मंगेतर को अश्लील मैसेज भेजना क्या अपराध है? जानें अदालत ने क्या फैसला सुनाया
मुंबई के सत्र न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा है कि मंगेतर को शादी से पहले अश्लील मैसेज भेजना किसी की गरिमा का अपमान नहीं हो सकता. कोर्ट ने यह भी कहा कि शादी का वादा करके मुकर जाने को धोखा देना या बलात्कार नहीं कहा जा सकता है. इसके साथ ही कोर्ट ने युवक को सभी आरोपों से बरी कर दिया.
मुंबई: मंगेतर को अश्लील मैसेज (Obscene Messages) भेजना क्या अपराध है? मुंबई की एक अदालत ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में इस सवाल का जवाब दिया है. अदालत ने शादी का वादा कर रेप के मामले में एक शख्स को यह करते हुए बरी कर दिया कि मंगेतर को शादी से पहले अश्लील मैसेज भेजना किसी की गरिमा का अपमान नहीं हो सकता. सत्र न्यायालय (Sessions Court) ने अपने फैसले में कहा कि शादी से पहले मंगेतर को भेजे गए ऐसे मैसेज एक-दूसरे की भावनाओं को समझने वाले हो सकते हैं. इससे संबंधित महिला की गरिमा का अपमान नहीं हो सकता.
नाखुशी जाहिर करने का अधिकार
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, एक 36 वर्षीय शख्स पर 11 साल पहले उसकी मंगेतर ने शादी का झांसा देकर बलात्कार (Rape) का आरोप लगाया था. इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यदि कोई किसी दूसरे को पसंद नहीं करता तो यह उसका अधिकार है कि वह अपनी नाखुशी दूसरे शख्स को बता दे और दूसरा पक्ष इस तरह की गलती से बचे. इन संदेशों का उद्देश्य मंगेतर के सामने अपनी इच्छाओं को बताना, सेक्स की भावना जगाना आदि हो सकता है.
ये भी पढ़ें -पटाखे नहीं इस वजह से घुटा दिल्ली का दम, नासा ने अपनी रिपोर्ट में किया खुलासा
शादी से मुकरना बलात्कार नहीं
कोर्ट ने आगे कहा, ‘इन संदेशों से हो सकता है कि मंगेतर को भी खुशी हो, लेकिन ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि ऐसे SMS किसी से शादी करने वाली महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले हैं’. बता दें कि महिला ने 2010 में शख्स के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी. यह कपल 2007 में मेट्रीमोनियल वेबसाइट पर मिला था. युवक की मां इस शादी के खिलाफ थी. जिसके बाद 2010 में युवक ने युवती के साथ अपने रिश्ते खत्म कर लिए. कोर्ट ने युवक को बरी करते हुए कहा कि शादी का वादा करके मुकर जाने को धोखा देना या रेप नहीं कहा जा सकता है.
मां के आगे किया था सरेंडर
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि युवक एक आर्य समाज हॉल में मंगलसूत्र के साथ गया था, लेकिन शादी के बाद झगड़ा और उसके बाद की स्थितियों के कारण उसने अपने कदम पीछे खींच लिए और अपनी मां के आगे सरेंडर कर दिया. युवक ने अपनी मां की इच्छा को मानते हुए समस्या का सामना करने के बजाए इससे बचना चाहा. वह इसका सही तरीके से समाधान नहीं कर पाया और वापस लौट आया. यह शादी का झूठा वादे का मामला नहीं है. यह प्रयासों को सही तरीके से नहीं करने का मामला है.