Vice Presidential election 2022: पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में एक जाना-माना मुस्लिम चेहरा हैं. राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त होने पर हाल ही में उन्होंने हाल केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के पद से इस्तीफा दिया है. उनके इस्तीफे के बाद से सियासी गलियारों में अटकलें लगाई जा रही हैं कि उनका कद और बढ़ने वाला है. भाजपा उन्हें एनडीए के उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना सकती है या उन्हें उपराज्यपाल के तौर पर जम्मू-कश्मीर की जिम्मेदारी दी जा सकती है.


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उपराष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवारी पर क्या बोले नकवी?


राजनीति में अपने जीवन के 47 साल बिता चुके नकवी से जब उपराष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारी को लेकर पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट किया कि 'उन्हें एनडीए का उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाएगा या फिर उन्हें जम्मू-कश्मीर की जिम्मेदारी दी जाएगी, इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है'.


नूपुर शर्मा के बयान पर क्या बोले नकवी


भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के विवादित बयान पर नकवी ने कहा कि भाजपा सरकार ने न तो भागलपुर, भिवंडी और गोधरा जैसे दंगे देखे हैं और न ही देश में कोई बड़ी आतंकी घटना देखी है. विपक्षी दल इन तथ्यों को पचा नहीं पा रहे हैं, इसका कारण यह है कि वे भाजपा की मोदी सरकार बनने के बाद से अवार्ड रिटर्न, असहिष्णुता और लिंचिंग की कहानियां बना रहे हैं. देश में कुछ ऐसे फ्रिंज तत्व भी हैं जो शांति, सद्भाव और विकास के माहौल को खराब करना चाहते हैं.


'सांप्रदायिक हिंसा कहीं नहीं होनी चाहिए'


नकवी ने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा कहीं नहीं होनी चाहिए. उन्हें नियंत्रित करने की मंशा और नीति सही होनी चाहिए. लोग अब बुलडोजर पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन दंगाइयों की ओर इशारा करने से कतरा रहे हैं. धमकी देने वाले इंसानियत के साथ-साथ दुश्मन भी हैं. इस्लाम, तालिबान या अल कायदा नहीं हो सकता. इस आरोप पर कि सरकार नूपुर शर्मा के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने से कतरा रही है, उन्होंने कहा कि एजेंसी, और पुलिस कानून के अनुसार अपना काम कर रही हैं. अगर एजेंसी कुछ गलत कर रही है, तो अदालतें हैं और हमें इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए.


'मोदी सरकार ने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया'


पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी तीन बार राज्यसभा के लिए चुने जा चुके हैं और 17 साल की कम उम्र से ही सामाजिक और राजनीतिक जीवन में शामिल हो गए थे. उन्होंने एक दैनिक हिन्दी समाचार पत्र से कहा कि केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के रूप में उन्होंने देश के अल्पसंख्यकों की बेहतरी के लिए बहुत कुछ किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि मंत्रालय की प्रकृति पहले एक मुस्लिम मंत्रालय थी, लेकिन अब इसमें न केवल मुस्लिम, बल्कि ईसाई, पारसी, बौद्ध, जैन और सिख भी शामिल हैं. उन्होंने यह कहते हुए भी गर्व महसूस किया कि मंत्रालय ने गरिमा के साथ काम किया और तुष्टीकरण की पुरानी प्रथा को त्याग दिया. उन्होंने कहा कि कोई भी यह आरोप नहीं लगा सकता कि मोदी सरकार ने किसी के साथ भेदभाव किया है.


'केवल मुसलमानों के विकास की शपथ नहीं ली'


देश में मुसलमानों की आबादी लगभग 16% है, लेकिन मोदी सरकार में उनके जाने के बाद समुदाय का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है? इस सवाल का जवाब देते हुए नकवी ने कहा कि उन्होंने शपथ नहीं ली कि वह केवल मुसलमानों के विकास के लिए काम करेंगे. सभी मंत्रियों ने संवैधानिक रूप से समाज के सभी वर्गों के विकास के लिए काम करने का संकल्प लिया है. भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की नीति और मंशा 'सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास' की रही है. अब तक मुस्लिम समाज का राजनीतिक रूप से शोषण किया गया है और जानबूझकर राजनीतिक सशक्तिकरण से दूर रखा गया है. प्रधानमंत्री मोदी ने आवास योजना के तहत 3.31 करोड़ लोगों को मकान दिए हैं और इनमें से 31 फीसदी अल्पसंख्यकों को दिए गए हैं. किसान सम्मान निधि में अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी भी 35 फीसदी है, जबकि मुद्रा योजना के तहत 35 फीसदी को लाभ मिला है. उन्होंने कहा कि जब हमने विकास में भेदभाव नहीं किया तो कोई समुदाय हमें वोट देने में भेदभाव क्यों करे.


'5 बार चुनाव लड़े, 4 बार हारे'


यह पूछे जाने पर कि राजनीति में देश की सबसे बड़ी अल्पसंख्यक आबादी का प्रतिनिधित्व न करने से नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, उन्होंने इस विचार को गलत बताया. नकवी ने कहा कि यदि कोई सांसद या विधायक नहीं बनता है, तो वह आतंकवादी नहीं बनेगा. ऐसी सोच फिर से समाज के एक वर्ग को विकास की मुख्यधारा से काटने का प्रयास होगा. नकवी ने भाजपा द्वारा मुसलमानों को चुनाव में टिकट नहीं देने के विचार पर भी कटाक्ष किया और कहा कि उन्होंने भाजपा के टिकट पर 5 बार चुनाव लड़ा, लेकिन 4 बार हारे और केवल एक बार जीते. मैंने विभिन्न स्तरों पर पार्टी में काम किया है. भाजपा ने संसद और विधानसभा चुनावों के लिए देश भर के चुनावों में मुसलमानों को 350 से अधिक टिकट दिए हैं.


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