DNA: देश के कट्टरपंथी मुस्लिम नहीं चाहते हैं, मुसलमान दूसरे धर्म के प्रति उदार बने. इस्लामोफोबिया का गाना गाते है. सहानुभूति बटोरते है लेकिन वो कभी नही चाहते कि इस्लाम को मानने वाले लोग, दूसरे धर्मों की इज्जत करें. हमारे देश में कट्टरपंथियों की इस मानसिकता की दो तस्वीरे आपको दिखाने जा रहे हैं.


रामभक्त मुस्लिमों और शिवभक्त मुस्लिमों दोनों से चिढ़


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कट्टरपंथियों को ऐसे मुस्लिमों से परेशान है जो दूसरे धर्म के भगवानों को भी इज्जत देते हैं. कट्टरपंथियों को रामभक्त मुस्लिमों और शिवभक्त मुस्लिमों दोनों से चिढ़ है. अयोध्या में रामधुन बजाने और गुनगुनाने वाले एक मुस्लिम परिवार पर कट्टरपंथियों ने कुल्हाड़ियों से हमला कर दिया. इसी तरह से कानपुर में शिव पूजा करने वाली एक मुस्लिम महिला के खिलाफ कट्टरपंथियों का गुस्सा फूट पड़ा है.


आपको जानकर हैरानी होगी कि ये दोनों ही लोग,राजनीतिक रूप से जुड़े हुए बड़े नेता हैं. बावजूद इसके कट्टरपंथियों ने इन्हें रामभक्त और शिवभक्त होने की सज़ा दी है. चलिए हम आपको धार्मिक उदारवाद के सबसे बड़े दुश्मनों की मानसिकता से जुड़ी एक रिपोर्ट दिखाते हैं.


कट्टरपंथियों को मिर्ची लग गई..


एक उदार मुसलमान ने रामधुन क्या सुन ली. कट्टरपंथियों को मिर्ची लग गई. एक उदार मुसलमान ने रामनाम क्या गुनगुना दिया कट्टरपंथियों ने उसके पूरे परिवार पर कुल्हाड़ियों से हमला कर दिया.


बबलू खान अयोध्या में लोग इन्हें रामभक्त बबलू खान कहते हैं. इनकी ये हालत इनके कट्टरपंथी पड़ोसियों ने की है. आरोप है रामधुन बजाने की वजह से उनको और उनके परिवार को जान से मारने की कोशिश की गई. उनका कहना है कि मेरे कार्यालय पर मित्र आए थे ,गाड़ी में गाना लगवाया..राम आएंगे. राम धुन पर मस्त होकर गुनगुना लगे मेरे रिश्तेदार को नागवार गुजरा...वो गाली देने लगे. उन्होंने कहा कि यहां मुजरा कर रहे हो.


बबलू खान को कट्टरपंथियों से जान का खतरा रहा है. पिछले कई वर्षों से बबलू खान इस्लामिक कट्टरपंथियों के निशाने पर रहे हैं. वो इनसे इसलिए चिढ़ते हैं, क्योंकि बबलू खान अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे. रामधुन गुनगुनाने की वजह से किए गए इस हमले पर संत समाज भी गुस्से में हैं.


कट्टरपंथियों का हमला केवल एक रामभक्त पर ही नहीं हुआ है. इसी तरह की एक घटना शिव पूजा करने गईं. समाजवादी पार्टी नेता नसीम सोलंकी से भी जुड़ी हुई है. नसीम सोलंकी कानपुर के वनखंडेश्वर मंदिर में पूजा करने गईं थीं. उन्होंने शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के बाद उसे छूकर प्रार्थना भी की. बस यही बात कट्टरपंथियों को चुभ गई. इसके बाद नसीम के खिलाफ मौलानाओं का गुस्सा फूट पड़ा


नसीम सोलंकी की शिवभक्ति राजनीति से प्रेरित भी हो सकती है. दरअसल वो यूपी उपचुनाव में सीसामऊ सीट से सपा उम्मीदवार हैं. इसी वजह कुछ लोग नसीम सोलंकी की शिव पूजा को छल कपट की तरह देख रहे हैं. यही वजह है कि नसीम के जाने के बाद वानखंडेश्वर मंदिर को गंगाजल से शुद्ध किया गया है. हालांकि मंदिर में आने वाले भक्तों को नसीम के मंदिर आने से दिक्कत नहीं है. बल्कि वो कट्टरपंथी मौलानाओं की प्रतिक्रिया से गुस्से में आ गए हैं. उनके मुताबिक अगर मंदिर आने को गलत बताकर इस्लामिक फतवे जारी होंगे, तो बदले में मंदिर का भी शुद्धिकरण भी किया जाएगा.


ब्यूरो रिपोर्ट, जी मीडिया