Peacock Throne: जिसने लूटा उसका कत्ल हुआ, खौफनाक है बादशाह शाहजहां के सिंहासन की पूरी कहानी
Mayur Singhasan Mystery: शाहजहां (Shah Jahan) का मयूर सिंहासन (Mayur Singhasan) कहां और कैसे गायब हो गया, ये सवाल अबूझ पहेली बना हुआ है. इस सिंहासन कीमत ताजमहल (Taj Mahal) से भी दोगुनी बताई जाती है. मुगलों को हराकर नादिर शाह (Nadir Shah) ने इसे लूटा. कुछ दिन बाद नादिर शाह का कत्ल हो गया, तभी से ये लापता है.
Shahjahan Peacock throne: मुगल इतिहास में आज बात शाहजहान के उस शाही सिंहासन की जिसकी कीमत, अंग्रेज राजाओं के तख्त से ज्यादा मानी जाती थी. मुगल बादशाह का मशहूर सिंहासन पहले आगरे (Agra) के किले में रखा था. वहां से इसे दिल्ली के लाल किले में ले जाकर रखा गया. इसका नाम 'मयूर सिंहासन' (Mayur Singhasan) इसलिए पड़ा क्योंकि इसके पिछले हिस्से में दो नाचते हुए मोर दिखाए गए हैं. ईरान का राजा नादिर शाह (Nadir Shah) इस मयूर सिंहासन को लूट कर ईरान ले गया था. लेकिन उसके कत्ल के सैकड़ों साल बाद भी इस सिंहासन की गुमशुदगी की गुत्थी सुलझी नहीं है.
मयूर सिंहासन का इतिहास
मयूर सिंहासन (Peacock Throne) में लगे बेशकीमती रत्नों ने इसे बेशकीमती बना दिया था. 1628 में जैसे ही शाहजहां गद्दी पर बैठा उसने उस्ताद साद इ गिलानी को मयूर सिंहासन बनाने का आदेश दिया. इसके निर्माण के लिए शाहजहां ने सैकड़ों हीरे-मोती-माणिक और एक लाख तोला सोना दिया था. 7 साल में यह सिंहासन बन कर तैयार हो गया. शाहजहां मयूर सिंहासन पर 22 मार्च 1635 को पहली बार बैठा था. मयूर सिंहासन में तीन प्रमुख कवियों कलीम, सैदा और कुदसि की कविताएं उकेरी गई थीं. इसके ऊपर दो मोर बने थे. इन मोरों की पीठ पर रत्न जड़े थे. सिंहासन के ऊपर चतुर्भुज आकार की छतरी बनी थी. एक दूसरे की ओर मुंह करके बने इन मोरों को एक रत्नजड़ित पेड़ अलग करता था. इस सिंहासन में 3 रत्न जड़ित पायदान थे जिनमें चढ़कर शाहजहां सिंहासन पर बैठता था.
क्या थी इस मयूर सिंहासन की कीमत?
कीमत की बात करें तो फ्रैंच यात्री ट्रेवर्नियर ने इसकी कीमत 1665 में करीब 10 करोड़ 70 लाख रुपये आंकते हुए उस दौर में इसकी पाउंड में कीमत 1 करोड़ 20 लाख 37 हजार 500 पाउंड बताई गई थी. वर्तमान में शाहजहां के इस गायब हुए मयूर सिंहासन की कीमत 1369608693 पाउंड के बराबर है यानी एक खरब 35 अरब 9 करोड़ 43 लाख 67 हजार 572 रुपये है.
जिसने लूटा उसका कत्ल हुआ
1739 में मुगलों की ताकत घटने के बाद ईरान के शाह ने भारत पर हमला किया. दिल्ली जीतने के बाद उसकी फौज मयूर सिंहासन समेत तमाम कीमती चीजें यहां से लूट ले गई. नादिर शाह ने मयूर सिंहासन (तख्त ए ताऊस) के अलावा जिन कीमती चीजों को लूटा उनमें अकबर शाह, ग्रेट मुगल, ग्रेट टेबल, कोहेनूर और शाह नाम के बेशकीमती हीरे शामिल थे. कहा जाता है कि इसे जिसने भी लूटा वो मारा गया. यानी उसे शाहजहां की हाय लग गई.
कहां गायब हो गया मयूर सिंहासन?
मयूर सिंहासन का गायब होना आज भी पहेली बना हुआ है. 19 जून 1747 में ईरान के नादिर शाह का उसके ही एक करीबी ने कत्ल कर दिया. उसके बाद फैली अफरा-तफरी के दौरान मयूर सिंहासन गायब हो गया. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस सिंहासन को कई टुकड़ों में तोड़कर अलग करने के बाद उसमें जड़े एक-एक बेशकीमती नगीने को निकाल लिया गया, जिसमें कोहिनूर भी था. इसके बाद ईरानी शासकों ने सन नाम से सिंहासन बनाया. कहा ये भी जाता है कि मयूर सिंहासन का निचला हिस्सा इसमें शामिल है.
हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com - सबसे पहले, सबसे आगे