Narendra Modi Vs Shehbaz Sharif: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के मंगलवार को दिए बयान पर विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया है. शहबाज शरीफ ने भारत से वार्ता बहाल करने की इच्छा जताई थी. शहबाज ने कहा था कि दोनों देश तब तक 'सामान्य पड़ोसी' नहीं बन सकते, जब तक शांतिपूर्ण तरीके से गंभीर मुद्दों पर वार्ता नहीं होती. उन्होंने यह भी कहा था कि अब युद्ध कोई विकल्प नहीं है.


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इसी को लेकर अब विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत भी अपने पड़ोसियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध चाहता है लेकिन इसके लिए टेरर फ्री वातावरण जरूरी है. अरिंदम बागची ने कहा, हमने रिपोर्टें देखी हैं. भारत का रुख इस बात पर कायम है कि हम सभी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध चाहते हैं.लेकिन इसके लिए आतंक और शत्रुता से मुक्त वातावरण जरूरी है. 



गौरतलब है कि मंगलवार को पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा था कि वह सभी गंभीर और लंबित मुद्दों के समाधान के लिए भारत के साथ बातचीत करना चाहते हैं. दोनों देशों के लिए युद्ध कोई विकल्प नहीं है क्योंकि दोनों देश गरीबी और बेरोजगारी से लड़ रहे हैं. शहबाज ने साफ तौर पर कहा, हम हर किसी के साथ बात करने के लिए तैयार हैं, यहां तक कि अपने पड़ोसी के साथ भी बशर्ते कि पड़ोसी गंभीर मुद्दों पर बात करने के लिए गंभीर हो, क्योंकि युद्ध अब कोई विकल्प नहीं है.'


'चाहते हैं अच्छे संबंध लेकिन...'


इसी को लेकर मोदी सरकार ने शरीफ सरकार को दो टूक जवाब दे दिया है. मोदी सरकार ने कहा कि हम भी पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं. लेकिन इसके लिए शत्रुता और आतंक मुक्त माहौल जरूरी है. सीमा पार से जारी आतंकवाद को इस्लामाबाद के समर्थन और कश्मीर समेत कई मुद्दों पर भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में जारी तनाव के बीच शरीफ की यह टिप्पणी आई है.


पाक संसद का कार्यकाल हो रहा पूरा


भारत हमेशा कहता रहा है वह पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी जैसे संबंध रखना चाहता है. वह इस बात पर भी जोर देता रहा है कि इस तरह के संबंध के लिए आतंक और शत्रुता से मुक्त वातावरण बनाने की जिम्मेदारी पाक की है. भारत ने यह भी कहा है कि जम्मू-कश्मीर हमेशा देश का हिस्सा था, है और रहेगा. पाक प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी ऐसे वक्त आई है जब 12 अगस्त को संसद का पांच साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है और उनकी गठबंधन सरकार चुनाव में जाने की तैयारी कर रही है.


ऐसी उम्मीद है कि अगले चुनाव को लेकर ज्यादा समय देने के लिए निचले सदन नेशनल असेंबली को कार्यकाल खत्म होने से कुछ दिन पहले भंग कर दिया जाएगा.