Justice Surya Kant: उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने रविवार को एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि एक उभरते राष्ट्र को केवल सैन्य ताकत की ही नहीं, बल्कि विशेषज्ञों की एक ‘सिविलियन आर्मी’ की भी आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि यह सिविलियन आर्मी न केवल देश के भीतर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी राष्ट्र के हितों की रक्षा करने का काम करेगी.


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राष्ट्र निर्माण में विशेषज्ञों का योगदान


न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में विधि छात्रों की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के समापन सत्र में कहा कि एक विकसित राष्ट्र को आर्थिक, राजनीतिक, कानून के शासन और सुशासन के क्षेत्र में भी मजबूती की जरूरत है. इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों का योगदान बेहद महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि "चाहे आप विधि स्नातक हों, अंतरराष्ट्रीय कानून के विशेषज्ञ हों, या प्रोफेसर, वैज्ञानिक या इंजीनियर, आप उस नागरिक सेना का हिस्सा बनते हैं जो देश के हितों की रक्षा करती है."


विधि के क्षेत्र में प्रतिबद्धता की मांग


न्यायमूर्ति ने विधि छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि कानून का क्षेत्र केवल ज्ञान या पूर्णता की मांग नहीं करता. यह क्षेत्र दृढ़ता, जिज्ञासा और निष्पक्षता के प्रति समर्पण का आह्वान करता है. उन्होंने छात्रों से कहा कि कानून के सिद्धांतों को केवल पढ़ना या समझना काफी नहीं है, बल्कि इन आदर्शों को जीवन में अपनाना भी उतना ही जरूरी है.


‘सिविलियन आर्मी’ का क्या है मतलब?


सिविलियन आर्मी का मतलब उन विशेषज्ञों की टीम से है, जो विभिन्न क्षेत्रों में अपने कौशल और ज्ञान के जरिए देश की उन्नति में योगदान देते हैं. यह सेना सेना के जवानों की तरह सशस्त्र नहीं होती, लेकिन उनके पास गहरी समझ, नेतृत्व क्षमता और अपने काम के प्रति समर्पण होता है. इस सेना के सदस्य राष्ट्र की भलाई के लिए नीतियों का निर्माण, अनुसंधान और न्यायिक फैसले जैसे महत्वपूर्ण कार्य करते हैं.


सिविलियन और सैन्य सेना के सामंजस्य की जरूरत


न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने यह भी कहा कि सिविलियन आर्मी और सैन्य सेना एक-दूसरे के पूरक हैं. जहां एक तरफ सैन्य बल देश की सीमाओं की रक्षा करता है, वहीं सिविलियन सेना देश की आंतरिक मजबूती और वैश्विक छवि को सशक्त बनाती है.


छात्रों को दिया प्रेरणा का संदेश


उन्होंने विधि छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि उन्हें केवल एक अच्छे पेशेवर तक सीमित नहीं रहना चाहिए. बल्कि, उन्हें अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग देश के विकास और समाज की भलाई के लिए करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कानून का अध्ययन केवल एक करियर नहीं, बल्कि समाज में बदलाव लाने का एक साधन है.


(एजेंसी इनपुट के साथ)