नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौकरियों और शिक्षा में सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से पिछड़े तबके को 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान करने वाला विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पारित होने पर इसे देश के इतिहास में ''ऐतिहासिक क्षण'' करार दिया. लोकसभा में यह विधेयक पारित होने के बाद किए गए ट्वीट में मोदी ने कहा कि इसने एक ऐसे प्रभावी उपाय को हासिल करने की प्रक्रिया को गति दी है जिससे समाज के सभी वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित होगा. मोदी ने कहा, ''यह सुनिश्चित करना हमारा प्रयास है कि हर गरीब व्यक्ति, चाहे वह किसी भी जाति या संप्रदाय का हो, गरिमापूर्ण जीवन जिये और उसे हर संभव मौके मिलें.'' 


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प्रधानमंत्री ने इस विधेयक का समर्थन करने वाली हर पार्टी के सांसदों का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा, ''हम निश्चित तौर पर ‘सबका साथ, सबका विकास’ के सिद्धांत को लेकर प्रतिबद्ध हैं.'' यह विधेयक बुधवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा. बता दें कि सवर्णों को आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार ने लोकसभा की लड़ाई जीत ली है. लोकसभा में मंगलवार को सरकार ने संविधान संशोधन बिल पेश कर दिया था. इस मुद्दे पर बहस के बाद रात 9.55 बजे वोटिंग हुई. वोटिंग में 326 सांसदों ने हिस्‍सा लिया. इसमें संविधान संशोधन विधेयक के पक्ष में 323 वोट पड़े. 3 सांसदों ने इसका विरोध किया. बि‍ल लोकसभा में पास हो गया. शाम 5 बजे से शुरू हुई बहस के बाद रात 9.55 बजे इस विधेयक पर वोटिंग हुई.



अब कल (9 जनवरी) इसके राज्यसभा में जाने की संभावना है जहां उच्च सदन की बैठक एक दिन और बढ़ा दी गयी है. लोकसभा में विपक्ष सहित लगभग सभी दलों ने ‘‘संविधान (124 वां संशोधन) , 2019’’ विधेयक का समर्थन किया. साथ ही सरकार ने दावा किया कि कानून बनने के बाद यह न्यायिक समीक्षा की अग्निपरीक्षा में भी खरा उतरेगा क्योंकि इसे संविधान संशोधन के जरिये लाया गया है. 
 
लोकसभा में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी सरकार बनने के बाद ही गरीबों की सरकार होने की बात कही थी और इसे अपने हर कदम से उन्होंने साबित भी किया. उनके जवाब के बाद सदन ने 3 के मुकाबले 323 मतों से विधेयक को पारित कर दिया. चर्चा का जवाब देते हुए गहलोत ने कहा कि बहुत सारे सदस्यों ने आशंका जताई है कि 50 फीसदी आरक्षण की सीमा है तो यह कैसे होगा? जो पहले के फैसले किए गए वो संवैधानिक प्रावधान के बिना हुए थे.


उन्होंने कहा कि नरसिंह राव की सरकार को संवैधानिक प्रावधान के बिना 10 फीसदी आरक्षण का आदेश जारी किया था, जो नहीं करना चाहिए था. मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की नीति और नीयत अच्छी है. इसलिए संविधान में प्रावधान करने के बाद हम आरक्षण देने का काम करेंगे. ऐसे में इस तरह की (उच्चतम न्यायालय में निरस्त होने की) शंका निराधार है.


इस दौरान सदन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, गृह मंत्री राजनाथ सिंह मौजूद थे. सदन में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मौजूद थे. गहलोत ने कहा कि पूरे विचार-विमर्श के बाद यह कदम उठाया गया है. हम देर से लाए, लेकिन अच्छी नीयत से लाए. इसलिए आशंका करने की जरूरत नहीं है. मंत्री के जवाब के बाद सदन ने 3 के मुकाबले 323 मतों से विधेयक को मंजूरी दे दी.


(इनपुट भाषा से)