भुवनेश्वर: भारत के पूर्व स्टार हॉकी खिलाड़ी लाजारूस बारला सिडनी ओलम्पिक-2000 में सर्वश्रेष्ठ डिफेंडर का पुरस्कार जीत चुके हैं. यह खिलाड़ी अब समाज के लिए अपना योगदान देना चाहता है. लाजारूस ने वर्ष 1997 में जूनियर विश्व कप से अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत थी. विश्व कप और चैंपियंस ट्राफी सहित कई टूर्नामेंटों में देश के लिए 170 से अधिक मैच खेल चुके हैं.  


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ओडिशा सरकार दिलाए नौकरी का भरोसा
पूर्व हॉकी डिफेंडर लाजारूस ने आईएएनएस से कहा, "अगर ओडिशा सरकार मुझे यह भरौसा दिलाती कि खिलाड़ियों को कोचिंग देने के लिए वे मुझे नौकरी देंगे तो यह मेरे लिए अच्छा होगा. ओडिशा में 53-54 हॉकी खिलाड़ियों में से मैं ही एकमात्र ऐसा व्यक्ति हूं जो इस कोचिंग क्षेत्र में हूं. अब मैं समाज को वापस कुछ देना चाहता हूं." यह खिलाड़ी अब ओडिशा के अंदर हॉकी में नई प्रतिभाओं को कोचिंग देना चाहता है.


एयर इंडिया से चलती है रोजी-रोटी
हॉकी से संन्यास लेने के बाद बारला एयर इंडिया में सहायक महाप्रबंधक के रूप में काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "अब मैं एयर इंडिया में स्टेशन मैनेजर का काम कर रहा हूं. हॉकी को समय दे पाना मेरे लिये कठिन होता जा रहा है.लेकिन मैं एयर इंडिया नहीं छोड़ सकता क्योंकि यह मेरी रोजी-रोटी है
 
पदक गंवाना नहीं भूल सकता

बारला ने सिडनी ओलम्पिक का जिक्र करते हुए कहा, "पदक गंवाने को मैं कभी नहीं भूल सकता. मुझे इस बात का हमेशा अफसोस रहेगा. हम पदक के बहुत करीब थे लेकिन एक छोटी सी गलती के कारण हमने इसे गंवा दिया." सिडनी ओलम्पिक में भारत अंतिम मिनट में पोलैंड के खिलाफ गोल खा बैठा था. इससे मैच 1-1 से ड्रॉ समाप्त हो गया था.


पाकिस्तान को हराना होता आसान
लाजारूस बारला ने कहा "अगर भारत ने उस मैच को जीत लिया होता तो फिर टूर्नामेंट अलग होता. इससे हम सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ खेल सकते थे. जो कि उस समय मजबूत टीम नहीं थी.अगर हम मैच जीत जाते तो हम फाइनल में पहुंच जाते और फिर देश के लिए पदक जीतते." बारला पुरुष हॉकी विश्व कप से पहले सीनियर टीम के कोच चुने गए थे.