National Medical Commission Notification: डॉक्टर जिसे नेशनल मेडिकल कमीशन (NMA) के गैजेट नोटिफिकेशन में रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर (RMP) कहा जाता है, उनके लिए इतने सारे नियम कानून और गाइडलाइंस लाई गई हैं कि अगर इनका अक्षरश: पालन होने लगे तो हमें मान लेना पड़ेगा कि मेडिकल प्रोफेशन का रामराज्य आ चुका है. नेशनल मेडिकल कमीशन ने हाल ही में एक गैजेट नोटिफिकेशन जारी कर बदनाम हो रहे डॉक्टरी पेशे पर नकेल कसने की कोशिश की है. इस नोटिफिकेशन में डॉक्टरों को केवल जेनेरिक दवाएं लिखने के निर्देश दिए गए हैं. हालांकि, इस तरह के निर्देशों का कई डॉक्टर और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन समेत कई संस्थाएं कड़ा विरोध कर रही हैं. सोमवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बारे में बातचीत करने के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन और इंडिया मेडिकल एसोसिएशन की मीटिंग बुलाई है.


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मेडिकल पेशे में कैसे आएगा रामराज्य?


मेडिकल पेशे में ये रामराज्य कैसे आएगा, इसके लिए नेशनल मेडिकल कमीशन ने जो दिशा-निर्देश तय किए हैं एक बार इन्हें ध्यान से देख लेते हैं. प्रोफेशनल कंडक्ट यानी डॉक्टरों का व्यवसायिक बर्ताव कैसा होना चाहिए. किसी भी टेस्ट के लिए किसी डायग्नोस्टिक लैब से किसी तरह के रिबेट या डिस्काउंट नहीं ले सकता. कमीशन या कट नहीं ले सकता.


डॉक्टर्स फॉलो करेंगे ये नियम


डॉक्टर किसी तरह के प्रोडक्ट को अपनी ओर से सर्टिफाई नहीं करेंगे या किसी तरह की Endorsement भी नहीं करेंगे. किसी प्रॉडक्ट या सामान को मरीज को लेने की सलाह नहीं दे सकेंगे. प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर को तीन साल तक मरीज का हेल्थ रिकॉर्ड रखना जरूरी होगा. अगर कोई दूसरा डॉक्टर गलत या अनैतिक काम कर रहा है तो डॉक्टरों को बिना डरे बताना होगा.


डॉक्टर नहीं ले पाएंगे गिफ्ट


अगर डॉक्टर मरीज को दिए गए समय पर नहीं आ पा रहा है तो मरीज को इस बात की जानकारी देनी होगी. अगर मरीज दुर्व्यवहार करे, गाली दे या मार पीट करने लगे तो डॉक्टर उसका इलाज करने से मना कर सकता है और उसकी शिकायत भी कर सकता है. डॉक्टर या उसके परिवार के लोग फार्मा कंपनी, मेडिकल डिवाइस कंपनी, अस्पताल या उनके प्रतिनिधि से किसी तरह का गिफ्ट, ट्रैवल, होटल जैसी सेवाएं, कैश या किसी तरह की फीस, मनोरंजन जैसे ऑफर नहीं ले सकते. डॉक्टर ऐसे किसी सेमिनार में भी नहीं जा सकते जो किसी फार्मा कंपनी ने स्पॉन्सर किया हो.


सोशल मीडिया और डॉक्टर


ऐसा होने पर डॉक्टर पर कार्रवाई हो सकती है. जांच के आधार पर कमीशन चाहे तो शिकायत को खारिज कर सकती है. डॉक्टर को वॉर्निंग दे सकती है. डॉक्टर की काउंसलिंग की जा सकती है या डॉक्टर पर पेनाल्टी लगा सकती है. जिसमें डॉक्टर की प्रैक्टिस सस्पेंड करने से लेकर उसकी प्रैक्टिस बंद करने तक के प्रावधान हैं. डॉक्टर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर केवल तथ्यात्मक जानकारी ही पोस्ट कर सकते हैं. मरीजों के नाम, फोटो या कोई और जानकारी, उनकी बीमारी या उनके टेस्ट रिकॉर्ड पोस्ट नहीं कर सकते. सोशल मीडिया पर डॉक्टर लाइक्स या फॉलोअर खरीदने का काम नहीं कर सकते. कई लोग अपनी सोशल मीडिया की पहुंच मजबूत करने के लिए ऐसा कर लेते हैं.