Kolkata Yellow Ambassador Taxis: कोलकाता की सड़कों पर दौड़ती पीली अंबेसडर टैक्सियां सिर्फ एक वाहन नहीं, बल्कि शहर की आत्मा का प्रतीक रही हैं. दशकों से यह टैक्सी न केवल स्थानीय लोगों की जिंदगी का हिस्सा बनी रही, बल्कि पर्यटकों के लिए भी कोलकाता की पहचान मानी जाती है. अब यह युग खत्म होने वाला है.. क्योंकि 2024 के अंत तक ये टैक्सियां सड़कों से गायब हो जाएंगी.


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कब शुरू हुआ पीली टैक्सी का सफर?


पीली अंबेसडर टैक्सी की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी. हिंदुस्तान मोटर्स द्वारा निर्मित अंबेसडर कारें उस दौर की सबसे भरोसेमंद गाड़ियां मानी जाती थीं. खासतौर पर इनकी मजबूत बनावट और कम खर्च में मेंटेनेंस इन्हें टैक्सी के लिए आदर्श बनाती थी. करीब 7,000 अंबेसडर टैक्सियां कोलकाता की सड़कों पर दौड़ती थीं.


नियमों के चलते क्यों खत्म हो रहा है यह दौर?


पश्चिम बंगाल परिवहन विभाग ने वाहनों की उम्र 15 साल निर्धारित की है. इस नियम के कारण लगभग 4,500 टैक्सियां, जो पूरी टैक्सी संख्या का आधा से अधिक हिस्सा हैं, जल्द ही सेवा से बाहर हो जाएंगी. इन टैक्सियों को अब चलाना गैर-कानूनी होगा.


पीली टैक्सी की अनगिनत यादें


पीली टैक्सी कोलकाता के जीवन का अहम हिस्सा रही है. यह कभी दफ्तर जाने की जल्दी में लोगों की साथी बनी, तो कभी धीमी बारिश में शांति भरी सवारी का माध्यम. दुर्गा पूजा के पंडाल-होपिंग से लेकर पहली डेट की यादों तक, यह टैक्सी कोलकाता के हर रंग को अपने भीतर समेटे रही है.


हिंदुस्तान मोटर्स का बंद होना बड़ा झटका


हिंदुस्तान मोटर्स ने 2014 में अपने कारखाने को बंद कर दिया था. इसके साथ ही अंबेसडर कारों का निर्माण भी रुक गया. नए अंबेसडर मॉडल नहीं बनने के कारण पीली टैक्सी का अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म होता गया.


क्या पीली टैक्सी का युग पूरी तरह खत्म हो जाएगा?


हालांकि, कुछ उम्मीदें अभी बाकी हैं. खबर है कि फरवरी 2024 में विश्व बंग व्यापार सम्मेलन के दौरान एक नई कंपनी कोलकाता में 2,000 नई पीली टैक्सियां उतारने की घोषणा कर सकती है. ये गाड़ियां अंबेसडर की डिजाइन से प्रेरित होंगी और शहर की विरासत को जीवित रखने की कोशिश करेंगी.


डिजिटल युग में पीली टैक्सी की नई पहल


डिजिटल दौर में भी पीली टैक्सियों ने खुद को प्रासंगिक बनाए रखा. ‘यात्री साथी’ ऐप के जरिए टैक्सी बुकिंग की सुविधा दी गई, जो बेहद लोकप्रिय रही. इस ऐप के जरिए तीन साल में 60.98 लाख ट्रिप बुक की गईं और टैक्सी ड्राइवरों ने 166 करोड़ रुपये की कमाई की.


नॉस्टैल्जिया में सिमट जाएगी पहचान


पीली टैक्सी सिर्फ एक परिवहन का साधन नहीं, बल्कि कोलकाता की पहचान रही है. अब यह इतिहास का हिस्सा बनने जा रही है. लेकिन इसके साथ जुड़े अनुभव और यादें कोलकाता की हर गली में हमेशा जिंदा रहेंगे. कोलकाता की सड़कों से पीली टैक्सियों का जाना एक युग का अंत है. लेकिन नई शुरुआत की उम्मीदें इस विरासत को फिर से जीवित कर सकती हैं.