Mughal Dynasty: भारत में मुगल साम्राज्य (Mughal Empire) की स्थापना बाबर (Babur) ने 1526 में की थी और तब से लेकर 1857 तक दिल्ली की गद्दी पर अधिकतर मुगलों का ही शासन रहा. लेकिन खास बात ये है कि मुगल बादशाह औरंगजेब (Aurangzeb) के बाद शासन पहले जितना मजबूत कभी नहीं हुआ. मुगलों के होते हुए अहमद शाह अब्दाली और नादिर शाह जैसे लुटेरे भारत को लूटकर चले चले गए, यहां की जनता पर अत्याचार किया और आखिरकार 1857 की क्रांति के बाद मुगलों के अंतिम बादशाह बहादुर शाह जफर द्वितीय को भी गद्दी से हटाकर रंगून भेज दिया गया. मुगल सत्ता अबकर और औरंगजेब के काल के इतनी मजबूत दोबारा कभी नहीं हो पाई, आइए इसके पीछे का कारण जानते हैं.


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मुगलों के पतन का कारण


बता दें मुगलों के पतन का सबसे बड़ा कारण शाही परिवार में सत्ता के हस्तांतरण को लेकर होने वाले झगड़े थे. सत्ता हासिल करने के लिए मुगल बादशाहों ने अपने ही सगे भाइयों तक का खून बहाया. कई मुगल बादशाहों ने राजगद्दी के लिए अपने भाइयों को मौत के घाट उतार दिया. इससे शासन कमजोर हुआ. बादशाहत हासिल करने के लिए शाहजहां ने अपने भाइयों का कत्ल किया. इसके अलावा औरंगजेब ने भी अपने सगे बड़े भाई दारा सिकोह का खून बहाया. अकबर का भी अपने सौतेले भाई मिर्जा हाकिम से विवाद चला.


मुगलों के वंशजों में विवाद


औरंगजेब ने भी अपने तीनों बेटों को अलग-अलग इलाकों का गवर्नर बना दिया था. उन्होंने मुअज्जम को काबुल का, आजम को गुजरात का और कामबक्श को बीजापुर का गवर्नर बनाया था. लेकिन बाद में तीनों बेटों में मतभेद पैदा हुआ, जो आगे चलकर उत्तराधिकार को लेकर गुटबंदी का कारण बना. आगे के वंशजों में भी इसी प्रकार के झगड़े होते रहे.


सहदायिक उत्तराधिकार की नीति


जान लें कि मुगल उत्तराधिकार के लिए सहदायिक उत्तराधिकार की नीति को अपनाते थे. सहदायिक उत्तराधिकार के तहत राजा के बेटों में राज्य को बांट दिया जाता था. लेकिन इससे राज्य कमजोर होता था. एक बड़ा ताकतवर राज्य कई हिस्सों में बंट जाता था.


इसके अलावा सहदायिक उत्तराधिकार की वजह से राज्य जब बंटे तो बादशाह के बेटों में महत्वाकांक्षा का टकराव हुआ और वे आपस में ही लड़ गए. इससे भी मुगल शासन को नुकसान हुआ.


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