Maharashtra में नीलामी में बिक गया गांव के सरपंच का पद, NCP नेता को मिली जीत
महाराष्ट्र (Maharashtra) में नदुरबार के खोड़ामली गांव के लोगों ने बोली लगाकर ये तय कर लिया कि अगला सरपंच कौन होगा? यहां सरपंच सीट के लिए NCP नेता प्रदीप पाटिल की तरफ से 42 लाख रुपये की बोली लगाई गई.
प्रशांत परदेशी, नंदुरबार: आपने घरों नीलामी देखी होगी, सामान की नीलामी देखी होगी लेकिन महाराष्ट्र (Maharashtra) के एक गांव में लोगों के वोट से सीधे ना जीतकर आने वाले पद की नीलामी हो गई. ऐसी नीलामी तो अभी तक सिर्फ फिल्मों में देखी गई है. यहां पूरा गांव मिलकर सरपंच की सीट के लिए बोली लगाता हुआ दिखा. महाराष्ट्र में नदुरबार के खोड़ामली गांव की सरपंच की सीट 42 लाख रुपये में बिक गई.
सरपंच के पद की बोली लगाने के लिए खोड़ामली गांव में ग्राम देवता के मंदिर के पास लोग इकट्ठा हुए. फिर सबने मिलकर तय किया कि आने वाले चुनाव में किसे सरपंच चुना जाए. लेकिन आप सोच रहे होंगे कि सरपंच का चुनाव तो मतदान के जरिए होता है.
लेकिन महाराष्ट्र (Maharashtra) में नदुरबार के खोड़ामली गांव के लोगों ने बोली लगाकर ये तय कर लिया कि अगला सरपंच कौन होगा? यहां सरपंच सीट के लिए प्रदीप पाटिल की तरफ से 42 लाख रुपये की बोली लगाई गई. अब प्रदीप पाटिल की बेटी चुनावी मैदान में उतरेंगी और निर्विरोध चुनी जाएंगी.
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नीलामी में सरपंच की सीट जीतने के बाद, प्रदीप पाटिल ने बताया कि आज मेरा सपना पूरा हो गया. सहयोग देने के लिए लोगों का धन्यवाद. आप लोग पैसे की चिंता ना करें. पहले भी गांव के काम लिए मैंने पैसे दिए हैं और ये पैसा भी दिया जाएगा.
बता दें कि प्रदीप पाटिल एनसीपी (NCP) के नेता हैं. सरपंच की सीट को नीलामी में जीतने के बाद लोगों ने जश्न मनाया. हालांकि बोली लगाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इलाके के एनसीपी जिलाध्यक्ष ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया.
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एनसीपी के जिलाध्यक्ष डॉ. अभिजित मोरे का कहना है कि जो कुछ भी हुआ वो इलाके के मंदिर को बनाने के लिए किया गया है. वहीं सरपंच की सीट नीलाम होने की बात सामने आने के बाद अब उसी गांव के कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि नीलामी से पहले उन लोगों को विश्वास में नहीं लिया गया.
जान लें कि खोड़ामली गांव के सरपंच का चुनाव 13 लोग मिलकर करेंगे, जो गांव से चुनकर आएंगे. ऐसा भी कहा जाता है कि जितने पैसे में सीट नीलाम होती है वो सारा पैसा गांव के विकास में लगाया जाता है. पैसे को खर्च करने के लिए कमेटी बनाई जाती है. लेकिन फिर भी क्या मतदान किए बिना किसी का चुनाव किया जाना सही ठहराया जा सकता है?
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