Madrasa News in Hindi: NCPCR के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों को पढ़ाने को उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन बताया. प्रियंक कानूनगो ने दावा किया कि हिन्दू बच्चों को मदरसों में नहीं पढ़ना चाहिए क्योंकि उन्हें वहां मुस्लिम धर्म की तालीम दी जाती है. इस खबर पर आगे बढ़ने से पहले आपको मदरसों को लेकर इस बीच क्या-क्या हुआ ये बताते हैं.


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यूपी में 4 हजार गैर- मान्यता प्राप्त मदरसे बंद करने का आदेश


UP में 4 हज़ार गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को बंद करने का आदेश दिया गया है. साथ ही कहा गया है कि मदरसों में पढ़ाए जाने वाले विषयों की जांच की जाएगी. मदरसों में गैर मुस्लिम बच्चों को इस्लाम की शिक्षा देने की भी जांच होगी. मुस्लिम संगठनों ने मदरसे से गैर मुस्लिम बच्चों को हटाने को गलत बताया है. 
मुस्लिम संगठनों ने इसे धर्म के नाम पर विभाजित करने का आरोप लगाया है. राजस्थान में गैर मुस्लिम बच्चों के अभिभावकों से मदरसे में पढ़ाने के लिए लिखित सहमति लेनी होगी. मदरसों को गैर मुस्लिम बच्चों को धार्मिक शिक्षा नहीं देने की लिखित जानकारी देनी होगी. 


ऐसे में सवाल उठ रहा है कि हिन्दू और मुस्लिम बच्चों को मदरसों में एक साथ पढ़ना चाहिए या नहीं और NCPCR के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के बयान के क्या मायने हैं. देशभर के मदरसों में बच्चों की शिक्षा को लेकर चल रहे विवाद के बीच मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों के जाने पर भी बयानबाज़ी तेज़ हो गई. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि मदरसों में इस तरह की घटनाएं समाज में धार्मिक वैमनस्य पैदा कर सकती हैं. 


चंडीगढ़ से लापता हुए बच्चे का बदलवा दिया गया मजहब


प्रियांक कानूनगो ने इसके लिए एक उदाहरण देते हुए दावा किया कि साल 2008 में चंडीगढ़ से एक बच्चा लापता हो गया था. जो बाद में मुजफ्फरनगर के चरथावल कस्बे के एक मदरसे में मिला था. आरोप है कि उस बच्चे का जबरन धर्म परिवर्तन भी किया गया था. जिसके बाद बच्चे के पिता ने बेटे के अपहरण की शिकायत भी दर्ज कराई थी. प्रियांक कानूनगो ने कुछ मुस्लिम धार्मिक संगठनों पर भी निशाना साधा और बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ ना करने की उन्हें चेतावनी भी दी.


इस बीच यूपी के 4 हज़ार गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के बंद करने पर भी बयानबाज़ी तेज़ हो गई, गैर मुस्लिम बच्चों की तालीम को लेकर दारुल उलूम फिरंगी महल के प्रवक्ता का बयान सामने आया जिसमें उन्होंने दावा किया कि आज़ादी के बाद से गैर मुस्लिम बच्चे मदरसों में पढ़ते आ रहे हैं और वहां जाति धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होता और सभी विषय पढ़ाए जाते हैं.


सरकार के फैसले के खिलाफ आए मौलवी


उधर बरेली में मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षकों और छात्रों ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया. उन्होंने दावा किया कि यूपी सरकार अपना फैसला वापस ले क्योंकि मदरसों में दुनिया की शिक्षा के साथ दीनी शिक्षा भी दी जाती है जिससे बच्चों का विकास होता है. वहीं NCPCR की रिपोर्ट पर बीजेपी नेताओं ने दावा किया कि बच्चों की पढ़ाई में किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए और जो राष्ट्र के हित में होगा सरकार वही फैसला लेगी.


इस बीच NCPCR ने यूपी सरकार के आदेश को अच्छा कदम बताया और दावा किया कि मदरसा, इस्लामिक मज़हबी शिक्षा सिखाने का केंद्र होता है और शिक्षा अधिकार क़ानून के दायरे के बाहर है. ऐसे में मदरसों में हिंदू और अन्य ग़ैर मुस्लिम बच्चों को रखना उनके संवैधानिक मूल अधिकार का हनन है. लिहाज़ा राज्य सरकारें भी गैर मुस्लिम बच्चों को स्कूलों में पढ़ाएं.