नई दिल्ली : राज्यसभा में सोमवार को विपक्षी सदस्यों ने नए भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर उस समय सरकार को घेरने की कोशिश की जब सरकार ने कहा कि किसानों को उसकी अधिग्रहित की गई जमीन के एवज में मुआवजे के साथ साथ विकसित भूमि की 50 फीसदी जमीन देना संभव नहीं है।


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान नए भूमि अधिग्रहण विधेयक के बारे में ग्रामीण विकास मंत्री वीरेन्द्र सिंह ने कहा कि नए विधेयक में किसान को अधिग्रहित भूमि के एवज में विकसित भूमि की 20 फीसदी जमीन किसानों को देने का प्रस्ताव है। इसके बदले में किसान को उस मुआवजे की राशि को लौटाना पड़ेगा जो उसे प्राप्त होगा।


उन्होंने पूरक प्रश्नों के जवाब में कहा ‘उन्हें विकसित भूमि की 50 फीसदी जमीन देना संभव नहीं है। नए विधेयक में प्रस्ताव है कि किसानों को विकसित भूमि की 20 फीसदी जमीन दी जाएगी।’ सिंह ने कहा कि जमीन अधिग्रहित किए जाने के बाद उसके बदले में मिलने वाले मुआवजे से किसान कोई नया काम या कारोबार शुरू कर सकता है।


कभी कांग्रेस के सदस्य रहे सिंह जब नए भूमि अधिग्रहण विधेयक के बारे में जवाब दे रहे थे तब विपक्षी सदस्यों ने सवालों के जरिये सरकार को घेरने की कोशिश की। कांग्रेस के अहमद पटेल ने पूछा कि क्या सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों के लिए और सिंचाई की सुविधा में सुधार के लिए भूमि अधिग्रहण की खातिर सहमति संबंधी उपबंध को हटा लिया है। ‘क्या आपके पास इसके लिए कोई कार्य योजना है।’ इस पर सिंह ने कहा कि सरकार सिंचित भूमि का अधिग्रहण अत्यंत असाधारण परिस्थितियों में ही करेगी।


पटेल ने कटाक्ष किया कि इस बारे में संबद्ध मंत्री कौन हैं.. ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र सिंह या सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी। सपा के अरविंद कुमार सिंह ने पूछा कि क्या नए विधेयक में उस कारण का खुलासा करने का कोई प्रावधान है जिसके तहत रक्षा उद्देश्य के लिए जमीन अधिग्रहित की जाएगी। इस पर सिंह ने कहा कि रक्षा मामलों से जुड़ी सूचना का खुलासा करना देश के हित में नहीं होता। तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने पूछा कि क्या सरकार सिंचित भूमि को भी अधिग्रहण वाली भूमि में शामिल करेगी और क्या प्रस्तावित विधेयक में सिंचित भूमि और असिंचित भूमि को परिभाषित किया गया है।


इस पर सिंह ने कहा कि ‘सिंचित भूमि का अधिग्रहण बिल्कुल अंतिम विकल्प के तौर पर होगा और पहले चुनी हुई भूमि : सरकारी भूमि का अधिग्रहण होगा।’ राय ने यह भी पूछा कि क्या कुछ मामलों में सहमति संबंधी उपबंध हटा दिया गया है। इसी सवाल को दोहराते हुए तृणमूल के ही डेरेक ओ ब्रायन ने कहा ‘हां या ना में जवाब दीजिये।’


तब मंत्री ने कहा ‘आप अपने शब्द मुझसे नहीं कहलवा सकते।’ सिंह ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक में भूमि को परिभाषित किया गया है और सहमति संबंधी उपबंध से पांच चीजों को अलग किया गया है जिन पर राज्य को निर्णय लेने का अधिकार होगा। ‘खाद्य सुरक्षा उपाय या सामाजिक प्रभाव के आकलन संबंधी मुद्दे राज्य सरकार पर छोड़ दिए गए हैं। इस पर निर्णय करना राज्य सरकार के विवेकाधीन होगा।’ सरकार की सहयोगी शिवसेना भी उसे घेरने में पीछे नहीं रही। शिवसेना के संजय राउत ने पूछा कि क्या प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण विधेयक के प्रावधान जम्मू कश्मीर में भी लागू होंगे।


सिंह ने जवाब दिया कि जम्मू कश्मीर राज्य के सिवाय, यह पूरे देश में लागू होगा।