DNA: कभी किसानों को रुलाए, कभी आम आदमी के आंसू निकाले...क्या है प्याज के दाम घटने-बढ़ने की कहानी?
Onion Price Rise: अब प्याज का दूसरा मौसम शुरू हो चुका है, जो प्याज छह महीने पहले तक मंडियों में पांच-दस रुपये किलो बिक रहा था, वो अब 70, 80, 90 और 100 रुपये किलो तक पहुंच गया है. जानकार कह रहे हैं कि नवंबर में प्याज की कीमत डेढ़ सौ रुपये किलो तक पहुंच सकती है.
Reasons for Onion Price Rise: आमतौर पर सब्जियों को उगाने एक मौसम होता है, लेकिन हमारे देश में प्याज के दो मौसम होते हैं. एक मौसम वो, जब प्याज के दाम, किसानों की आंखों में आंसू लाते हैं और दूसरा मौसम वो, जब प्याज की कीमतें आम आदमी के आंसू निकाल देती हैं.
आपको याद होगा मार्च-अप्रैल का महीना. जब प्याज की कीमतें पांच साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई थीं. किसानों को प्याज, सड़कों पर फेंकना पड़ रहा था. गुजरात की राजकोट मंडी में एक किसान को 472 किलो प्याज बेचने के बाद 495 रुपये मिले थे. जबकि प्याज को मंडी तक लाने में उनके 590 रुपये खर्च हो गए थे. प्याज बेचकर दो-दो रुपये के चेक हाथ में पकड़े किसानों के Videos तब काफी वायरल हुए थे. वो प्याज का पहला मौसम था, जब किसान की आंखों में आंसू आ रहे थे .
क्यों बढ़ती-घटती हैं प्याज की कीमतें?
अब प्याज का दूसरा मौसम शुरू हो चुका है, जो प्याज छह महीने पहले तक मंडियों में पांच-दस रुपये किलो बिक रहा था, वो अब 70, 80, 90 और 100 रुपये किलो तक पहुंच गया है. जानकार कह रहे हैं कि नवंबर में प्याज की कीमत डेढ़ सौ रुपये किलो तक पहुंच सकती है, जिससे प्याज खरीदते वक्त आम जनता के आंसू निकलने लगे हैं.
तो आखिर प्याज में ऐसा क्या है, जिसकी कीमतों में शेयर बाजार से भी ज्यादा उतार-चढ़ाव आ जाता है. कभी एक रुपये किलो और कभी सौ रुपये किलो. प्याज के इस प्राइज इंडेक्स को समझने के लिए आज हमने प्याज की डिमांड और सप्लाई का एक विस्तृत मार्केट एनालिसिस टेस्ट तैयार किया है. लेकिन इससे पहले हम आपको देश की मंडियों में भाव खाते प्याज की कीमतों पर आधारित एक रिपोर्ट दिखाना चाहते हैं.
4-5 दिन में तीन गुना बढ़ गए दाम
प्याज की कीमतों पर Zee News की इस मंडी रिपोर्ट में दो चीजें पता चलती हैं. पहली ये कि प्याज की कीमतें बढ़ने की वजह मंडियों में प्याज की डिमांड ज्यादा और सप्लाई कम होना है. दूसरी ये कि प्याज के दामों में पिछले चार-पांच दिन में ही दो से तीन गुना का इजाफा हो चुका है.
अब आपको प्याज की कीमतों में आते इस उछाल का ट्रेंड बताते हैं, जिसे हमने देशभर की मंडियों में दामों पर रिसर्च करने वाली संस्था, कमोडिटी इनसाइड की वेबसाइट पर मौजूद प्याज के डेली प्राइज इंडेक्स के आधार पर तैयार किया है.
अचानक बढ़ी प्याज की कीमत
दिल्ली में 23 अक्टूबर को प्याज का औसत थोक दाम 40 रुपये किलो था, जो 30 अक्टूबर यानी आज करीब दो गुना बढ़कर 78 रुपये किलो हो गया है .
इसी तरह महाराष्ट्र में जो प्याज 23 अक्टूबर को औसतन 36 रुपये किलो बिक रहा था, वो अब 49 रुपये 40 पैसे प्रति किलो बिक रहा है.
मध्य प्रदेश में 23 अक्टूबर को एक किलो प्याज करीब 32 रुपये बिक रहा था, जो अब 48 रुपये बिक रहा है.
बिहार में एक हफ्ते पहले 32 रुपये किलो बिक रहा प्याज अब 47 रुपये किलो बिक रहा है.
राजस्थान में 23 अक्टूबर को 25 रुपये किलो वाला प्याज अब 32 रुपये किलो हो चुका है.
उत्तर प्रदेश में 23 अक्टूबर को प्याज 33 रुपये से बढ़कर अब करीब 48 रुपये हो चुका है.
इसी तरह पंजाब में जो प्याज 23 अक्टूबर को 38 रुपये किलो बिक रहा था.अब करीब 54 रुपये किलो बिक रहा है.
यानी एक सप्ताह में ही प्याज के दाम, रॉकेट की रफ्तार से आसमान छूते हुए दो गुना तक बढ़ चुके हैं. ये मंडियों के रेट हैं. रिटेल में तो प्याज के दाम दो से तीन गुना तक बढ़े हैं वो भी सिर्फ एक हफ्ते में. और ये तो अभी सिर्फ शुरुआत है. मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक प्याज के दाम पहले शतक लगाएंगे और फिर नवंबर में डेढ़ सौ रुपये किलो तक पहुंच जाएंगे.
बढ़ती कीमतों के लिए कौन जिम्मेदार?
लेकिन आखिर देश में प्याज की बढ़ती हुई कीमतों के लिए जिम्मेदार कौन है ? इसके जवाब में तर्क दिये जाएंगे कि इस मौसम में तो प्याज के दाम हर वर्ष बढ़ते हैं, इसमें इतनी हाय-तौबा मचाने की क्या जरूरत है? लेकिन अब जो हम आपको बताने वाले हैं वो आपको ना तो कोई प्याज का थोक व्यापारी बताएगा और ना सब्जी वाले भैया बताएंगे.
30 अक्टूबर 2023 यानी आज दिल्ली की मंडियों में प्याज की औसत कीमत 78 रुपये किलो है. जबकि एक साल पहले 30 अक्टूबर 2022 को प्याज 32 रुपये किलो बिक रहा था. यानी पिछले वर्ष 30 अक्टूबर के मुकाबले आज प्याज करीब ढ़ाई गुना महंगी बिक रहा है.
इसी तरह महाराष्ट्र में आज प्याज की औसत थोक कीमत 49 रुपये 50 पैसे है. जो पिछले वर्ष आज ही की तारीख में सिर्फ 29 रुपये किलो बिक रहा था. यानी करीब-करीब दोगुनी.
हरियाणा में पिछले साल 30 अक्टूबर को जो प्याज 19 रुपये 50 पैसे किलो बिक रहा था. वो आज 41 रुपये किलो बिक रहा है.
इसी तरह बिहार में पिछले साल 30 अक्टूबर को प्याज 25 रुपये किलो था, अब लगभग 47 रुपये किलो है.
देश के कई शहरों में पिछले साल के मुकाबले इस साल 30 अक्टूबर को प्याज, एक से दोगुनी महंगा बिक रहा है.
बंगाल, गुजरात,हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पिछले साल 30 अक्टूबर के मुकाबले आज प्याज, डेढ़ से दोगुनी महंगा बिक रहा है.
2022 की तुलना में कीमतें दोगुनी
यानी पिछले साल के मुकाबले इस साल अक्टूबर में प्याज की कीमतें दोगुनी तक हो चुकी हैं. मंडियों में प्याज के व्यापारी कह रहे हैं कि प्याज के ये दाम तो पहले ही बढ़ जाते लेकिन नवरात्रों की वजह से प्याज की डिमांड कम थी. लेकिन नवरात्रों के खत्म होते ही जिस तरह प्याज ने भाव खाए हैं, उससे अब लोग नवरात्रों के बाद भी प्याज खाने से परहेज कर रहे हैं.
आपको भी लग रहा होगा कि मंडियों में प्याज की कमी है और मांग ज्यादा है तो प्याज के दाम बढ़ रहे हैं. लेकिन बात सिर्फ इतनी भर नहीं है. अब हम आपको अचानक से प्याज के दाम बढ़ने और प्याज की कमी होने की इनसाइड स्टोरी बताते हैं. आपको शायद पता नहीं होगा कि प्याज उत्पादन के मामले में भारत, चीन के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर है. लेकिन इसके बाद भी प्याज की कमी हो रही है. आखिर इसकी वजह क्या है?
साल में दो बार उगाई जाती है फसल
तो सबसे पहले ये जान लीजिये कि भारत में प्याज की फसल दो बार उगाई जाती है. एक रबी के सीज़न में यानी नवंबर-दिसंबर में बोई जाती है और अप्रैल में काटी जाती है. 60 प्रतिशत प्याज इसी मौसम में उगाया जाता है.
दूसरी खरीफ के सीजन में. ये दो चरणों में होती है. पहला चरण- जून-जुलाई, और दूसरा चरण - सितंबर-अक्टूबर.
यानी भारत में प्याज की पैदावार लगभग पूरे साल होती है. लेकिन फिर सवाल ये है कि फिर मंडियों में हर साल प्याज की कमी क्यों हो जाती है और प्याज मंडियों तक क्यों नहीं पहुंच पाती? इस बार प्याज की कमी की दो वजह बताई जा रही हैं. पहली खरीफ फसल की बुआई में देरी . कम या लेट बारिश की वजह से प्याज की फसल बोने में देरी हुई, जिसकी वजह से बाजार में प्याज देरी से पहुंच रही है.
दूसरी ये कि किसानों ने प्याज कम उगाई . इसके लिए तर्क दिया जा रहा है कि पिछले दो साल से मंडी में किसानों को प्याज का उचित दाम नहीं मिल रहा इसलिए वो प्याज कम उगा रहे हैं.
ये सही है कि इस वर्ष भारत में प्याज की पैदावार में कमी आई है. लेकिन ये कमी इतनी भी नहीं है कि प्याज के दाम इतने ज्यादा बढ़ जाएं. पिछले वर्ष यानी 2022 में करीब 3 करोड़ 17 लाख टन प्याज का उत्पादन हुआ था. जबकि इस साल 3 करोड़ 10 लाख टन प्याज का उत्पादन हुआ है. यानी इस वर्ष करीब 7 लाख टन प्याज का उत्पादन कम हुआ है .
विदेश एक्सपोर्ट हुआ अधिक प्याज
जब किसी चीज का उत्पादन कम होता है, तो देश में उस चीज की डिमांड एंड सप्लाई को बैलेंस करने के लिए जरूरी होता है कि उस चीज का अन्य देशों को निर्यात कम कर दिया जाए. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि कम पैदावार के बावजूद भारत ने पिछले साल के मुकाबले इस साल, 10 लाख टन ज्यादा प्याज, विदेश में निर्यात किया है.
वर्ष 2022-23 में भारत ने 25 लाख 25 हजार टन प्याज का निर्यात किया .
जबकि 2021-22 में 15 लाख 37 हजार टन प्याज की विदेश भेजा गया था .
जबकि 2020-21 में भारत ने 15 लाख 78 हजार टन प्याज का निर्यात किया था .
यानी प्याज के व्यापारियों ने ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में ज्यादा से ज्यादा प्याज विदेश भेज दिया, जिसकी वजह से जब अगस्त में प्याज की कीमतें बढ़ने लगीं तो केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात को रोकने के लिए 40 फीसदी तक एक्सपोर्ट टैक्स लगा दिया. इससे पहले तक प्याज पर कोई एक्सपोर्ट टैक्स नहीं लगता था. लेकिन सरकार के इस कदम का कोई फायदा होता दिख नहीं रहा है.
सरकार ने उठाए हैं ये कदम
और अब केंद्र सरकार किसी भी तरह से प्याज की कीमतों को कंट्रोल करना चाहती है . और इसके लिए कोशिशें भी कर रही है. एक चीज तो केंद्र सरकार ने ये की है कि सरकार ने प्याज के निर्यात पर मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइज यानी MEP, 66 हजार 730 रुपये प्रति टन तय कर दिया है. यानी अब कोई भी प्याज व्यापारी 31 दिसंबर तक इससे कम कीमत पर प्याज का निर्यात नहीं कर सकता.
और दूसरी चीज जो केंद्र सरकार कर रही है, वो ये है कि सरकार अब Nafed के बफर स्टॉक में रखी ढाई लाख टन प्याज को स्थानीय बाजार में 25 से 30 रुपये किलो के भाव पर बेच रही है. यानी सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही है कि प्याज की कीमतें जल्द से जल्द कंट्रोल में आ जाएं. क्योंकि प्याज के दाम बढ़ने की टाइमिंग राजनीतिक तौर पर भी सरकार को टेंशन देने वाली है.
चुनाव के टाइम भारी ना पड़ जाए
प्याज की कीमतों में उछाल ऐसे वक्त में आया है, जब राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
इसलिए आम जनता से ज्यादा सरकार को प्याज की बढ़ती कीमतों से चिंता हो रही होगी. इतिहास गवाह है कि प्याज की वजह से कई राज्यों में सरकारें गिर चुकी हैं. इसलिए प्याज की कीमत कम करने के लिए सरकार के पास अब ज्यादा वक्त नहीं है. कहीं ऐसा ना हो कि महंगा प्याज, पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में सरकार को महंगा पड़ जाए.