Pervez Musharraf Property In India: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ और उनके परिवार का नामोनिशान बागपत से मिट गया. उत्तर प्रदेश के बागपत में पाकिस्‍तान के पूर्व राष्‍ट्रपति परवेज मुशर्रफ के भाई और परिवार की जमीन नीलाम हो गई. 13 बीघा यह जमीन एक करोड़ 38 लाख 16 हजार रुपये में नीलाम हुई है. इसका आधार मूल्‍य 39 लाख 16 हजार रुपये रखा गया था. 


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13 बीघा शत्रु संपत्ति नीलाम 
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के परिजन नुरू की 13 बीघा भूमि यानी शत्रु संपत्ति को नीलाम कर दिया गया है. तीन लोगों ने इस संपत्ति की कीमत 1.38 करोड़ रुपये लगाई है. आठ खसरा नंबर वाली भूमि की ई-नीलामी प्रक्रिया सुबह 11 बजे से रात नौ बजे तक चली. यानी 10 घंटे में इस संपत्ति को खरीद लिया गया. शत्रु संपत्ति बिकने के साथ ही परवेज मुशर्रफ और उसके परिजन नुरू का नाम बागपत में हमेशा के लिए खत्म हो गया है.


जानें किसने खरीदा?
मीडिया रिपोर्ट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, लखनऊ से ई-नीलामी की प्रक्रिया की जानकारी बागपत के प्रशासन को दे दी गई है. 13 बीघे में से लगभग पौने पांच बीघा भूमि को बागपत के पंकज कुमार ने भी खरीदा है. पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की कोटाना गांव में उनके एक रिश्तेदार के नाम पर दर्ज शत्रु संपत्ति की नीलामी 5 सितंबर को ऑनलाइन हुई है. कोटाना गांव का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह न केवल पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति का ननिहाल था, बल्कि उनके पिता के माता-पिता का निवास भी था.


यूपी से रिश्ता खत्म
कोताना गांव में मौजूद यह जमीन शत्रु संपत्ति थी. नीलामी का पैसा केंद्रीय मंत्रालय के शत्रु संपत्ति अभिरक्षक विभाग के खाते में जमा होगा. यह परवेज मुर्शरफ के परिवार की उत्‍तर प्रदेश में आखिरी जमीन थी.


बागपत से है रिश्ता
परवेज मुशर्रफ के पिता मुशर्रफुद्दीन और माता बेगम जरीन कोताना गांव की रहने वालीं थीं. कोताना में दोनों की शादी हुई थी. वह साल 1943 में दिल्ली जाकर रहने लगे थे, जहां परवेज मुशर्रफ व उसके भाई डॉ. जावेद मुशर्रफ का जन्म हुआ था. उनका परिवार वर्ष 1947 में बंटवारे के समय पाकिस्तान में जाकर बस गया था. मगर दिल्ली के अलावा उनके परिवार की हवेली व खेती की जमीन कोताना में मौजूद है. उनके भाई की जमीन नीलाम हुई है.


शत्रु संपत्ति का क्या है मतलब?
शत्रु संपत्ति से तात्पर्य उन संपत्तियों से है जिन्हें भारत-चीन युद्ध (1962) और भारत-पाकिस्तान युद्ध (1965, 1971) के बाद चीन और पाकिस्तान चले गए लोगों ने छोड़ी थी. केंद्र सरकार के मुताबिक, देशभर में 12 हजार 611 संपत्तियां ऐसी हैं जिन्हें शत्रु संपत्ति घोषित किया गया है. शत्रु सम्पत्ति अधिनियम 1968 भारतीय संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जिसके अनुसार शत्रु सम्पत्ति पर भारत सरकार का अधिकार होगा.


सरल भाषा में कहे तो शत्रु संपत्ति का सीधा सा मतलब है शत्रु की संपत्ति. दुश्मन की संपत्ति. फर्क बस इतना है कि वो दुश्मन किसी व्यक्ति का नहीं मुल्क का है. जैसे पाकिस्तान, चीन. 1947 में भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ. जो लोग पाकिस्तान चले गए वो अपना सब कुछ तो उठाकर नहीं ले गए. बहुत कुछ पीछे छूट गया. घर-मकान, हवेलियां-कोठियां, ज़मीन-जवाहरात, कंपनियां वगैरह-वगैरह. इन सब पर सरकार का कब्ज़ा हो गया.


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