Mughal Emperor Jehangir: सलीम (बाद में बादशाह जहांगीर) मुगल बादशाह अकबर का सबसे प्रिय शहजादा था. प्रिय शहजादा होने के पीछे की वजह भी थी. 1564 में जब अकबर के जुड़वा बेटों की मौत हुई उसके बाद लंबे समय तक वो पिता सुख से वंचित रहे. किसी ने सुझाव दिया कि फतेहपुर सीकरी जाकर शेख सलीम चिश्ती से मिलना चाहिए. अकबर, शेख सलीम चिश्ती से मिलने गए उनका आशीर्वाद भी लिया और उनसे कुछ सवाल भी पूछ बैठे. लेकिन इससे पहले यह जानना जरूरी है कि शेख सलीम चिश्ती से मिलने का सुझाव कैसे मिला.


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सलीम चिश्ती ने दिया था आशीर्वाद


इतिहासकारों के मुताबिक मुगल बादशाह अकबर शेख मोइनुद्दीन चिश्ती से प्रभावित थे. 1564 में जब उनके जुड़वां बेटों हसन और हुसैन की मौत हुई तो वो अजमेर गए और मन्नत मांगी कि अगर उन्हें औलाद हुई तो वो आगरा से अजमेर पैदल आएंगे और सिर झुकाएंगे. अपनी परेशानी का जिक्र अकबर ने दरबारियों से किया. दरबारियों ने बताया कि आगरा के पास ही मोइनद्दीन चिश्ती के शिष्य शेख सलीम चिश्ती रहते हैं और वो उनकी मुराद पूरी करने में मदद कर सकते हैं.दरबारियों की सलाह पर मुगल बादशाह अकबर फतेहपुर सीकरी पहुंचे. उन्होंने सीधे सीधे पूछा कि उन्हें कितने बेटे पैदा होंगे. इस सवाल के जवाब में सलीम चिश्ती ने कहा कि तुम्हें तीन बेटे पैदा होंगे. आगे चलकर अकबर को तीन बेटे पैदा हुए जिसमें से जहांगीर भी थे. हालांकि आपको आश्चर्य होगा कि जिसके आशीर्वाद से जहांगीर का जन्म हुआ वो उनकी मौत की वजह भी बन गए.


जब अकबर ने पूछ लिया सवाल


अकबर ने इसी तरह एक बार सलीम चिश्ती से सवाल किया कि वो इस दुनिया में कब तक रहेंगे, इस सवाल के जवाब में सलीम चिश्ती ने कहा कि शहजादा सलीम पहली बार किसी चीज को याद कर दोहराएंगे उसी दिन वो इस दुनिया को अलविदा कह देंगे. उसका असर यह हुआ कि अकबर नहीं चाहते थे कि सलीम कुछ पढ़ें लेकिन किसी दिन सलीम ने किसी पंक्ति को दोहराया और उसका असर सलीम चिश्ती के स्वास्थ्य पर पड़ा और कुछ दिनों के बाद वो दुनिया से कूच कर गए.