NASA ने बनाई `इन्फ्लेटेबल हीट शील्ड`, स्पेस एजेंसी का दावा- बदल जाएंगे भविष्य के अंतरिक्ष मिशन, जानें क्यों है खास?
NASA Inflatable Heat Shield: नासा ने कहा कि यह तकनीक मंगल, शुक्र और टाइटन जैसे ग्रहों के साथ-साथ पृथ्वी पर लौटने के लिए विभिन्न प्रस्तावित मिशनों को मजबूत प्रदान कर सकती है.
NASA News: नासा ने एक अनोखी 'इन्फ्लेटेबल हीट शील्ड' का खुलासा किया है जिसके बारे में उसका दावा है कि यह भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों को बदल सकती है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने एक इन्फ्लेटेबल डिसेलेरेटर की कम-कक्षा परीक्षण उड़ान आयोजित करने की योजना का खुलासा किया है, जिसे LOFTID भी कहा जाता है.
नासा के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक वातावरण के साथ गंतव्यों के लिए भारी पेलोड पहुंचाना है. ऐसा इसलिए है क्योंकि "वर्तमान कठोर एरोशेल एक रॉकेट के आकार की वजह से विवश हैं." इस एक जवाब एक इन्फ्लेटेबल एयरोशेल है जो रॉकेट के आवरण से काफी बड़ा होगा.
नासा ने कहा कि यह तकनीक मंगल, शुक्र और टाइटन जैसे ग्रहों के साथ-साथ पृथ्वी पर लौटने के लिए विभिन्न प्रस्तावित मिशनों को मजबूत बना सकती है.
ऐसे कैसे चलेगा?
जब एक अंतरिक्ष यान वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो वायुगतिकीय बल इसे धीमा करने में मदद करते हैं, ऊर्जा को गर्मी में परिवर्तित करते हैं. नासा ने कहा कि अंतरिक्ष यान को धीमा करने के लिए यह बड़े पैमाने पर कुशल तरीकों में से एक है. हालांकि, क्योंकि कुछ ग्रहों के वायुमंडल (जैसे मंगल) पृथ्वी की तुलना में बहुत कम घने हैं, वे वायुगतिकीय मंदी के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होते हैं.
स्पेस एजेंसी का कहना है कि वहां का वायुमंडल इतना घना तो है कि कुछ खिंचाव पैदा कर सकता है, लेकिन वह पृथ्वी के वायुमंडल की तरह इतना घना नहीं कि अंतरिक्ष यान को जल्दी से डिसेलेरेट कर दे. हालांकि LOFTID के बड़े एरोशेल के इस्तेमाल से, अंतरिक्ष यान को धीमा किया जा सकता है. नासा कहना है कि यह बड़ा एयरोशेल पारंपरिक, छोटे कठोर एयरोशेल की तुलना में अधिक ड्रैग बनाता है.
परीक्षण कब होगा?
LOFTID रीएंट्री वाहन 1 नवंबर, 2022 से पहले लॉन्च नहीं होने वाला है. यह संयुक्त ध्रुवीय सर्वेक्षक प्रणाली-2 (जेपीएसएस-2) के साथ संयुक्त लॉन्च एलायंस एटलस वी पर द्वितीयक पेलोड के रूप में लॉन्च होगा. JPSS-2 के ऑर्बिट में पहुंचने के बाद, LOFTID को लो अर्थ ऑर्बिट से रीएंट्री ट्रैजेक्टरी पर रखा जाएगा, ताकि यह पृथ्वी के वायुमंडल में डिसेलेरेशन और रीएंट्री की क्षमता प्रदर्शित कर सके.
(ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर)