Odisha: किसान ने लॉकडाउन में बना दी सोलर से चार्ज होने वाली बैटरी कार, जानें खासियत

भुवनेश्वर: कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान हर किसी को अपने घरों में कैद होना पड़ा, लेकिन ऐसे समय में भी कई लोगों ने नए रास्ते खोजे और आपदा को अवसर में बदल दिया. ओडिशा के मयूरभंज के रहने वाले एक किसान ने भी कुछ ऐला ही काम किया और सौर ऊर्जा से चार्ज होने वाली एक बैटरी कार (Solar-Powered Car) बना डाली, जो एक बार फुल चार्ज होने के बाद 300 किलोमीटर तक चल सकती है. खास बात है कि किसान ने यूट्यूब वीडियो देखकर पूरी कार को कुछ लोगों की मदद से बनाया है.

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इलेक्ट्रिक कार की खासियत

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए ओडिशा (Odisha) के मयूरभंज के करंजिया उपमंडल के रहने वाले किसान सुशील अग्रवाल ने बताया कि इस कार में 850 वॉट की मोटर लगी है. कार में 100 एएच/54 वोल्ट की बैटरी लगी है, जो करीब साढ़े आठ घंटे में फुल चार्ज हो जाती है.

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10 साल हो सकती है बैटरी लाइफ

सुशील अग्रवाल ने बताया कि बैटरी चार्ज होने में ज्यादा समय लगता है, लेकिन इस तरह की बैटरी का लाइफ ज्यादा होती है. यह करीब 10 साल तक चल सकती है. सुशील ने बताया कि बैटरी एक बार फुल जार्च होने के बाद कार करीब 300 किलोमीटर तक चल सकती है.

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घर पर वर्कशॉप में बनाई कार

सुशील अग्रवाल ने बताया कि कार की मोटर बांधने से लेकर उसमें बिजली फिटिंग और चेचिस का काम भी उन्होंने दो अन्य मैकेनिकों की सहायता से घर पर अपने वर्कशॉप में ही किया. उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिक के काम के बारे में एक दोस्त से सलाह ली थी. सुशील ने कार को बनाने की शुरुआत तीन महीने पहले की थी, जो अभी भी शुरुआती ढांचे में है.

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कैसे आया सोलर कार बनाने का आइडिया

सुशील अग्रवाल ने बताया कि कार बनाने का आइडिया लॉकडाउन के दौरान आया था. उन्होंने बताया, 'लॉकडाउन के दौरान मैं घर पर ही था. मैं जानता था कि लॉकडाउन की पाबंदियां हटने के बाद पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी होगी. इसलिए मैंने अपनी कार बनाने का फैसला किया.' सुशील अग्रवाल ने बताया कि मैंने कुछ किताबें और यूट्यूब वीडियो देखकर पूरी कार को बनाया है.

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ऐसे आविष्कार को बढ़ावा देना चाहिए : आरटीओ अधिकारी

मयूरभंज आरटीओ अधिकारी गोपाल दास ने बताया, 'मुझे यह जानकर खुशी हुई कि उन्होंने लॉकडाउन के दौरान सोलर से चार्ज होने वाली कार बनाने की कोशिश की है. ऐसी गाड़ियां मोटर इंडस्ट्री का भविष्य हैं, जो प्रदूषण नहीं फैलाती हैं.' उन्होंने कहा, 'इस तरह के आविष्कार को बढ़ावा देना चाहिए. कार की सेफ्टी, कंफर्ट और वर्क कैपेसिटी में सुधार के लिए एआरएआई, सीआईआरटी जैसी भारत सरकार की एजेंसियों द्वारा भी मदद की जानी चाहिए, ताकि इसका उपयोग सड़कों पर किया जा सके.'

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