Pregnancy rate in India: सरकारी आंकडों के मुताबिक, दिल्‍ली में टीनएजर्स प्रेग्नेंसी के मामले बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं. टीनएजर्स प्रेग्नेंसी यानी कम उम्र में लड़कियों का प्रेग्नेंट होना. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 में ये बात सामने आई है. इसके अनुसार दिल्‍ली में कम एज की लड़कियों में प्रेग्नेंसी रेट बढ़ा है. दिल्‍ली के ग्रामीण क्षेत्र में प्रेग्नेंसी रेट लगभग 10 फीसदी तक पहुंच चुका है. गायनोकॉलजिस्टों ने इन आंकड़ों पर चिंता व्‍यक्‍त की है और कहा कि इसके पीछे कई वजह हैं, जिसमें सेक्सुअल हरासमेंट यानी रेप, जल्द शादी होना और कम उम्र में फिजिकल रिलेशन बनाना भी है. 


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दिल्ली की लड़कियां कम उम्र में बन रही मां 


सरकार के द्वारा समय-समय पर हेल्थ सर्वे कराया जाता है. ये जानकारी भी इसी के तहत मिली है. इस रिपोर्ट में दो सर्वे की तुलना की गई है. जिससे स्‍पष्‍ट होता है कि 2015-16 से 2020-21 के बीच में दिल्‍ली में प्रेग्नेंसी रेट बढ़ा है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2015-16 के मुताबिक, दिल्ली में 15 से 19 साल के बीच प्रेग्नेंसी रेट 2.1 पर्सेंट था जो 2020-21 में बढ़कर 3.3 फीसदी हो गया है. यानी हर 100 लड़कियों में से लगभग 3 लड़कियां 15 से 19 साल की उम्र में ही प्रेग्नेंट हो जाती है. वहीं ग्रामीण क्षेत्र की बात की जाए तो यह आंकडे और भी चौंकाने वाले हैं. यहां 9.7 पर्सेंट प्रेग्नेंसी रेट है. जबकि शहरी क्षेत्र में 3.2 पर्सेंट प्रेग्नेंसी रेट है.  


टीनएजर्स प्रेग्नेंसी बढ़ना टेंशन वाली बात 


टीनएजर्स प्रेग्नेंसी की परिभाषा के मुताबिक, 15 से 19 साल के बीच की लड़कियां अगर प्रेग्नेंट होती हैं तो उन्‍हें टीनएजर्स प्रेग्नेंट कहा जाता है. इसमें सबसे बड़ी वजह रेप है और ये मामले भी ज्‍यादातर गांव में देखने को मिल रहे हैं. उनके पास मेडिकल सुविधा नहीं है, इस वजह से वे प्रेग्नेंट हो जाती हैं. इसके अलावा गांवों में कम उम्र में शादी भी एक वजह बनी हुई है, हालांकि, अब कम उम्र में शादी के मामले कम ही देखने को मिल रहे हैं, लेकिन फिर भी टीनएजर्स में प्रेग्नेंसी बढ़ना चिंता की बात है. 


सोशल मीडिया बना वजह! 
 
एक्‍सपर्ट के मुताबिक, आज के समय में सोशल मीडिया का इस्तेमाल बढ़ने की वजह से टीनएजर्स में रिलेशनशिप बढ़ रहा है, हालांकि ये बात कुछ मामलों में ही देखने को मिल रही है. सरकारी अस्‍पतालों में ऐसे मामले कभी-कभी ही आते हैं. वही प्राइवेट अस्‍पतालों में ऐसे मामले ज्‍यादा देखने को मिल रहे हैं. शहरी क्षेत्र में प्रेग्नेंसी रेट इसलिए भी कम है क्‍योंकि यहां पर अधिकतर लड़कियां 20 वीक तक अबॉर्शन करा लेती हैं. जिससे डिलिवरी की नौबत नहीं आती.         


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