Swami Avimukteshwaranand: उत्तराखंड के ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने एक बार फिर राम मंदिर को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि वे अयोध्या के राम मंदिर दर्शन करने तब जाएंगे जब मंदिर का शिखर पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा. उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर को ‘आधा-अधूरा’ बताकर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का भी विरोध किया था. 


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उत्तराखंड के ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने रविवार को राम मंदिर में पूजा-अर्चना करने से परहेज किया. उन्होंने कहा कि मंदिर अधूरा है और आंशिक रूप से निर्मित मंदिर में पूजा-अर्चना नहीं की जा सकती. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि वह राम मंदिर में तभी पूजा-अर्चना करेंगे, जब मंदिर का शिखर पूरी तरह से बन जाएगा.


अयोध्या पहुंचे सरस्वती ने संवाददाताओं द्वारा राम मंदिर न जाने के बारे में पूछे जाने पर कहा, “अधूरे रूप से निर्मित मंदिर में पूजा-अर्चना नहीं की जा सकती. यह अधूरा है. मैं राम मंदिर में तभी पूजा-अर्चना करूंगा, जब मंदिर का शिखर पूरी तरह से बन जाएगा.”


उन्होंने चिनेश्वरनाथ मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की और अयोध्या में रामकोट इलाके में राम जन्मभूमि परिसर की परिक्रमा की. शंकराचार्य ने अयोध्या से देशव्यापी ‘गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा’ की शुरुआत की. अयोध्या के संतों की मौजूदगी में सरस्वती ने यहां एक धर्मसभा बुलाई. इस धर्मसभा में संवैधानिक प्रावधानों को लागू करने और गाय की अप्रतिबंधित सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने का आह्वान किया गया.


धर्मसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “हमारे देश में गाय को गौ माता के रूप में पूजा जाता है. मगर यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गाय की पूजा करने वाला वही देश दुनिया में गाय के मांस का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक भी है.” उन्होंने कहा, ‘‘हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह धर्म और गाय के सम्मान में कदम उठाये और गौहत्या पर प्रतिबंध लगाए. हमारी यात्रा देश के विभिन्न क्षेत्रों से गुजरेगी, जिसमें प्रमुख महंत और आम लोग हमारे साथ शामिल होंगे.”


(एजेंसी इनपुट के साथ)