निर्भया कांड: जानिए, फांसी देने से पहले क्यों दौड़ लगाता है जेलर? क्या होती है प्रक्रिया?
फांसी देने से पहले कैदियों को नहलाया जाता है और नाश्ता दिया जाता है. फिर काले कपड़े पहनाकर फांसी के फंदे तक ले जाया जाता है.
नई दिल्ली: साल 2012 के निर्भया गैंगरेप मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी कर दिया. इस डेथ वारंट के 14 दिन बाद यानि 22 जनवरी को सुबह 7 बजे चारो दोषियों को फांसी दे दी जाएगी. डेथ वारंट जारी होने के बाद अब दोषियों को 14 दिन का समय दिया जाएगा. इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट के जज ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चारों दोषियों से बात की. इस दौरान मीडिया को भी अंदर नहीं जाने दिया गया. सुनवाई के दौरान निर्भया की मां और दोषी मुकेश की मां कोर्ट में ही रो पड़ीं.आइए जानते हैं फांसी से जुड़ी कुछ अहम बातें:-
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फांसी देने से पहले क्यों दौड़ लगाता है जेलर?
क्या आपको पता है कि किसी भी दोषी को फांसी देने से पहले जेलर एक दौड़ लगता है. फांसी देने के ठीक पहले जेलर दौड़कर अपने ऑफिस तक जाता है. कुछ ऐसा ही होगा जब निर्भया रेप केस के दोषियों को फांसी पर लटकाया जाएगा. ब्लैक वारंट जारी होने के बाद कोर्ट द्वारा निर्धारित तारीख और समय पर चारों को फांसी दे दी जाएगी,
लेकिन फांसी देने से ठीक पहले जेल सुप्रिटेंडेंट एक बार दौड़कर ये देखने अपने ऑफिस जाते हैं कि कहीं फांसी रोकने के लिए कोई ऑर्डर तो नहीं आया है. अगर कोई ऑर्डर नहीं आया होता तो तय वक़्त पर फांसी दे दी जाती है. फांसी देने से पहले कैदियों को नहलाया जाता है और नाश्ता दिया जाता है.
फिर काले कपड़े पहनाकर फांसी के फंदे तक ले जाया जाता है. उस वक़्त कैदी के साथ 12 सुरक्षाकर्मी होते हैं. फांसी देते वक्त सिर्फ चार लोग मौजूद होते हैं. फांसी देने के बाद आधे घंटे तक शरीर को फांसी के फंदे पर लटके रहने दिया जाता है.