DNA Testing Methods Emotional Story: अमेरिकी की मिस्टी लाबीन जब महज एक साल की थी तब उसकी मां लापता हो गईं थी. करीब 40 साल बाद, एक अजनबी के फोन कॉल ने उसे यह समझने में मदद की कि उसे अपनी बाकी जिंदगी मां के बिना क्यों बितानी पड़ी. मिस्टी लाबीन आज खुश है कि उसे वो पता चल गया वो जानती थी. उसकी मां ने अपना परिवार क्यों छोड़ दिया. कोनी क्रिस्टेंसन का गायब होना उसके बाकी रिश्तेदारों के लिए अप्रत्याशित नहीं था. उन्हें उसकी परवाह नहीं थी. ऐसे में मिस्टी को ये सवाल हमेशा खाए जा रहा था कि मेरी मां मुझे इस तरह कैसे छोड़ सकती थी? मिस्टी ने अपनी दुखभरी कहानी दुनिया को सुनाते हुए कहा कि वो अपने बच्चों के साथ ऐसा कभी नहीं करेगी. 


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'खुसुर-फुसुर होती थी-कोई कुछ बताता नहीं था'


बचपन में मिस्टी ने केवल अपनी मां के बारे में खुसुरफुसुर ही सुनी थी. उसके फैमिली के बाकी लोगों को मिस्टी की मां के फैसले से ठेस पहुंची थी. वो क्रिस्टेंसन के बारे में बात करने से भी कतराते थे. लेकिन सैकड़ों मील दूर भी कुछ लोग इस रहस्य का जवाब तलाश रहे थे. कुछ लोगों की तरह उसे भी उम्मीद थी कि बीतते समय के साथ जब साइंस और तरक्की करेगी तो शायद उसे अपने सवाल का जवाब यानी अपनी मां का पता चल जाएगा. यानी मिस्टी को वो चाभी मिल जाएगी जिसकी मदद से एक बेटी समझ जाएगी कि क्यों उसकी मां उससे दूर चली गई.


पहली बार DNA से मिला सुराग


सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक एक बेटी की कहानी में कई पात्र थे. जो उसके मददगार बनें. उसने हर मुमकिन कोशिश की. उसकी कहानी बताते हुए वेन काउंटी के अफसर ने बताया, उस दौर में एक स्केच आर्टिस्ट था जिसने पहली बार दिसंबर 1982 में पूर्व-मध्य इंडियाना में पाए गए अवशेषों के चेहरे को फिर से बनाने के लिए मिट्टी की प्रतिमा बनाने का अनोखा प्रयोग करता था. तभी कुछ शिकारियों ने कुछ शवों  के अवशेषों को एक ग्रामीण इलाके में पाया. मृतकों को पहचानना मुश्किल था. जांच के लिए वो अवशेष सैंपल के रूप में इंडियानापोलिस यूनिवर्सिटी पहुंचे. हालांकि प्रशासनिक अफसरों ने उनकी पहचान जानने की अपनी कोशिश कभी बंद नहीं की.


डीएनए से लोगों को पहचानने की शुरुआत हो चुकी थी. साइंस तरक्की कर रही थी. शोधकर्ताओं ने दो पीढ़ियों के भीतर, लापता और मृतक लोगों की पहचान के लिए छोटे-छोटे ग्राफ बनाकर, अवशेषों से उन सबूतों की खोज करनी शुरू कर दी थी, जिससे ये पता चल जाता था कि मृतक कौन था?


क्राइम पेट्रोल जैसे सीरियलों या हिस्ट्री, जियोग्राफी चैनलों या जासूसी/हॉरर फिल्मों में आपने डीएनए के जरिए अपराध की दुनिया की कई अनसुलझी गुत्थियों को सुलझते देखा होगा. ये कहानी भी कुछ ऐसी ही है. वास्तव में, बीते कुछ सालों में तकनीक इतनी डेवलप हो गई है जो 100% सही पहचान करती है. 


मिस्टी की मां की तलाश के केस में भी यही हुआ. 2021 में, वेन काउंटी के अफसरों ने मार्टिंडेल क्रीक के पास मिले सबूतों की फिर से पड़ताल करने का फैसला किया ताकि नई तकनीक से उनसे कोई DNA निकाल जा सके ताकि ये पता चल सके कि वो अवशेष किसके थे? 


पहली कोशिश नाकाम रही


पहली कोशिश इसलिए नाकाम रही क्योंकि रिसर्च करने योग्य DNA प्रोफ़ाइल बनाने के लिए पर्याप्त आनुवंशिक सामग्री नहीं थी. इसलिए दूसरे तरीकों से डीएनए निकालने की कोशिश की गई. आखिर में रिसर्चर ओग्डेन और उनकी टीम ने पैर की हड्डी से डीएनए जुटाने की कोशिश की. 


ट्विस्ट जिसने सुलझाई पहेली


तभी लापता क्रिस्टेंसन की फैमिली के एक सदस्य ने परिवार की वंशावली में रुचि ली. जो अपने रिश्तेदारों को सार्वजनिक स्रोतों में डीएनए रिकॉर्ड जमा करने की मुहिम में जुटा था, ताकि फैमिली ट्री बनाने का काम पूरा हो सके. जब मिस्टी की मां क्रिस्टेंसन गायब हुई थी तब इलाके में एक हत्यारे की दहशत थी जो खूबसूरत महिलाओं को निशाना बनाता था. पुलिस के मुताबिक उसने कम से कम आठ महिलाओं की हत्या की थी. कत्ल की गुत्थी सुलझाने के लिए DNA मैच कराने का फैसला हुआ. तभी पुलिस गोल्डन स्टेट में सक्रिय एक हत्यारे तक पहुंची जिस पर एक दर्जन हत्याओं और 50 से अधिक युवतियों और महिलाओं से रेप करने का आरोप था.


गोल्डन स्टेट मामले में अधिकारियों ने फैमिली ट्री बनाने वाली संस्थाओं से मदद ली. वंशावली जैसी सार्वजनिक सेवाओं से डीएनए प्रोफाइल या वंशावली डेटा का उपयोग करके बनाए गए संभावित संदिग्धों के एक पूल के साथ अपराध-स्थल डीएनए को जोड़ने के लिए मुफ्त वंशावली और डीएनए डेटाबेस GEDmatch का उपयोग किया. ये कुछ वैसा था जिस तरह से क्रिस्टेंसन के रिश्तेदार ने अपनी फैमिली ट्री बनवाने के लिए अपना-अपना डीएनए देने का फैसला किया था. 


GEDmatch डेटाबेस का इस्तेमाल डीएनए डोए नाम का NGO  गुमनाम अवशेषों की पहचान के लिए करता है.


रिसर्चर ओग्डेन ने कहा, उनकी टीम ने अन्य समूहों के साथ काम करते हुए मार्टिंडेल क्रीक इलाके से मिली पैर की हड्डी से डीएनए निकाला. उसे उस दौर में फैमिली ट्री बनवा रहे लोगों के डीएनए से मैच कराया गया. तभी एक महिला की उस हड्डी के बारे में पहला ब्रेक थ्रू मिला जिसे शिकारियों ने 1982 में पाया था.


डीएनए डो प्रोजेक्ट के लोरी फ्लावर्स ने तब कहा कि उस मिसिंग केस को लेकर पहली बार उनके पास कुछ ऐसा था जो ठोस था. फिर एनजीओ ने क्रिस्टेंसेन के अन्य भाई-बहनों के डीएनए जुटाए और मार्टिंडेल क्रीक अवशेषों के संभावित डीएनए लिंक के GEDmatch के पूल से मैच किया. सोशल मीडिया का सहारा भी लिया गया. फैमिली की सोशल मीडिया पोस्ट और रिश्तेदारों की मौत का डेटा खंगालते हुए, जांचकर्ताओं की नजर कोनी क्रिस्टेंसन नाम पर अटक गई जो अपनी फैमिली के सार्वजनिक रिकॉर्ड से गायब हो गई थी. लेकिन उन्हें अभी भी इसकी पुष्टि करनी थी.


रिसर्चर ओग्डेन मिसिंग महिला की बेटी मिस्टी लाबीन तक पहुंचे. वो भी अपने तरफ से मां के बारे में सब कुछ जानना चाहती थी कि उसकी मां के साथ उस दौर में क्या हुआ होगा? 


40 साल बाद आई वो फोन कॉल


ओग्डेन ने ये मिसिंग पहेली सुलझाते हुए बताया कि मैंने ही उसकी बेटी को फोन करके कहा, 'मैं पूरी तरह अजनबी हूं, क्या मैं आपके पास आ सकती हूं... वो रोने लगी, उसे अपनी मां की पहचान हर हाल में करनी थी. हमें उसका मैच मिल चुका था. क्योंकि हमें जिस पैर की हड्डी मिली थी वो उसकी मां थी. 


कुछ और सवाल


क्रिस्टेंसन की पहचान के अलावा, प्रशासन ने ये भी पता लगा लिया कि मिस्टी की मां की मौत कैसे हुई थी. पूरे केस पर अपनी नजर रखने वाले ओग्डेन ने बताया कि मिस्टी की मां की मौत एक बंदूक की गोली लगने से हुई थी. बॉडी के अवशेषों पर एक घाव का पता चला था. तब लाबीन, मार्टिंडेल क्रीक की उस लोकेशन पर पहुंची. जहां उसकी मां के अवशेष मिले थे. लाबीन ने ओपल की अंगूठी भी खोज निकाली जो उसकी मां ने अपनी मौत के समय पहनी थी. आज मिस्टी खुद एक मां है, उसके गले में वैसी ही एक चेन है.


आखिर में मिस्टी अपनी फैमिली के साथ वहां पहुंची, जहां मां के अवशेष मिले थे. उन्होंने वहीं उन्हें दफनाकर. फूल चढ़ाए. उन्हे श्रद्धांजलि दी और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की. इस तरह करीब 40 साल बाद मिस्टी का दिमाग शांत हुआ क्योंकि उसे अपनी मां के बारे में पता चल गया था कि आखिर उनके साथ क्या हुआ था.