिछले कुछ सालों में सरकार ने इनकी सफाई को लेकर कई कदम उठाए हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि देश की सबसे प्रदूषित नदी कौन सी है. इसके खुलासा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार, चेन्नई के कूम नदी (Cooum River) को देश की सबसे प्रदूषित नदी करार दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक, अवाडी से सत्य नगर के बीच नदी में बायोमेडिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) 345 मिलीग्राम प्रति लीटर है, जो देश की 603 नदियों में सबसे ज्यादा है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दूसरे नंबर पर साबरमती और तीसरे पर बहेला नदी


गुजरात की साबरमती नदी (Sabarmati River) 292 मिलीग्राम प्रति लीटर के बीओडी के साथ दूसरे नंबर पर है, जबकि उत्तर प्रदेश की बहेला नदी (Bahela River) 287 मिलीग्राम प्रति लीटर के बीओडी मूल्य के साथ तीसरी सबसे प्रदूषित नदी है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले चार सालों में तमिलनाडु में प्रदूषित नदियों की संख्या में वृद्धि हुई है.


सीपीसीबीए (CPCB) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 से 2021 की अवधि के दौरान तमिलनाडु में 12 नदियों के पानी की गुणवत्ता की 73 स्थानों पर निगरानी की गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 नदियों के 53 स्थानों में बायो-मेडिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) निर्धारित जल गुणवत्ता मानदंडों का अनुपालन नहीं करते पाए गए.


तमिलनाडु की ये 10 नदियों में मानदंडों का अनुपालन नहीं


तमिलनाडु में 10 नदियां अड्यार, अमरावती, भवानी, कावेरी, कूम, पलार, सरबंगा, तामरैबरानी, वशिष्ठ और तिरुमनिमुथार में है, जहां बीओडी निर्धारित मानदंडों का अनुपालन नहीं किया गया. विशेष रूप से, पिछले कुछ सालों से तामराईबरानी और कूम नदियां पर्यावरणविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ निरंतर प्रदूषण के खिलाफ लगातार अभियान चला रही हैं.


सरकार ने कूम नदी की सफाई के लिए उठाए कई कदम


भले ही कूम नदी (Cooum River) देश की अत्यधिक प्रदूषित नदी बन गई है, लेकिन वर्तमान सरकार द्वारा इसे साफ करने के लिए कदम उठाए गए हैं. सरकार ने नदी के किनारे लगभग 80 प्रतिशत अतिक्रमण हटा दिया गया है और एगमोर, नुंगमबक्कम और चेटपेट में लैंग्स गार्डन में तीन उपचार संयंत्र स्थापित किए गए हैं. अधिकारी अब इसमें अनुपचारित सीवेज के प्रवाह को रोकने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.


प्रदूषित पानी का जैविक उपचार किया जाएगा और उसके बाद इसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अवसादन और निस्पंदन किया जाएगा. इसके बाद, कीटाणुशोधन के लिए पानी को क्लोरीनयुक्त किया जाता है और बागवानी जैसे गैर-पीने योग्य उद्देश्यों के लिए तैयार किया जाता है.
(इनपुट- न्यूज एजेंसी आईएएनएस)


भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com - अब किसी और की ज़रूरत नहीं