पंजाब की राजनीति के Don Bradman बने प्रकाश सिंह बादल, आखिर क्या रही वजह?
पंजाब विधान सभा चुनाव में इस बार काफी कुछ बदलते हुए देखा गया. राज्य में पहली बार आम आदमी पार्टी की प्रचंड बहुमत से सरकार बनी. वहीं, कई दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा. पंजाब की राजनीति के भीष्म पितामह कहे जाने वाले प्रकाश सिंह बादल को भी इस बार हार देखने को मिली. वह 94 साल की उम्र में चुनाव लड़ रहे थे. ऐसे में वह पंजाब की राजनीति के Don Bradman बन गए हैं.
नई दिल्लीः पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल कैसे पंजाब की राजनीति के Don Bradman बन गए हैं. 94 साल की उम्र में कल पंजाब के लोगों ने बादल को एक ऐसा Farewell Gift दिया, जिसने उन्हें जीवनभर का दर्द दे दिया होगा. बादल 94 साल की उम्र में अपना 12वां विधान सभा चुनाव लड़ रहे थे और इस बार वो जीत जाते तो वो लगभग 100 साल की उम्र तक विधायक बने रहते. इसी तरह Bradman भी अपनी आखिरी पारी में चार रन बना लेते तो उनका टेस्ट औसत 100 हो जाता. लेकिन वो जीरो पर आउट हो गए और ठीक उसी तरह बादल भी अपनी आखिरी इनिंग में जीरो पर आउट हो गए. यानी एक कामयाब से कामयाब इंसान भी अपने फेयरवेल की स्क्रिप्ट नहीं लिख सकता.
75 वर्षों से राजनीति में सक्रिय
प्रकाश सिंह बादल को पंजाब की राजनीति का भीष्म पितामह कहा जाता है. वो 75 वर्षों से पंजाब की राजनीति में सक्रिय है. उन्होंने सरपंच पद का अपना पहला चुनाव वर्ष 1947 में जीता था, जब देश को आजादी मिली थी. उन्होंने अपने जीवन में कई रिकॉर्ड बनाए. वो 1977 की मोरारजी देसाई की सरकार में देश के कृषि मंत्री थे. उन्होंने पंजाब का विभाजन देखा, पंजाब में आतंकवाद देखा, इमरजेंसी देखी और 1984 के सिख दंगे भी देखे और मौजूदा दौर की राजनीति में भी वो लगातार सक्रिय थे और सबको यही लग रहा था कि उनकी जीत तो पक्की है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
सुरक्षित सीट से हारे चुनाव
प्रकाश सिंह बादल पंजाब की जिस लंबी सीट से चुनाव हारे हैं, उसे उनका गढ़ माना जाता था. 1997 से 2017 के बीच वो इस सीट से लगातार 5 बार विधायक चुने गए. लोग कहते थे कि अगर वो किसी और को भी इस सीट से उम्मीदवार बना देंगे तो वो सिर्फ उनके आशीर्वाद से ही चुनाव जीत जाएगा. यानी इससे सुरक्षित सीट उनके लिए पूरे पंजाब में नहीं हो सकती थ. लेकिन इसके बावजूद प्रकाश सिंह बादल, आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी गुरमीरत सिंह से 11 हजार वोटों से हार गए, जिनका राजनीतिक करियर पूरे 20 साल का भी नहीं है. जबकि बादल 75 वर्षों से पंजाब की राजनीति में हैं.
1970 में पहली बार बने मुख्यमंत्री
प्रकाश सिंह बादल ने अपने राजनीति जीवन में कई रिकॉर्ड बनाए. आज से 52 वर्ष पहले 1970 में जब वो पंजाब के पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, तब उनकी उम्र 43 वर्ष थी और वो पूरे देश में किसी भी राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री थे. इसी तरह वर्ष 2012 में जब वो पंजाब के 5वीं बार मुख्यमंत्री बने, तब उनकी उम्र 84 वर्ष थी और वो देश के किसी भी राज्य के सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री थे. उन्हें पंजाब की जनता ने 10 बार विधायक चुन कर विधान सभा में भेजा और आज से पहले तक वो केवल एक ही बार चुनाव हारे थे. हालांकि वो हार भी, तब जीत जैसी ही थी. ये बात वर्ष 1966 के चुनाव की है, जब बादल केवल 57 वोटों से चुनाव हार गए थे. इस चुनाव में भी जीत से पहले प्रकाश सिंह बादल ने एक नया रिकॉर्ड अपने नाम किया था.
चुनाव जीतते तो 100 साल की उम्र तक रहते विधायक
वो 5 राज्यों में चुनाव लड़ने वाले सबसे उम्रदराज प्रत्याशी बन गए थे और अगर वो चुनाव जीत जाते तो वो लगभग 100 साल की उम्र तक विधायक बने रह पाते. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और इसीलिए लगता है कि वो पंजाब की राजनीति के Sir Don Bradman हैं.
ऐसे में प्रकाश सिंह बादल से तीन सीख मिलती हैं. पहली सीख ये है कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है. अगर आपको ऐसा लगता है कि आप किसी चीज में कभी असफल नहीं हुए, इसलिए भविष्य में भी ऐसा नहीं होगा तो आप गलत साबित हो सकते हैं. क्योंकि जीवन में कुछ भी निश्चित और स्थायी नहीं है.
खुद की तय कर लेनी चाहिए Expiry Date
दूसरी सीख ये है कि हर व्यक्ति को Art of Retirement आनी चाहिए. आपको अपने जीवन में कब रिटायर होना है, ये आपको पता होना चाहिए और तीसरी सीख ये है कि दुनिया में हर चीज की Expiry Date होती है. राजनीति में अक्सर नेता ऐसा सोचने लगते हैं कि उनकी Expiry Date नहीं आएगी और एक दिन उनके साथ वही होता है, जो आज प्रकाश सिंह बादल के साथ हुआ. इसलिए नेताओं को खुद तय कर लेना चाहिए कि उनकी Expiry Date क्या होगी, वर्ना ये फैसला जब लोग लेते हैं तो बड़ी तकलीफ होती है.
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