नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली के पास गुरुग्राम में खुले में नमाज को लेकर Zee News ने जो मुहिम शुरू की थी, वो पाकिस्तान को इतनी बुरी लगी कि उसने अब इस पर एक बयान जारी करके भारत का विरोध किया है. हाल ही में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपनी एक प्रेस रिलीज में कहा है कि वो हरियाणा में मुसलमानों को नमाज पढ़ने से रोकने की निंदा करता है और भारत के मुसलमानों के लिए बहुत चिंतित है.


पाकिस्तान को है मुसलमानों की चिंता?


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पाकिस्तान हमारे ही देश के एक खास वर्ग के साथ मिलकर दुनिया को ये बताना चाहता है कि भारत के मुसलमान असल में भारत के नहीं बल्कि पाकिस्तान के साथ हैं और हमारे देश के ये वही लोग हैं, जो पाकिस्तान की जीत पर पटाखे फोड़ते हैं. पाकिस्तान अक्सर ये बताने की कोशिश करता है कि उसे भारत के मुसलमानों की बहुत चिंता है. भारत में उन पर अत्याचार होते हैं और पाकिस्तान उनकी रक्षा के लिए खड़ा है, लेकिन ये एक झूठा प्रोपेगेंडा है, जो इस प्रेस रिलीज से साबित हो गया है.


पाकिस्तान के तथ्य झूठे


सच तो ये है कि गुरुग्राम में विवाद नमाज को लेकर नहीं है, बल्कि खुले में सड़क पर नमाज को लेकर है और सबसे बड़ी बात, पाकिस्तान का आरोप है कि हरियाणा सरकार ने मुसलमानों के नमाज पढने पर प्रतिबंध लगा दिया है. जबकि सच ये है कि हरियाणा सरकार ने तो खुद गुरुग्राम में 20 स्थान निर्धारित किए हैं, जहां खुले में नमाज पढ़ी जा सकती है. विरोध तो इन स्थानों के आसपास रहने वाले स्थानीय लोग कर रहे हैं, जिन्हें इमरजेंसी में सड़क बंद होने से परेशानी होती है. इन लोगों की दलील ये है कि जब अकेले गुरुग्राम में ही 22 मस्जिदें हैं तो फिर सड़कों और पार्कों में नमाज पढ़ने की क्या जरूरत है?


भारतीय मुसलमानों का हिमायती पाकिस्तान?


पाकिस्तान की ये प्रेस रिलीज असल में फेक न्यूज से भरी पड़ी है. इसमें सबसे बड़ा झूठ ये है कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा में मस्जिदों को निशाना बनाया जा रहा है, उन्हें नष्ट किया जा रहा है. जबकि सच ये है कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा क्या, भारत के किसी और राज्य में भी ऐसी कोई घटना नहीं हुई है. इसी में आगे त्रिपरा की फर्जी हिंसा का भी जिक्र है और ये लिखा है कि वहां मस्जिदों और मुसलमानों के घरों पर हमले हुए हैं. जबकि त्रिपुरा की सरकार और पुलिस पहले ही बता चुकी है कि वहां कभी कोई ऐसी हिंसा नहीं हुई है. इससे ये पता चलता है कि त्रिपुरा में हिंसा को लेकर 26 अक्टूबर को जो अफवाह फैलाई गई, उसके पीछे पाकिस्तान का ही हाथ रहा होगा. पाकिस्तान ने महाराष्ट्र में पिछले दिनों हुए दंगों की भी निंदा की है और ये झूठ बोला है कि इन दंगों में मुसलमानों की दुकानें और मस्जिदें नष्ट कर दी गई थीं. लेकिन सच ये है कि ये दंगे एक इस्लामिक संस्था रजा एकेडमी (Raza Academy) द्वारा बुलाए गए बन्द के दौरान हुए थे, जिसमें हिन्दू समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया था.


पाकिस्तान को अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत


पाकिस्तान को भारत के मुसलमानों की तो चिंता है कि लेकिन उसे इस बात की कोई चिंता नहीं है कि उसके देश में क्या हो रहा है. गौरतलब है कि जब पाकिस्तान ये प्रेस रिलीज थोप कर दुनिया के सामने ये साबित करने में लगा था उस दौरान अमेरिका की सरकार द्वारा उन देशों की एक लिस्ट जारी की गई है, जहां लोगों के पास धार्मिक आजादी का अधिकार तक नहीं है. इस लिस्ट में पाकिस्तान भी है, जिसे अमेरिका ने Concern List में रखा है. सोचिए जिस देश के बारे में अमेरिका की रिपोर्ट ये कहती है कि वहां धर्म के आधार पर लोगों की हत्याएं कर दी जाती है, वो देश भारत को ये बताता है यहां धर्म के आधार पर भेदभाव होता है.


घर में क्यों नहीं पढ़ी जा सकती नमाज? 


हालांकि इस बीच गुरुग्राम में एक नई बहस शुरू हो गई है. वहां एक गुरुद्वारे ने मुस्लिम समुदाय को नमाज पढ़ने के लिए अपने यहां जमीन दे दी है. इसके अलावा एक व्यापारी ने नमाज के लिए अपनी दुकान को खाली कर दिया है और कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने कहा है कि मुस्लिम समुदाय के लोग कल उनके घर पर आकर जुमे की नमाज पढ़ सकते हैं और इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन यहां बड़ा सवाल ये है कि जब घर पर ही नमाज पढ़ी जा सकती है, तो फिर ये खुले में नमाज पढ़ने की मांग कौन कर रहा है? क्या जो लोग खुले में नमाज पढ़ते हैं, उनके पास घर नहीं है? अगर वो किसी और के घर में नमाज पढ़ने जा सकते हैं तो क्या अपने घर में नमाज नहीं पढ़ सकते? ऐसे में स्पष्ट है कि उदार और धर्मनिरपेक्ष दिखने के चक्कर में कुछ लोग अपने घरों और दुकानों में नमाज पढ़ने के लिए जगह दे रहे हैं. जबकि मुद्दा ये है ही नहीं. मुद्दा खुले में नमाज का है जिससे आम लोगों को परेशानी होती है.


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