नई दिल्ली: म्यांमार (Myanmar) में तख्तापलट करने वाली सेना (Army) के खूनी खेल से पुलिस भी नाखुश है. कई पुलिसकर्मियों (Myanmar Police Officers) को लगता है कि अपने लोगों पर गोली चलाना गलत है, लेकिन उनके पास आदेश मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं. यही वजह है कि कम से कम 19 पुलिसकर्मी गुपचुप तरीके से भारत पहुंच गए हैं, ताकि उन्हें सेना के आदेश पर अमल करने के लिए मजबूर न होना पड़े. ये पुलिसकर्मी पूर्वोत्तर से लगी सीमा से भारत में दाखिल हुए हैं और कुछ वक्त के लिए शरण चाहते हैं.


और लोगों के आने की संभावना


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हमारी सहयोगी वेबसाइट WION में छपी खबर के अनुसार, एक स्थानीय अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि म्यांमार पुलिस के जवान उत्तर-पूर्वी राज्य मिजोरम (Mizoram) के चंफई और सेरछिप जिले में पहुंचे हैं. सभी छोटी रैंक वाले पुलिसकर्मी हैं और उनके पास कोई हथियार भी नहीं है. अधिकारी ने खुफिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अभी और लोगों के सीमा पार करके यहां आने की उम्मीद है.


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Home Ministry को बताया 


चंफई जिले के अधिकारी ने बताया कि सीमा कुछ हद तक खुली हुई है और सभी पुलिसकर्मी पैदल चलते हुए भारत पहुंचे हैं. इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय को सूचित कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि स्थानीय लोगों ने सबसे पहले चंफई में भारत-म्यांमार सीमा के पास इन पुलिसकर्मियों को देखा था, जिन्होंने बाद में अधिकारियों को इसकी जानकारी दी. एक अधिकारी ने कहा कि जिस तरह के हालात हैं, उसे देखते हुए इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि और लोग लोग म्यांमार से भारत का रुख करें


1,643 किमी की है सीमा 


भारत म्यांमार के साथ 1,643 किलोमीटर (1020 मील) की सीमा साझा करता है, जहां 1 फरवरी के तख्तापलट के बाद कम से कम 54 लोग मारे जा चुके हैं. सेना ने लोकतांत्रिक सरकार को हटाते हुए सत्ता पर कब्जा कर लिया और आंग सान सूची सहित सभी प्रमुख नेता उसकी गिरफ्त में हैं. अमेरिका सहित दुनिया के कई देश गिरफ्तार नेताओं की रिहाई की अपील कर चुके हैं, लेकिन सेना कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है.


America ने दिया ये बयान


बुधवार के खूनी संघर्ष के बाद एक बार फिर से अमेरिका ने म्यांमार की सेना से शांति बनाए रखने की अपील की है. साथ ही अमेरिका ने कहा है कि दुनिया के सभी देशों को म्यांमार के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस (Ned Price) ने कहा कि बुधवार को जो कुछ हुआ, उससे हम निराश और दुखी हैं. हम चाहते हैं कि सभी देश मिलकर सैन्य शासन की बर्बर कार्रवाई के खिलाफ आवाज उठाएं. म्यांमार में जो कुछ हो रहा है उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.