Valley Of Flowers: इंडिया में फूलों की ये घाटी नहीं देखी तो कुछ नहीं देखा, साल में एक बार बस इतने समय तक होते हैं दर्शन

Valley of flowers Uttarakhand: विश्व धरोहर (World Heritage) फूलों की घाटी आज हर बार की तरह इस साल भी 1 जून से सैलानियों के लिए खुल गई है. नंदादेवी पार्क प्रशासन ने इस बार घाटी में सैलानियों की सलूहियत के लिए खास इंतजाम किए हैं. फूलों की ये घाटी इतनी खूबसूरत हैं कि लोग यहां के नजारे देखकर सुधबुध खो बैठते हैं. आप भी गर्मियों की छुट्टियों में यहां की ट्रिप प्लान कर सकते हैं.

1/10

वैली ऑफ फ्लावर्स नाम की खूबसूरत जगह उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है. इस घाटी को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में घोषित किया गया है. स्थानीय लोग इस जगह को देवता के निवास स्थल के रूप में भी मानते हैं. इसकी खूबसूरती दुनियाभर में मशहूर है.

 

2/10

फूलों की घाटी में इस साल पहले से कहीं ज्यादा देशी-विदेशी पर्यटकों का आने की उम्मीद है. बीते दो सालों में कोरोना काल की बंदिशों से पहले भी इस घाटी में रिकॉर्डतोड़ देशी-विदेशी पर्यटक पहुंचते थे. पार्क प्रशासन के मुताबिक, साल 2018 में 14,965 देशी विदेशी पर्यटकों ने घाटी का दीदार किया, जो की अबतक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है. इससे पहले 2017 में 13,754 देशी विदेशी पर्यटकों ने घाटी का दीदार किया था.

3/10

कोरोना काल से पहले भारतीय पर्यटकों को 150 और विदेशी पर्यटकों को 600 रुपये का शुल्क देना पड़ता था. फूलों की घाटी की सैर के लिए विभाग ने इस बार खास इंतजाम किए हैं. इसकी एंट्री फीस और टाइमिंग समेत सारी जानकारी उत्तराखंड टूरिज्म डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर भी मौजूद है.

 

4/10

फूलों की घाटी दुनिया की इकलौती जगह है, जहां प्राकृतिक रूप में 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते है. इस घाटी की खोज साल 1931 में कामेट पर्वतारोहण के बाद ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रेंक स्मिथ ने की थी. वो भटककर यहां पहुंच गए थे और घाटी की सौंदर्य पर इस कदर रीझे कि फिर कई दिन तक यहीं रुके रहे. अक्टूबर 2005 में यूनेस्को ने फूलों की घाटी को विश्व धरोहर का दर्जा प्रदान किया. 

 

5/10

खूबसूरत फूलों की घाटी में दुनिया के दुर्लभ वन्य जीव, फूल, जड़ी-बूटियां व पक्षी पाए जाते हैं. जिस कारण यहां का प्राकृतिक दृश्य हर किसी का मन मोह लेते हैं. यहां जाकर आप भी ऐसे बेहतरीन खूबसूरत नजारों को देखने के साथ उन्हें अपने कैमरे में कैद करके इसकी यादों को सहेज सकते हैं.

 

6/10

वैली ऑफ फ्लावर्स करीब 87.50 KM के क्षेत्रफल में फैली है. ये घाटी करीब 2 किलोमीटर तक चौड़ी और 8 किलोमीटर लंबी है. फूलों की ये घाटी समुद्रतल से 3352 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.

7/10

यह खूबसूरत वैली नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा है. उत्तराखंड आने वाले सैलानी खासकर नेचर लवर्स यहां की ट्रिप को प्लान करना नहीं भूलते है. उत्तराखंड की इस फूलों की घाटी तक दिल्ली से पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले हरिद्वार फिर उसके आगे ऋषिकेश पार करते हुए रुद्रप्रयाग पहुंचना होगा. उसके बाद रुद्रप्रयाग से जोशीमठ और फिर गोविंदघाट तक जाना होगा. यहां तक आप बाई रोड सरकारी बस या अपने साधन से पहुंच सकते हैं. आगे घांघरिया से लेकर फूलों की घाटी का सफर आपको पैदल तय करना होगा.

8/10

इस खूबसूरत घाटी का धार्मिक महत्व भी है. इसका मौजूदगी त्रेतायुग में भी थी. स्थानीय लोगों के मुताबिक रामायण काल में जब लक्ष्मण जी को शक्ति लगी थी तब उनके प्राणों की रक्षा करने के लिए हनुमान जी यहीं से संजीवनी बूटी लेकर गए थे. 

9/10

यह घाटी सैलानियों को दूर से अपनी ओर आकर्षित करती है. हर साल ये घाटी कुछ खास तरीके से निखर कर आती है. फूलों की इस घाटी के बारे में कहा जाता है कि ये हर 2 हफ्ते में अपनी रंगत बदल देती है. ये कभी लाल रंग, कभी पीली तो कभी नीली और कभी पूरी तरह हरियाली में डूबी नजर आती है. 

10/10

वैली ऑफ फ्लावर्स को केवल गर्मियों के मौसम मे जून से अक्टूबर तक के लिए खोला जाता है. बाकी के महीनों में यह घाटी बर्फबारी से भरी रहती है. ऐसे में घूमने के लिए यह 5 महीने का समय सबसे परफेक्ट है. इस घाटी में एंट्री 31 अक्टूबर को बंद कर दी जाती है. तीन साल पहले 2019 में हुई भारी बर्फबारी से घांघरिया से फूलों की घाटी तक 3 किलोमीटर तक का पैदल ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गया था. जिसके बाद नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क तक पहुंचने के लिए बर्फ काटकर रास्ता तैयार किया गया था. उस दौरान इस घाटी तक पहुंचने में कुछ मुश्किलें जरूर आई थीं लेकिन इसकी खूबसूरती पर जरा भी असर नहीं पड़ा था. 

Photos: Uttarakhand Tourism- @UTDBofficial

 

ZEENEWS TRENDING STORIES

By continuing to use the site, you agree to the use of cookies. You can find out more by Tapping this link