PM Liaquat Ali land in India: भारत से पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का नाम खत्म हो चुका है, अब पहले पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली का भी नाम मिटने जा रहा है. आइए जानते हैं पूरा मामला. 


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पीएम लियाकत अली की जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित करने की तैयारी 
सरकार ने अब पाकिस्तान के पहले पीएम लियाकत अली की जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित करने की तैयारी शुरू कर दी है. मुजफ्फरनगर में पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान के परिवार की रेलवे स्टेशन के सामने की संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित करने की तैयारी हो रही है.  प्रशासन की पहली जांच में इसे निष्क्रांत संपत्ति बताया था, लेकिन अब गृह मंत्रालय ने मामले की दोबारा जांच शुरू करा दी है. विभाग ने सर्वे करा लिया है. 


पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान के परिवार की जमीन पर विवाद जारी है. मुजफ्फरनगर में 570 बीघा जमीन के बैनामों पर रोक है. जल्द ही जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित किया जा सकता है. रेलवे स्टेशन के सामने की जमीन को निष्क्रांत संपत्ति घोषित करने के बाद तनाव बढ़ गया है. एक पक्ष ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है, जबकि दूसरा पक्ष आज कलक्ट्रेट में कब्जा हटवाने के लिए धरना दे चुका है. 


शत्रु संपत्ति घोषित करने के बाद हो सकती है नीलामी?
अगर सरकार ने लियाकत अली के जमीनों को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया तो यूपी के बागपत जिले में जैसे परवेज मुर्शरफ की सारी संपत्ति की नीलामी हो गई. उसी तरह लियाकत की भी जमीन की नीलामी हो सकती है. यह अटकलें लगाई जा रही है. 

परवेज मुशर्रफ के परिजन की 13 बीघा शत्रु संपत्ति नीलाम 
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के परिजन नुरू की 13 बीघा भूमि यानी शत्रु संपत्ति को नीलाम कर दिया गया है. तीन लोगों ने इस संपत्ति की कीमत 1.38 करोड़ रुपये लगाई है. आठ खसरा नंबर वाली भूमि की ई-नीलामी प्रक्रिया सुबह 11 बजे से रात नौ बजे तक चली. यानी 10 घंटे में इस संपत्ति को खरीद लिया गया. शत्रु संपत्ति बिकने के साथ ही परवेज मुशर्रफ और उसके परिजन नुरू का नाम बागपत में हमेशा के लिए खत्म हो गया


शत्रु संपत्ति का क्या है मतलब?
शत्रु संपत्ति से तात्पर्य उन संपत्तियों से है जिन्हें भारत-चीन युद्ध (1962) और भारत-पाकिस्तान युद्ध (1965, 1971) के बाद चीन और पाकिस्तान चले गए लोगों ने छोड़ी थी. केंद्र सरकार के मुताबिक, देशभर में 12 हजार 611 संपत्तियां ऐसी हैं जिन्हें शत्रु संपत्ति घोषित किया गया है. शत्रु सम्पत्ति अधिनियम 1968 भारतीय संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जिसके अनुसार शत्रु सम्पत्ति पर भारत सरकार का अधिकार होगा.


सरल भाषा में कहे तो शत्रु संपत्ति का सीधा सा मतलब है शत्रु की संपत्ति. दुश्मन की संपत्ति. फर्क बस इतना है कि वो दुश्मन किसी व्यक्ति का नहीं मुल्क का है. जैसे पाकिस्तान, चीन. 1947 में भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ. जो लोग पाकिस्तान चले गए वो अपना सब कुछ तो उठाकर नहीं ले गए. बहुत कुछ पीछे छूट गया. घर-मकान, हवेलियां-कोठियां, ज़मीन-जवाहरात, कंपनियां वगैरह-वगैरह. इन सब पर सरकार का कब्ज़ा हो गया.