MP Loudspeaker Action: पिछले साल मध्यप्रदेश की सत्ता संभालने के बाद, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दो बड़े फैसले लिए थे. इसमें एक था, खुले में लगने वाली मांस की दुकानों पर प्रतिबंध और दूसरा था धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकरों को हर कीमत पर उतरवाना.


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लोकसभा चुनावों के मद्देनजर इस फैसले पर कुछ दिनों के लिए ब्रेक लग गया था. लेकिन अब एक बार फिर से इस आदेश का सख्ती से पालन करवाया जा रहा है. 25 मई को लाउडस्पीकरों पर सख्ती बरतने के मौखिक आदेश दिए गए,जिसके बाद पूरे मध्यप्रदेश में शासन से जुड़े अधिकारी, धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर उतरवाते नजर आ रहे हैं.


कई शहरों में उतारे गए लाउडस्पीकर


नीमच, इंदौर, उज्जैन, रतलाम और छतरपुर में लाउडस्पीकर उतारे जा रहे हैं. इसी तरह से पूरे मध्यप्रदेश की मस्जिदों, मंदिरों समेत अन्य धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाए जा रहे हैं.


लाउडस्पीकर्स को हटाने के पीछे ध्वनि प्रदूषण एक बड़ी वजह बताया गया है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2005 में एक नियम बनाया था कि, रात में 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर्स का इस्तेमाल नहीं होगा. इसके बाद इस आदेश में कुछ बदलाव हुए, जिसमें कहा गया कि वर्ष में 15 दिन रात में 12 बजे तक लाउडस्पीकर्स का इस्तेमाल हो सकता है.


क्या हैं लाउडस्पीकर के नियम


 हालांकि इसके बाद कई राज्यों की हाईकोर्ट ने अपने-अपने हिसाब से लाउडस्पीकर को लेकर नियम तय किए. मध्यप्रदेश में लाउडस्पीकर्स को उतारने की कार्रवाई भी,कोर्ट के इन्हीं आदेशों का पालन बताया जा रहा है. मध्यप्रदेश सरकार के इस कदम से धार्मिक स्थलों से जुड़े लोगों में नाराजगी है.


लाउडस्पीकर की कितनी होनी चाहिए आवाज?


मध्यप्रदेश का प्रशासन तय सीमा से ज्यादा ध्वनि प्रदूषण करने वाले लाउडस्पीकरों पर ये कार्रवाई कर रहा है. इसमें धार्मिक स्थल भी बड़े पैमाने पर शामिल हैं. Central Pollution Control Board ने ध्वनि प्रदूषण को लेकर एक तय सीमा बनाई है. मध्य प्रदेश सरकार इस तय सीमा के ज्यादा ध्वनि करने वाले लाउडस्पीकर्स पर कार्रवाई कर रही है. CPCB के मुताबिक


  • औद्योगिक क्षेत्रों में दिन के समय 75 डेसिबल और रात में 70 डेसिबल तक की ध्वनि की अनुमति दी गई है.

  • कमर्शियल यानी व्यापारिक क्षेत्र में दिन में 65 और रात में 55 डेसिबल की ध्वनि हो सकती है.

  • रिहायशी क्षेत्रों में ये सीमा दिन में 55 और रात में 45 डेसिबल है.

  • शांत क्षेत्रों जैसे अस्पतालों या स्कूलों के आसपास ये सीमा दिन में 50 और रात में 40 डेसिबल है.


लाउडस्पीकर से होने वाली अज़ान का शोर हो या मंदिरों में बजने वाले भजन कीर्तन का शोर हो, दोनों का बुरा असर, इंसान की सुनने की क्षमता पर पड़ता है. दिसंबर 2023 में मध्यप्रदेश सरकार के आदेश में भी ध्वनि प्रदूषण से पड़ने वाले बुरे असर के बारे में बताया था. इसी को आधार बनाकर, तेज बजने वाले लाउडस्पीकर्स पर कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है.