नई दिल्ली : पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित की कश्मीरी अलगाववादियों के साथ मुलाकात और पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस समारोहों में उन्हें आमंत्रित किए जाने पर राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।


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कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘अगर कोई भारतीय संविधान में भरोसा नहीं करता हो, तो उनसे क्यों किसी को बात करनी चाहिए?’ कांग्रेस के ही एक अन्य नेता और पूर्व मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि मोदी सरकार को पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए स्पष्ट और सुसंगत रुख अपनाना चाहिए।


शर्मा ने कहा, ‘और सिर्फ प्रधानमंत्री ही जानते हैं कि उन्होंने क्या आश्वासन दिया है। हमारी चिंता जारी आतंकवादी हमलों को लेकर है।’ वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि भारत बर्दाश्त नहीं करेगा अगर कोई उसके खिलाफ जाता है। ‘और आपके साथ (पाकिस्तान) हमारी जो भी समझ है, आपको हमारी स्थिति का सम्मान करना होगा।’


माकपा नेता सीताराम येचुरी के अनुसार पाकिस्तान की ओर से दिए जा रहे ‘संकेतों’ तथा जिस प्रकार केंद्र प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहा है, स्थिति ‘और बिगड़’ सकती है।


नेशनल कांफ्रेंस ने कहा कि बातचीत सुलह के लिए है लेकिन केंद्र को यह निर्धारित करने की आवश्यकता है कि इसके लिए रूपरेखा क्या होगी। देवेन्द्र सिंह राणा ने कहा कि किसी भी सुलह के लिए बातचीत अनिवार्य है। हालांकि कब, कैसे और कहां बातचीत होती है तथा बातचीत की क्या रूपरेखा होगी, यह भारत को तय करना है।


आप ने भाजपा का नाम लिए बिना उस पर निशाना साधा। आप नेता कुमार विश्वास ने कहा, ‘केंद्र सरकार में तथाकथित देशभक्त, जो छोटी बातों पर भी शोर करते हैं, अगर वे श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपनों को मार सकते हैं, तो वे दिल्ली में अलगाववादियों से भी हाथ मिला सकते हैं।’उल्लेखनीय है कि बीती रात बासित ने मीरवाइज उमर फारूक के साथ ही अब्दुल गनी भट्ट, मौलाना अब्बास अंसारी, बिलाल गनी लोन, आगा सैयद हसन, मुश्ताक आदिल और मुख्तार अहमद वजा से मुलाकात की थी और उन्हें आज के पाकिस्तान राष्ट्रीय दिवस समारोहों के लिए आमंत्रित किया था।