4% Muslim quota In karnatka: कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय सरकार पर 4% आरक्षण बहाल करने का दबाव बढ़ा रहा है, उसके पीछे कहानी है कि मुस्लिम का एकतरफा वोट देना. मुस्लिम समुदाय ने 4% आरक्षण बहाल करने के लिए इस महीने तीन विधानसभा चुनाव में जिस तरह वोट कांग्रेस को दिया है, इसके बाद सरकार अब दवाब महसूस कर रही है. पिछले साल के विधानसभा चुनावों में मतदान पैटर्न से पता चलता है कि समुदाय कांग्रेस पार्टी के पीछे एकजुट हो गया था.  2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए कोटा खत्म करना एक अहम चुनावी मुद्दा बन गया था, जिसमें सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के नेतृत्व में पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई. 


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यह समुदाय का अधिकार: कांग्रेस विधायक रिजवान
शिवाजीनगर के कांग्रेस विधायक रिजवान अरशद को पूरा भरोसा है कि कोटा बहाल किया जाएगा और इस बात पर जोर दिया कि यह समुदाय का "अधिकार" है. उन्होंने कहा, "हमें भी सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग में रखा गया है." "अदालतों ने जांच के बाद आरक्षण को तर्कसंगत बनाया है. इसे हमसे रातोंरात नहीं छीना जा सकता."


कांग्रेस कर रही सही समय का इंतजार
दो बार के विधायक ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य सरकार मुसलमानों के हितों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में सक्रिय रूप से केस लड़ रही है. उन्होंने कहा, "समुदाय को सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलने का भरोसा है." कांग्रेस पार्टी के सूत्रों का कहना है कि 4% कोटा बहाल करने का काम कमोबेश पूरा हो चुका है, लेकिन सरकार आधिकारिक घोषणा करने के लिए "सही समय" मिलने का इंतजार कर रही है. लोकसभा और उपचुनावों ने इस मुद्दे पर कार्रवाई में देरी की क्योंकि सरकार को डर था कि इससे लिंगायत और वोक्कालिगा वोट अलग-थलग पड़ जाएंगे, जिन्हें भाजपा सरकार के 2023 के फैसले के बाद 2% अतिरिक्त कोटा मिला था.


मुस्लिम अब सरकार पर बन रहे दबाव
एक मुस्लिम विधायक ने हाल के चुनावों में कांग्रेस के लिए समुदाय के भारी समर्थन की ओर इशारा करते हुए कहा, "हालांकि संशोधित भाजपा कोटे पर सुप्रीम कोर्ट के रोक का मतलब है कि मुसलमानों के लिए तत्काल कोई परेशानी नहीं है, हम जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलकर कोटा बहाल करने के लिए दबाव डालेंगे."


4% कोटा बहाल करने का है मामला पुराना
यह मुद्दा 1986-87 का है. जब ओ चिन्नप्पा रेड्डी आयोग ने श्रेणी 2बी के तहत मुसलमानों, बौद्धों और ईसाई धर्म में परिवर्तित अनुसूचित जातियों को 6% आरक्षण दिया था. इसे लगभग तुरंत कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कुल आरक्षण 50% की सीमा का उल्लंघन न करे. 1995 में कर्नाटक में जनता दल की सरकार का नेतृत्व कर रहे पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने मुसलमानों के लिए अलग से 4% आरक्षण की शुरुआत की और बौद्धों और एससी-धर्मांतरित ईसाइयों को आरक्षण मैट्रिक्स की श्रेणी 1 और 2ए में समायोजित किया. यह नियम कानून 27 मार्च, 2023 तक बरकरार रहा, इसके बाद बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने मुस्लिम कोटा खत्म कर दिया और नव निर्मित 2सी और 2डी श्रेणियों के तहत लिंगायत और वोक्कालिगा को 2-2% बढ़ा दिया. अब जिस तरह सरकार को मुस्लिम वोट मिल हैं, उसके बाद कांग्रेस दवाब में दिख रही है. मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.लेकिन इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि कोटा बहाल होगा या नहीं और कब होगा.