Parenting Tips: माता-पिता को एक उम्र के बाद अपने बच्चों को सोने के लिए बेड या कमरा अलग कर देना चाहिए. लेकिन अब सवाल उठता है कि आखिर कितनी उम्र के बाद माता-पिता को यह कदम उठानी चाहिए. तो चलिए जानते हैं आज इस सवाल का जवाब.
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Parenting Tips: अक्सर आपने देखा होगा कि माता-पिता अपने बच्चों का खूब ध्यान रखते हैं. बच्चों के लिए माता-पिता खाने-पीने से लेकर सोने और जागने तक का ख्याल रखते हैं. कई घरों में आपने देखा होगा कि बच्चे अपने माता-पिता के साथ ही सोते हैं. लेकिन साथ सुलाने की भी एक उम्र होती है. अगर एक उम्र के बाद भी अगर आप बच्चों को साथ सुला रहे हैं तो समझ लें कि कहीं न कहीं उसके आत्मविश्वास को आप कमजोर कर रहे हैं. तो आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर कितने साल तक आप अपने बच्चों को साथ सुला सकते हैं?
व्यवहार में दिखेगा परिवर्तन
क्योंकि अगर ज्यादा उम्र तक अपने बच्चों को साथ सुलाएंगे तो उनके आचार-व्यवहार में भी परिवर्तन देखने को मिल सकता है. वहीं अगर कोई माता-पिता अपने बच्चे को कम समय तक अपने साथ सुलाता है तो उसमें भी कहीं न कहीं आत्मविश्वास या डर की भावना पैदा हो जाती है.
क्या है चाणक्य की नीति
आचार्य चाणक्य की माने तो जन्म से पांच साल तक की उम्र के बच्चों को खूब प्यार करें. वहीं इसके बाद डांट और दुलार के साथ 10 साल तक बच्चों को सही और गलत में फर्क समझाएं. इसके बाद धीरे-धीरे आप अपने ही बच्चे का दोस्त बनने लगें. हालांकि 16 साल तक की उम्र आते-आते पूरी तरह से बच्चों के दोस्त बन जाएं.
क्या कहते हैं चाइल्ड स्पेशलिस्ट
इसके अलावा चाइल्ड स्पेशलिस्ट की माने तो 8-9 साल के बाद बच्चों को अपने अलग करके सुलाना शुरू कर दें. इससे पहले इस बात का ध्यान जरूर रखें कि बच्चा छोटी-छोटी चीजों को लेकर सेल्फ डिपेंडेंट हो चुका है. जैसे खुद से पानी लेकर पी ले रहा हो. आप न हों तो किचन से खाना निकालकर खा ले रहा हो.
माता-पिता इन बातों का रखें ध्यान
इसके अलावा जब आप बच्चों को खुद से दूर कर रहे हैं सोने के लिए तो इस बात का भी ध्यान रखें कि उसे किसी भी तरह का घर में डर नहीं लग रहा हो. नहीं तो अगर बच्चे के मन में भय होगा तो वह अकेले सो नहीं पाएगा. माता-पिता के दबाव में अलग तो हो जाएगा लेकिन कहीं न कहीं उसके मन में किसी तरह का भय घर किया रहेगा. जिसके कारण उसका आत्मविश्वास हिला हुआ रहेगा.
(Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)