Shahjahan: मुगल बादशाह शाहजहां ने अपने सबसे छोटे बेटे दारा शिकोह को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था. हालांकि इतिहासकार मानते हैं कि दारा शिकोह को सियासत की बहुत गहरी समझ नहीं थी. दरअसल, शाहजहां नहीं चाहते थे कि उनका बेटा दारा शिकोह उनकी नजरों से दूर रहे. शाहजहां अपने बेटे दारा शिकोह से इतना प्रेम करते थे कि उनको कभी जंग पर नहीं भेजे. 


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दारा शिकोह के मुकाबले औरंगजेब ने 16 साल की उम्र में दक्षिण में एक बड़े सैन्य अभियान का नेतृत्व किया था. वहीं दारा शिकोह कविता लिखने, अनुवाद करने, धर्म शास्त्रों का अध्ययन करने में लगे रहते थे. शाहजहां की घोषणा के मुताबिक, उनके बाद हिंदुस्तान की गद्दी पर दारा शिकोह को बैठना था. लेकिन शाहजहां आधिकारिक रूप से दारा शिकोह को सिहांसन पर बैठाते उससे पहले ही औरंगजेब ने चाल चल दी. 


औरंगजेब ने कर लिया था कैद


शाहजहां के बीमार होते ही उनके बेटे औरंगजेब ने उन्हें कैद कर लिया. औरंगजेब ने पिता को सिंहासन से हटा दिया और आगरा में उन्हें कैद कर दिया गया. शाहजहां की घोषणा के विपरित औरंगजेब ने खुद को बादशाह घोषित कर दिया. 


औरंगजेब की इस घोषणा को दारा शिकोह ने चुनौती दी थी, जिसके बाद दोनों भाइयों में उत्तराधिकार की लड़ाई हुई. बीबीसी पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में इटालियन इतिहासकार निकोलाओ मनूची के हवाले से बताया गया है कि दारा शिकोह ने जब औरंगजेब के हमले का जवाब देने के लिए सैनिकों को आदेश दिया, पता चला कि उनके सैनिक जल्दबाजी में तोप पीछे ही छोड़कर आ गए हैं.


अफवाह की वजह से हारे दारा शिकोह


बीबीसी की ही रिपोर्ट में बताया गया है कि जंग की शुरुआत में दारा शिकोह की फौज औरंगजेब के सैनिकों को कड़ी टक्कर दे रही थी.  लेकिन तभी दारा शिकोह की तरफ से लड़ रहे ख़लीलउल्लाह ख़ां ने उन्हें सलाह दी कि वह हाथी से उतर जाएं. खां ने दारा को सलाह दी कि अगर वह हाथी पर बैठकर लड़ते हैं तो उन्हें दूर से निशाना बनाया जा सकता है.


दारा शिकोह ख़लीलउल्लाह ख़ां की सलाह मानकर हाथी से उतर गए और घोड़े पर बैठ गए, लेकिन इससे दूर तक फैले उनके सैनिकों को वह दिखाई देना बंद हो गए. इससे सैनिकों के बीचे अफवाह फैलने लगी कि कहीं उनके मुखिया को औरंगजेब के सैनिकों ने पकड़ तो नहीं लिया या उनकी मौत तो नहीं हो गई. 


ये अफवाह इतनी तेजी से फैली कि सैनि पीछे हटने लगे. औरंगजेब के सैनिकों ने मौके का फायदा उठाते हुए चढ़ाई कर दी और दारा शिकोह को हार मानकर मैदान छोड़ना पड़ गया. औरंगजेब से हारने के बाद दारा शिकोह आगरा, दिल्ली और पंजाब के रास्ते अफगानिस्तान भाग गए. लेकिन वहां भी उनके साथ धोखा हो गया. औरंगजेब के सैनिकों ने दारा शिकोह को पकड़ लिया. 


दारा शिकोह को औरंगजेब के दिल्ली दरबार में लाया गया. उन पर इस्लाम का विरोध करने आरोप लगाया. उन्हें खिज़राबाद की एक अंधेरी कोठरी में रखा गया, जहां औरंगजेब के आदेश पर उनका सिर धड़ से अलग कर दिया गया. 


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