NCP सुप्रीमो शरद पवार मणिपुर पर अमित शाह द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में नहीं होंगे शामिल, यह है वजह?
Manipur: मेइती समुदाय की ओर से अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिये जाने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें हुईं हैं
All Party Meeting On Manipur: एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार मणिपुर पर अमित शाह द्वारा नई दिल्ली में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं होंगे. पवार ने मणिपुर हिंसा पर चर्चा के लिए बैठक में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की थी लेकिन कुछ महत्वपूर्ण पूर्व प्रतिबद्धताओं के कारण वह नहीं जा पाएंगे. न्यूज एजेंसी के मुताबिक उन्होंने एनसीपी के राष्ट्रीय महासचिव नरेंद्र वर्मा को बैठक में शामिल होने के लिए नामित किया है. इसके साथ ही मणिपुर राज्य एनसीपी के अध्यक्ष सोरन लोबयाइमा सिंह भी बैठक में भाग लेंगे.
पवार ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को लिखे एक पत्र में कहा, 'मुझे मणिपुर की स्थिति पर चर्चा के लिए 24 जून, 2023 को विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ केंद्रीय गृह मंत्री की बैठक के संबंध में आपका 22 जून 2023 का पत्र प्राप्त हुआ है. हालांकि मैं इस बैठक में शामिल होना चाहता था, लेकिन, कुछ महत्वपूर्ण पूर्व प्रतिबद्धताओं के कारण, मेरे लिए ऐसा करना संभव नहीं होगा, नरेंद्र वर्मा, राष्ट्रीय महासचिव, एनसीपी और सोरन लबोयिमा सिंह, अध्यक्ष, मणिपुर राज्य एनसीपी, इस बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व करेंगे.'
मणिपुर मुद्दे पर पवार ने की थी केंद्र की आलोचना
इससे पहले बुधवार (21 जून) पवार ने मणिपुर में जारी हिंसा को नियंत्रित करने के लिए सत्ता और संसाधनों का उपयोग नहीं करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना की थी. एनसीपी के 24वें स्थापना दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि बीजेपी शासित मणिपुर एक सीमावर्ती राज्य हैं और पड़ोसी देशों द्वारा उसकी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का दुरुपयोग किया जा सकता है.
पवार ने कहा, 'राज्य पिछले 45 दिनों से हिंसा देख रहा है, लेकिन सत्ता में बैठे लोगों के पास मौजूदा स्थिति और इससे क्या हो सकता है के बारे में सोचने का समय नहीं है.' उन्होंने पीएम मोदी के यूएस दौरे का जिक्र करते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री जहां चाहें वहां जा सकते हैं, लेकिन पहले उन्हें आंतरिक स्थिति से निपटना चाहिए और इसके लिए सत्ता की शक्ति का इस्तेमाल (मणिपुर में स्थिति सुधारने के लिए) नहीं किया जा रहा है.'
मणिपुर में हालात गंभीर
गौरतलब है कि मेइती समुदाय की ओर से अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिये जाने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें हुईं हैं. हिंसा में अब तक करीब 120 लोगों की जान गई है और 3,000 से अधिक घायल हुए हैं.
अमित शाह ने भी पिछले महीने चार दिनों के लिए मणिपुर का दौरा किया था और राज्य में शांति कायम करने के अपने प्रयासों के तहत विभिन्न वर्ग के लोगों से मुलाकात की थी.