असम: पुलवामा आतंकी हमले के विरोध में फूंका पाक का झंडा, इमरान खान का किया मुंह काला
जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने और पुलवामा हमले के दोषी पाकिस्तान के खिलाफ असम के धुबरी में बुजुर्ग, छोटे छोटे बच्चे, महिलाएं और युवा सब एक साथ सड़क पर उतर कर पकिस्तान के कायराना हरकत के खिलाफ जबरदस्त विरोध जताया.
गुवाहाटी: आज समूचे हिन्दुस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा है और ये गुस्सा थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. आज हर हिन्दुस्तानी बस चाहता है तो पाकिस्तान से बदला. खून का बदला खून की मांग कर रहा है आज हिन्दुस्तान की जनता. जम्मू और कश्मीर में पाकिस्तान के शह पर आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद का पुलवामा में किये आत्मघाती हमले से देश ने 44 वीर जवानों को खोया और न जाने कितने बच्चों से पिता छीन लिया, कितने मां के कोख सूने हो गए और कितने महिलाओं की मांग सूनी हो गई.
आज देश के हर कोने में देश के लिए कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के 44 जवानों के शहादत को याद कर ग़मगीन हैं और अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि दे रहा हैं. असम में पाकिस्तान के इस कायरना हरकत पर लोग आग बबूला हैं और असम और नार्थईस्ट के हर राज्य में भी पाकिस्तान में बैठे आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद का प्रमुख सरगना मसूद अज़हर और पकिस्तान के पीएम इमरान खान पर लोग गुस्साए हुए हैं. असम और नार्थईस्ट के कोने-कोने में हिंदुस्तान ज़िंदाबाद, वीर जवान अमर रहें, वन्दे मातरम के नारों से तो वहीं पाकिस्तान मुर्दाबाद नारों से गूंज रहा हैं.
जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने और पुलवामा हमले के दोषी पाकिस्तान के खिलाफ असम के धुबरी में बुजुर्ग, छोटे छोटे बच्चे, महिलाएं और युवा सब एक साथ सड़क पर उतर कर पकिस्तान के कायराना हरकत के खिलाफ जबरदस्त विरोध जताया. पाकिस्तान के झंडे को फूंका और जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर के पुतले पर लोगो ने जमकर लात जूतों, थप्पड़ों की बौछार की. इसके साथ ही पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की तस्वीरों पर कालिख पोती.
आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फ़रवरी को आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हो गए थे. शहीद वीर जवानों में असम के मानेश्वर बसुमतारी भी हैं, जो 1990 में सीआरपीएफ में शामिल हुए थे. मानेश्वर सीआरपीएफ में हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे और कश्मीर में तैनात थे. मानेश्वर बसुमतारी असम के बक्सा जिला के तामूलपुर के नजदीक कालाबारी गांव के रहने वाले थे.