NGT UP Govt Kanwar Yatra route: पेड़ों में जान होती है. पेड़ काटना अपराध है, पाप है. विकास के नाम पर पेड़ काटे जाते हैं. अमेजन के जंगलों से लेकर मुंबई की आरे कॉलोनी और दिल्ली के अरावली तक वन्य भूमि को छलनी किया गया है. भारत में पेड़ बचाने के लिए चिपको आंदोलन हो चुका है. इस बीच अब कांवड़ यात्रा का रास्ता सुगम बनाने के लिए पेड़ कटने जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) के पर्यावरण विभाग ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को बताया है कि आगामी कांवड़ यात्रा का मार्ग बनाने के लिए संरक्षित वन क्षेत्र में 1.12 लाख पेड़ काटे जाएंगे. 


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तीन जिलों की हरियाली कम होगी


NGT ने संरक्षित वन क्षेत्र में 1 लाख से अधिक पेड़ और झाड़ियां काटने से जुड़े केस में राज्य के टूरिज्म डिपार्टमेंट के सेक्रेट्री से जवाब मांगा था. गाजियाबाद के मुरादनगर (Muradnagar) और मुजफ्फरनगर के पुरकाजी (Purkazi Muzaffarnagar) के बीच प्रस्तावित रास्ते का पूरा एरिया गाजियाबाद (Ghaziabad), मेरठ (Meerut) और मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) के तीन वन प्रभागों में फैला हुआ है.


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उत्तर प्रदेश के पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव ने 19 नवंबर को दाखिल जवाब में कहा, '(केंद्रीय) पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 28 फरवरी, 2023 को लोक निर्माण विभाग (PWD) को कांवड़ मार्ग परियोजना के लिए 1,12,722 पेड़/पौधे काटने की अनुमति दी थी.'


जवाब में कहा गया है कि फिलहाल 25,410 पेड़ों को काटने के लिए चिह्नित किया गया है, जिनमें से 17,607 पेड़ों को उत्तर प्रदेश वन निगम की देखरेख में लोक निर्माण विभाग काटेगा.


एनजीटी की वेबसाइट पर शुक्रवार को अपलोड किए गए जवाब में कहा गया है, 'फिलहाल पीडब्ल्यूडी ने नौ अगस्त, 2024 से पेड़ काटने का काम रोक दिया है और प्रस्तावित मार्ग के कुछ हिस्सों में पेड़ों की कटाई शुरू नहीं हुई है.' (भाषा)