नई दिल्ली: निर्भया केस (Nirbhaya Case) में दोषी अक्षय ठाकुर, पवन गुप्ता, मुकेश सिंह और विनय शर्मा को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई. चारों दोषियों को तय समय के मुताबिक सुबह 5.30 बजे फांसी दी गई. अब इनके शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाएगा. 
 
बता दें कि 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में निर्भया के साथ बर्बरतापूर्वक गैंगरेप हुआ था. इस घिनौने अपराध ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. बीते सात सालों से भी ज्यादा समय से निर्भया की मां आशा देवी इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ रही थीं. आज निर्भया और उनके पूरे परिवार को इंसाफ मिला.


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वकील एपी सिंह ने आखिरी समय तक की दोषियों को बचाने की कोशिश  


दोषियों के वकील एपी सिंह ने आखिरी समय तक दोषियों को बचाने की कोशिश की और रात में 1.25 बजे सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के घर पहुंच गए. वकील एपी सिंह ने अपनी याचिका रजिस्ट्रार के सामने रखी और फांसी पर रोक लगाने की मांग की. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में आधी रात में जज पहुंचे और सुनवाई शुरू की. 


एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में दोषी पवन के घटना के समय नाबालिग होने की बात रखी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सभी तरह की दलीलों को खारिज कर दिया. जिसके बाद दोषियों की फांसी का रास्ता साफ हो गया.


हाईकोर्ट ने खारिज कर दीं दोषियों की याचिकाएं


दिल्ली हाईकोर्ट ने दोषियों की फांसी रोकने के लिए दायर याचिकाओं को आधी रात को खारिज कर दिया. कोर्ट ने उन दलीलों को ठुकरा दिया जिसमें कहा गया था कि कोर्ट में इस मामले में कई याचिकाएं दायर हैं. हाई कोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई आधार नहीं दिया गया. यह बिना किसी इंडेक्स, तारीखों की लिस्ट, पार्टी के मेमो और हलफनामे के दायर की गईं. वहीं निर्भया केस में दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा कि पूरा सिस्टम और सरकार हमारे खिलाफ है. सिस्टम ने केस को प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया है. चारों दोषी गरीब और वंचित हैं इसलिए इंसाफ नहीं मिल रहा. 


एपी सिंह ने कोरोना वायरस को भी अपनी दलील का हिस्सा बनाया. उन्होंने कहा, 'मैं कोरोना वायरस की वजह से होपलेस हूं. मुझे कोई सुविधा नहीं मिल रही. मुझे 1-2 दिन और दें.' इस पर जज ने कहा, 'आपको सिस्टम से खेलने की अनुमति नहीं दे सकते.' एपी सिंह ने कहा, 'अक्षय की पत्नी की याचिका ICJ में लंबित है.' इस पर जस्टिस मनमोहन ने कहा, 'उसका कोई मतलब नहीं है.'


एपी सिंह ने कहा, 'पवन गुप्ता ने कड़कड़डूमा कोर्ट में मंडोली जेल में पुलिसकर्मियों की पिटाई को लेकर याचिका दायर की है. कोर्ट ने उस पर ATR मांगी है. उसके शरीर पर 14 टांके आए है. ठीक है, वो फांसी की सज़ा पाया शख्स है, पर इस मामले में वो पीड़ित है . ये नाइंसाफी होगी, अगर इस मामले में  बिना इंसाफ किए फांसी पर लटका दिया जाए. उसे आरोपी पुलिस कर्मियों की शिनाख्त करने दें.' एपी सिंह ने तिहाड़ जेल के अधिकारी सुनील गुप्ता की किताब ब्लैक वारंट का हवाला दिया. इस पर जस्टिस मनमोहन ने कहा, 'समझने की कोशिश करें. तुम्हारे मुवक्किल का भगवान के पास जाने का समय नजदीक है. हमारा समय बर्बाद न करो. आप यहां किताब का हवाला नहीं दे सकते.'


एपी सिंह ने कहा, 'मीडिया ट्रायल और उनके दबाव में दोषियों को बचाव का उचित मौका नहीं मिला. एक याचिका NHRC में लंबित है, एक राष्ट्रपति के पास, बिहार में एक तलाक याचिका लंबित है. एक याचिका हाई कोर्ट में लंबित है. एक याचिका चुनाव आयोग में लंबित है. ऐसे में फांसी कैसे हो सकती है?' इस पर जस्टिस मनमोहन ने कहा, 'हमने अपने पूर्व के आदेश में साफ तौर पर कहा था कि ट्रायल कोर्ट के आदेश को लेकर अगर कोई दुविधा है तो आप सीधे हाई कोर्ट जा सकते हैं.'


सरकारी वकील राहुल मेहरा ने कहा, 'निर्भया केस में दोषियों पर वारदात से पहले लूटपाट का केस भी दर्ज किया था. ये घटना उसी बस में हुई थी.'


दोषियों के वकील ने राष्ट्रपति के फैसले पर उठाए सवाल


दोषियों के एक और वकील शम्स ख्वाजा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. वकील ने कहा कि राष्ट्रपति ने दया याचिका पर सही से विचार नहीं किया. राष्ट्रपति ने यौन उत्पीड़न मामलों में अपनी भावनाएं सार्वजनिक की थीं. उन्होंने कहा था कि अपराधी रहम के लायक नहीं हैं. वे पहले से पक्षपाती थे. उनसे सही निर्णय की उम्मीद कैसे की जा सकती है. इस पर जज ने कहा कि आप ये दलीलें अब क्यों दे रहे हैं. 6 घंटे बाद फांसी होने वाली है.


इस पर वकील ने कहा कि ये तथ्य पहले रखे ही नहीं गए थे. जज ने कहा कि अगर आप अपनी पिछली जेब मे कुछ रखेंगे तो यह आपकी गलती है. आपको पहले ही इसे कोर्ट के सामने रखना चाहिए था. अगर आप दलीलें जारी रखना चाहते हैं तो हम इसे सुबह साढ़े पांच बजे तक सुनते हैं. वहीं इस पर सरकारी वकील राहुल मेहरा ने कहा कि इस याचिका का कोई आधार नहीं है. इसे खारिज किया जाना चाहिए.


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