पंचकूला हिंसा: हाईकोर्ट ने पूछा - राम रहीम के समर्थकों पर पुलिस की आंखें बंद क्यों रही
हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा कि पंचकूला में तीन दिन तक एकत्रित हुई 5000 डेरा समर्थको की भीड़ का कारण क्या था और तीन दिन तक सरकार ने इन्हे पंचकूला में क्यों रहने दिया?
पंचकूला: पंचकूला में 25 अगस्त 2017 को डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दोषी ठहराए जाने के बाद भड़की हिंसा मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा कि पंचकूला में तीन दिन तक एकत्रित हुई 5000 डेरा समर्थको की भीड़ का कारण क्या था और तीन दिन तक सरकार ने इन्हे पंचकूला में क्यों रहने दिया? कोर्ट ने कहा माना कि अपनी मांगो को लेकर विरोध प्रकट करने के लिए लोगों का इकट्ठे होना और अपनी आवाज़ उठाना उनका संवैधानिक अधिकार है. पंचकूला में न तो कोई रैली या प्रोटेस्ट होना था न ही कोई समागम था फिर भी वहां 5000 डेरा प्रेमी तीन दिन तक जमे रहे. इसके पीछे क्या वजह थी और सरकार ,पुलिस व प्रशासन ने उन्हें वहां से खदेड़ा क्यों नहीं? क्या 25 अगस्त को हुई हिंसा का इंतज़ार किया जा रहा था?
जस्टिस राजीव शर्मा, जस्टिस राकेश कुमार जैन और जस्टिस एजी मसीह की बेंच पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि लड़का-लड़की किसी पार्क में बैठे हो तो वहां पुलिस पहुंच जाती है लेकिन पंचकूला में तीन दिन तक खुले में बैठे हुए राम रहीम के समर्थकों को लेकर पुलिस की आंखें बंद क्यों रही. कोर्ट ने सहयोगी वकील अनुपम गुप्ता से पूछा कि क्या यह इंटेलिजेंस फैलियर नहीं है यह सोचने की बात है कि लोग ना पहले ना बाद में बल्कि सीबीआई कोर्ट में सुनवाई से पहले बिल्कुल मौके पर पंचकूला में राम रहीम के समर्थक जमा हुए और पुलिस इस दौरान मूकदर्शक बनी रही.
कोर्ट ने डेरा कल्चर और इनके मकसद पर भी सवाल उठाए और सरकार से पूछा है कि किस एक्ट के तहत ढेरो ,अखाड़ों और आश्रमों को ट्रस्ट के रूप में मान्यता दी जाती है. कोर्ट को बताया गया कि डेरा सच्चा सौदा का ट्रस्ट के रूप में पंजीकरण वर्ष 2004 में हुआ था जिसके 32 ट्रस्टियो के नाम भी कोर्ट को बताए गए जिनमे कुछ विदेशों में भी है. पंजीकरण के वक्त डेरे की जमापूंजी मात्र एक लाख थी और डेरे का मकसद जनहित में चैरेटी के काम करना था जिनमे स्कूल अस्पताल व बेसहारा लोगो को आश्रय देना शामिल था. डेरा पक्ष को यह बताना होगा कि एक लाख से डेरे की जमापूंजी और सम्पति अरबों तक कैसे पहुंची.
फुल बैंच के समक्ष सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र सीनियर एडवोकेट ने कई जजमेंट्स का हवाला देते हुए हिंसा और हिंसा में हुए नुकसान की भरपाई से सम्बंधित ज़िम्मेदारियों का जिक्र किया. कोर्ट मित्र ने सन 1920 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के वक्त कोर्ट की कार्रवाई का भी जिक्र किया और गुजरात में हुए दंगो का भी हवाला देते हुए कोर्ट के आदेशों को पढ़ा. कोर्ट मित्र ने लगातार तीन सुनवाइयों में कोर्ट को पंचकूला हिंसा की बारीकियों से अवगत करवाते हुए 25 अगस्त को हुई हिंसा के जिम्मेदार लोगो व संस्थाओ की और इशारा किया है कोर्ट मित्र के सुझाव व तर्क बुधवार को पुरे हो गए.
कोर्ट मित्र अनुपम गुप्ता ने हाई कोर्ट में कहा कि इस सारे प्रकरण में हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए दिए जाने वाले मुआवजे की राशि सरकार और डेरे के बीच आधी आधी बांट दी जानी चाहिए. जिस पर के एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन ने कहा कि हरियाणा सरकार पंचकूला में हुई हिंसा के वक्त हुए जान माल के नुक्सान की भरपाई नहीं करेगी और न ही सरकार की और से डेरा समर्थको को किसी प्रकार की मदद की गई थी. उन्होंने कोर्ट से इस सम्बन्ध में अपना पक्ष रखने के लिए समय देने की बात कही जिसे बैंच ने स्वीकार कर लिया.
पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने कोर्ट को बताया कि पंजाब सरकार की और से डेरा समर्थको को हिंसा करने से रोकने के लिए पुरे इंतज़ाम किये गए थे लेकिन फिर भी कई जगह डेरा समर्थको ने डेरा प्रमुख को दोषी ठहराए जाने के बाद हिंसा की जिसमे बठिंडा में सर्वाधिक निजी व सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया जिसकी भरपाई के लिए पंजाब सरकार भी दावा करेगी. उन्होंने भी पंजाब सरकार का पक्ष रखने के लिए समय मांगा. पंजाब व हरियाणा सरकार को 8 जनवरी को अपना पक्ष रखने का समय दिया गया है. पंजाब, हरियाणा और अन्य प्रतिवादियों ने अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट से समय माँगा है जिसपर बैच ने 8 व 9 जनवरी को उन्हें समय दिया है जिसके बाद तीन जजों की फुल बैंच कोर्ट अपना फैसला सुना देगी.