ऐसे लोगों में तेजी से फैल रहा ब्लैक, व्हाइट और येलो फंगस; जानें कितने सेफ हैं आप
नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर भले ही कमजोर पड़ गई हो लेकिन खतरा अभी टला नहीं है. कोरोना के बाद ब्लैक (Mucormycosis), व्हाइट और येलो फंगस कोरोना मरीजों को अपना शिकार बना रहे हैं. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि किन लोगों में ब्लैक, व्हाइट और येलो फंगस का खतरा सबसे ज्यादा है.
कितना खतरनाक है ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस हवा में मौजूद रहते हैं. कमजोर इम्युनिटी होने पर नाक और मुंह के रास्ते शरीर में प्रवेश करके मुंह और नाक के म्यूकस से चिपक जाते हैं और तेजी से बढ़ने लगते हैं. इसलिए ये ज्यादातर मुंह, नाक, आंख, ब्रेन और फेफड़े को प्रभावित करते हैं.
डायबिटीज के मरीज
किसी भी प्रकार के फंगल इंफेक्शन का खतरा उन लोगों को सबसे ज्यादा होता है जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की शिकायत हो. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक डायबिटीज के मरीजों के शरीर में ग्लूकोज की ज्यादा मात्रा होती है जिसके कारण फंगल इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे लोग आसानी से इस बीमारी का शिकार हो जाते हैं.
कोरोना से ठीक हुए मरीज
कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों में लगभग 6 हफ्ते बाद तक ब्लैक फंगस का खतरा रहता है. दरअसल, कोरोना वायरस मरीज के इम्यून सिस्टम पर सीधा असर करता है. कोरोना से ठीक होने के बाद भी कम से कम 6 हफ्तों तक उसकी रोग प्रतिकारक क्षमता कमजोर होती है. ऐसे में कोरोना से ठीक हुए लोगों को ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है.
किडनी के मरीज
किडनी के मरीजों की रोग प्रतिकारक क्षमता कमजोर हो जाती है. ऐसे में शरीर में जर्म्स आसानी से प्रवेश कर जाते हैं. कमजोर किडनी शरीर के लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रतिरक्षा-पोषक तत्वों के कार्य में भी बाधा डाल सकती हैं. ऐसे मरीजों के शरीर में फंगस तेजी से फैल सकता है.
किन लोगों को ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा
इसके अलावा, कोरोना के जो मरीज लंबे समय तक ICU में रहते हैं और जिन्हें बहुत ज्यादा ऑक्सीजन दी गई. जिन्हें स्टेरॉयड की ज्यादा मात्रा दी गई हो. या फिर ऐसे लोग जो बिना डॉक्टरी सलाह के खुद दवा ले रहे हैं, उन लोगों में ब्लैक फंगस होने का खतरा ज्यादा होता है.